New Tax Regime vs Old Tax Regime:साल 2020 में मोदी सरकार ने बजट में न्यू टैक्स रिजीम का ऐलान किया था। वहीं, हर साल टैक्सपेयर्स के बीच ओल्ड इनकम टैक्स रिजीम और न्यू इनकम टैक्स रिजीम के बीच कौन-सी बेस्ट है, इसको लेकर सबसे अधिक चर्चा रहती है। हालांकि, इनकम टैक्स रिजीम आपकी सालाना इनकम पर निर्भर करती है। अगर आपकी सालाना कमाई 7.5 लाख रुपये है, तो न्यू टैक्स रिजीम के तहत किसी तरह का टैक्स नहीं लगेगा। आज हम इस आर्टिकल में आपको बताने वाले हैं कि पुरानी टैक्स रिजीम और नई टैक्स रिजीम में कौन-सी रिजीम आपके लिए सही रहेगी और किसमें आप ज्यादा पैसा बचा पाएंगे।
हर साल बजट पेश होने के दौरान इनकम टैक्स स्लैब को समय-समय पर संशोधित किया जाता है। बजट 2024 के दौरान, न्यू टैक्स रिजीम के तहत टैक्स स्लैब में कुछ बदलाव किए गए थे। साथ ही, एग्जेंप्शन और डिडक्शन्स में भी कुछ एडजेस्टमेंट किये गए थे।
न्यू टैक्स रिजीम बिना किसी डिडक्शन के लोवर टैक्स रेट्स प्रदान करती है। दूसरी तरफ,ओल्ड टैक्स रिजीम इनकम टैक्स एक्ट 1961 के विभिन्न सेक्शन्स के तहत कई डिडक्शन्स प्रदान करती है, हालांकि टैक्स रेट्स अधिक हैं।
इस टैक्स रिजीम के तहत टैक्सपेयर्स के लिए निम्नलिखित इनकम टैक्स स्लैब्स लागू होते है-
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पुरानी टैक्स रिजीम के तहत, जो अभी भी टैक्सपेयर्स के लिए मौजूद है और इसका इनकम टैक्स स्लैब्स कुछ तरह से है-
न्यू टैक्स रिजीम के तहत, सैलरीड टैक्सपेयर्स के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दिया गया है। ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत, स्टैंडर्ड डिडक्शन अभी तक 50,000 रुपये ही बना हुआ है।
ओल्ड और न्यू टैक्स स्लैब्स के बीच फैसला करते समय, अपनी इनकम और इन्वेस्टमेंट्स के अनुसार दोनों को कैलकुलेट करें और सबसे उपयुक्त एक को चुनें।
ओल्ड रिजीम- ओल्ड टैक्स रिजीम में कई तरह के एग्जेंप्शन और डिडक्शन्स दिए जाते हैं, जैसे कि इन्वेस्टमेंट के लिए सेक्शन 80C और बीमा प्रीमियम के लिए सेक्शन 80D के तहत छूट। इसके अलावा, होम लोन इंटरेस्ट और HRA पर डिडक्शन का भी लाभ उठा सकते हैं। ओल्ड टैक्स रिजीम, उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकती है, जिनके पास Significant Deductions हैं।
न्यू टैक्स रिजीम- न्यू टैक्स रिजीम कम रेट्स की पेशकश करके टैक्स प्रोसेस को सरल बनाती है, लेकिन एग्जेंप्शन और डिडक्शन की सेम लिमिट्स प्रदान नहीं करती है। यह उन लोगों के लिए सही रह सकती है, जिनके पास कम इन्वेस्टमेंट है या जो सिंपल टैक्स फाइलिंग पसंद करते हैं, क्योंकि यह टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट्स की जरूरत को खत्म करती है।
किसी भी रिजीम के तहत, अपनी टैक्स लाइबिलिटी की गणना करने के लिए, आपको सबसे पहले अपनी टैक्सेबल इनकम निर्धारित करनी होगी।
ओल्ड रिजीम- अपनी टोटल इनकम से शुरू करें, एप्लीकेबल डिडक्शन्स जैसे- 80C, 80D और दूसरों की गणना करें और संबंधित टैक्स स्लैब्स को नेट टैक्सेबल इनकम पर लागू करें।
न्यू रिजीम- आप अपनी टोटल इनकम के आधार पर टैक्स को कैलकुलेट करें, क्योंकि इस रिजीम में कोई डिडक्शन की अनुमति नहीं है। आपकी टैक्स लाइबिलिटी की गणना पहले बताए गए टैक्स स्लैब के अनुसार सीधे की जाती है।
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सबसे पहले आपको अपनी कंपनी को आपके द्वारा चुनी गई टैक्स रिजीम के बारे में सूचित करना जरूरी है, क्योंकि यह आपकी सैलरी से TDS को प्रभावित करेगा। आपकी कंपनी आपके द्वारा चुनी गई टैक्स रिजीम के आधार पर टैक्स की गणना करेगी, यह सुनिश्चित करते हुए कि आपके टैक्स का सही डिडक्शन किया जाए।
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