हिंदू धर्म में प्रत्येक पूर्णिमा तिथि का अपना अलग महत्व है। ऐसी मान्यता है कि प्रत्येक महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि में व्रत एवं पूजन के अलग नियम हैं और उनका पालन करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। हर महीने एक पूर्णिमा तिथि होती है और इस प्रकार पूरे साल में 12 पूर्णिमा तिथियां मनाई जाती हैं। वहीं जिस साल मलमास होता है उस साल 13 पूर्णिमा तिथियां मनाई जाती हैं।
हर एक पूर्णिमा तिथि का अपना विशेष महत्त्व है और प्रत्येक पूर्णिमा तिथि को अलग -अलग ढंग से मनाया जाता है। इसी क्रम में वैशाख मास में पड़ने वाली पूर्णिमा को वैशाखी पूर्णिमा या बुध पूर्णिमा कहा जाता है। यह पूर्णिमा तिथि अपने आप में ही ख़ास है क्योंकि इस दिन को भगवान् विष्णु के नौवें अवतार महात्मा बुध का अवतरण हुआ था। आइए विश्व के जाने माने ज्योतिर्विद पं रमेश भोजराज द्विवेदी जी से जानें इस साल कब पड़ेगी बुध पूर्णिमा और महत्व क्या है।
बुद्ध पूर्णिमा वैशाख महीने की आखिरी तिथि होती है। इसे बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष भगवान बुद्ध की 2584 वीं जयंती है. चूंकि बुद्ध पूर्णिमा की तिथि एशियाई चंद्र-सौर कैलेंडर पर आधारित है, इसलिए बुद्ध पूर्णिमा की तारीख हर साल बदलती रहती है।
सभी धर्मों के लोग गौतम बुद्ध के जन्मदिवस को बुद्ध जयंती के रूप में मनाते हैं। गौतम बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना जाता है और उनका पूजन बुद्ध पूर्णिमा के दिन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान बुद्ध एक राजकुमार सिद्धार्थ गौतम के रूप में, 563 ईसा पूर्व में पूर्णिमा के दिन अवतरित हुए थे। उनका जन्म लुंबिनी में हुआ था और उस दिन वैशाख महीने की पूर्णिमा तिथि होने के कारण इस दिन को उनका जन्म दिन मनाया जाने लगा।
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बुद्ध पूर्णिमा के दिन बौद्ध समुदाय के लोग मठ प्रार्थना करते हैं, मंत्रोच्चार करते हैं, ध्यान करते हैं और उपवास करते हैं। सनातन धर्म के लोग इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और चंद्र दर्शन करते हैं एवं चन्द्रमा की पूजा भी करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस पूर्णिमा तिथि के दिन (पूर्णिमा के दिन करें ये काम) पवित्र नदी में स्नान किया जाता है। गंगा जैसी किसी पवित्र नदी में स्नान अत्यंत फलदायी माना होता है।
बुद्ध पूर्णिमा को न सिर्फ सनातन धर्म के लोग बलि बौद्ध धर्म के लोग बहुत ही बड़े ही उत्साह के साथ मनाते हैं। बुध पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा अपनी समस्त कलाओं ये युक्त होता है इसलिए इस दिन चंद्र दर्शन को फलदायी माना जाता है। भगवान बुद्ध से अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया था. उन्होंने 45 वर्षों तक लगातार 'धर्म', अहिंसा का पाठ पढ़ाया। इसलिए इस पूर्णिमा तिथि के दिन बुद्ध भगवान का पूजन फलदायी माना जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार भगवान श्रीकृष्ण के परम मित्र सुदामा जब द्वारका में उनसे मिलने आए तो भगवान ने उन्हें इस व्रत का महत्व बताया। इस व्रत के प्रभाव से ही सुदामा की दरिद्रता दूर हो गयी। तब से इस व्रत को अत्यंत फलदायी माना जाता है और ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है।
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इस साल की बुद्ध पूर्णिमा तिथि और ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगेगा। 16 मई को वैशाख(वैशाख महीने में करें ये काम) पूर्णिमा की तिथि, विशाखा नक्षत्र और वृश्चिक राशि में चंद्र ग्रहण लगेगा। यह चंद्र ग्रहण पूर्ण चंद्रग्रहण होगा। इस दिन बुद्ध पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण परिघ योग में मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं में चंद्र ग्रहण का विशेष महत्व होता है। हालांकि यह चंद्रग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा लेकिन भारतीय समय के अनुसार 16 मई को सुबह 08 बजकर 59 मिनट से शुरू होकर सुबह 10 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। इस दिन नदी स्नान करना और दान पुण्य करना अत्यंत फलदायी होगा।
इस प्रकार बुद्ध पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है और इस दिन का पूजन अत्यंत फलदायी माना जाता है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit: freepik and unsplash
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