बड़े शहरों की भागदौड़ वाली जिंदगी में कैब और टैक्सी का सफर अहम हिस्सा बन चुका है। ऑफिस जाना हो, रेलवे स्टेशन पहुंचना हो या देर रात घर लौटना, ज्यादातर लोग आरामदायक सफर और जल्दी पहुंचने के लिए कैब और टैक्सी बुक करने में देर नहीं लगाते हैं। लेकिन, क्या आपने कभी गौर किया है कि एक ही सर्विस के लिए कैब या टैक्सी इन दोनों शब्दों का अलग-अलग इस्तेमाल क्यों किया जाता है?
टैक्सी और कैब, अक्सर लोग इन शब्दों का इस्तेमाल पर्यायवाची के रूप में करते हैं। हालांकि, यह आम बोलचाल में ठीक लगता है लेकिन इन दोनों के बीच एक बारीक अंतर होता है। अगर आप भी आजतक टैक्सी और कैब को एक जैसा समझते हैं तो आइए यहां जान लेते हैं दोनों के बीच में क्या अंतर होता है।
टैक्सी और कैब में क्या अंतर है?
टैक्सी और कैब, इन दोनों शब्दों का इस्तेमाल अक्सर लोग एक चीज के पर्यायवाची के रूप में करते हैं। यह दोनों, एक ही शब्द taxicab से बने हैं। जहां टैक्सी शब्द टैक्सी मीटर से बना है। टैक्सी मीटर में मीटर का मतलब होता है कि इसमें किराया दूरी पर निर्भर करता है। वहीं, कैब शब्द Cabriolet का शॉर्ट फॉर्म है, जिसका इस्तेमाल घोड़ा गाड़ी के लिए किया जाता रहा है।
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टैक्सी और कैब शब्द कहां से आए हैं, इसके अलावा दोनों के बीच में एक और अंतर भी है। यह वह अंतर है जिसमें कभी मोटर से चलने वाली गाड़ियों को टैक्सी कहा जाता था और घोड़े से खींचने वाली गाड़ियों को कैब कहा जाता था। हालांकि, अब इन शब्दों का इस्तेमाल किराए पर चलने वाली और ड्राइवर के साथ आने वाली गाड़ियों के लिए होने लगा है। यह वह गाड़ियां या वाहन होते हैं, जो किराया यानी पैसे लेकर लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लेकर जाते हैं।
ज्यादातर अंग्रेजी बोलने वाले देशों में कैब और टैक्सी, दोनों ही शब्दों का इस्तेमाल किराए पर चलने वाली गाड़ियों के लिए होता है। वहीं, अंग्रेजी नहीं बोलने वाले देशों में आम बोलचाल में टैक्सी शब्द सुनने के लिए मिलता है।
शब्द के मतलब के अलावा भी कैब और टैक्सी में होता है अंतर
हायरिंग
यूके में टैक्सी को सड़क किनारे से लिया जा सकता है। वहीं, कैब को ऑनलाइन ऐप से बुक करना पड़ता है। हालांकि, भारत में कैब और टैक्सी, दोनों को ही ऐप या वेबसाइट से बुक किया जा सकता है। यूके के अलावा भी कई देशों में टैक्सी को एक पब्लिक ट्रांसपोर्ट माना जाता है, जो सड़कों पर आमतौर पर चलती-फिरती नजर आ जाती हैं।
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रंग
ज्यादातर देशों में टैक्सी का एक रंग फिक्स किया गया है। भारत में एक समय पर टैक्सी ब्लैक और येलो कलर की चलती थी। हालांकि, अब टैक्सी और कैब में कोई अंतर नहीं रह गया है। लेकिन, अभी भी अमेरिका जैसे देशों में टैक्सी को पीले रंग का रखा जाता है। वहीं, कैब के लिए इस तरह के कोई नियम नहीं हैं।
किराया
टैक्सी में मीटर के हिसाब से किराया तय होता है। आम भाषा में समझें तो आप जितने किलोमीटर की दूरी तय करते हैं, उतना ही मीटर चलता है और फिर किराया तय होता है। वहीं, कैब ज्यादातर प्राइवेट कंपनियां चलाती हैं और वह एक फिकस्ड दूरी के लिए पहले से ही तय अमाउंट लेती हैं।
टैक्सी और कैब का काम एक जैसा होता है। लेकिन, इन्हें हायर यानी बुक करने का तरीका, किराया और सेवा में थोड़ा-सा अंतर देखने को मिलता है।
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Image Credit: Freepik and Jagran.Com
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