हिंदू धर्म और कई अन्य धर्मों में पूजा के लिए दीपक का इस्तेमाल किया जाता है। दीपक की रोशनी अंधकार, शोक और दुखों को दूर करने का प्रतीक है। घरों से अंधकार को दूर करने के लिए तेल का दीपक, दीया या दीपम जलाया जाता है। इसके अलावा, किसी भी शुभ अवसर या सेरेमनी को शुरू करने से पहले दीपक जलाने की प्रथा है और भारत में हर घर में पूजा के लिए ऐसा निरंतर किया जाता है।
कहा जाता है कि दीपक जलाकर, सर्वशक्तिमान की चमक पूरे घर में फैल जाती है और देवताओं को हमारे घरों में आने का निमंत्रण देती है। साथ ही दीयों से निकलने वाली रोशनी सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने और शांति और समृद्धि बढ़ाने के रूप में काम करती है। दिवाली के दिन तो खासतौर पर घर को रोशन करने के लिए दीये जलाए जाते हैं ताकि घर को रोशनी से भरपूर करके मां लक्ष्मी का स्वागत किया जाए।
यद्यपि दीपक जलाने के लिए किसी विशेष तेल का इस्तेमाल करना व्यक्तिगत पसंद है। लेकिन आज हमारी एक्सपर्ट Life Coach and Astrologer, Sheetal Shaparia आपको व्यक्तिगत अनुभव और ज्ञात तथ्यों के अनुसार विशेष तेलों के इस्तेमाल के फायदों के बारे में बता रही हैं।
देसी घी
पूजा और दीप जलाने के लिए गाय का घी सबसे अच्छा माना जाता है। लेकिन आजकल देसी घी के नाम पर जो बाजार में बिकता है वह देसी घी नहीं है। शुद्ध घी देशी नस्ल का होना चाहिए। यदि घी को वैदिक प्रक्रिया द्वारा तैयार किया जाता है तो यह सकारात्मक ऊर्जा से आध्यात्मिक रूप से एक्टिव हो जाता है, इस प्रकार कुल शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक सद्भाव स्थापित होता है।
घी का दीपक अनाहत चक्रों को शुद्ध करता है। गाय के घी से दीपक जलाने से आस-पास के वातावरण में सकारात्मक स्पंदन आकर्षित होते हैं। इससे दरिद्रता भी दूर होती है और धन, परिवार के स्वास्थ्य में सुधार होता है। इससे देवी महालक्ष्मी की कृपा भी मिलेगी।
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पंच दीपम तेल
घर से सभी बुराईयों को दूर करने और ज्ञान और स्वास्थ्य के लिए पंच दीपम तेल के दीपक को जलाने की सलाह दी जाती है। पंच दीपम तेल सही और शुद्ध अनुपात में 5 तेलों का मिश्रण होता है। इन 5 तेलों में से प्रत्येक का अपना महत्व है और शुद्धतम अर्थों में सही अनुपात में मिलाया जाना चाहिए।
पंच दीपम तेल से दीपक जलाने सेआपके घर में सुख, स्वास्थ्य, धन, प्रसिद्धि और समृद्धि आती है। एक आदर्श पंच दीपम तेल में तिल का तेल या नारियल का तेल (35%), गाय का घी (20%), महुआ तेल (20%), अरंडी का तेल (15%) और नीम का तेल (10%) होना चाहिए, हालांकि यह बाजार में अन्य अनुपात में भी उपलब्ध होता है। यह दीपक जलाने के लिए गाय के घी के बाद दूसरा सर्वश्रेष्ठ है।
तिल का तेल
तिल का तेल को अधिक लोकप्रिय रूप से जिंजेली तेल के रूप में जाना जाता है। तिल के दीपक जलाने से दोष समाप्त हो जाते हैं। तिल का तेल दीर्घकालिक समस्याओं को दूर करने में मदद करता है और किसी के जीवन से बाधाओं को दूर करता है। यह पंच दीपम तेल से सस्ता होता है, लेकिन सरसों के तेल से महंगा होता है।
नारियल का तेल
दक्षिण भारत में नारियल तेल, तेल का काफी लोकप्रिय विकल्प है। कहा जाता है कि पूजा के दीयों में इसका प्रयोग करने से गणेश जी प्रसन्न होते हैं। नारियल तेल का शुद्धतम रूप बाजार में आसानी से उपलब्ध है।
सरसों का तेल
दीपक जलाने के लिए सरसों का तेल सबसे लोकप्रिय विकल्प है क्योंकि यह हर जगह आसानी से उपलब्ध है और जेब के अनुकूल है। दीया जलाने के लिए सरसों के तेल का प्रयोग करने से शनि ग्रह से संबंधित दोष दूर होते हैं और रोगों से भी बचाव होता है। बाजार में उपलब्ध किसी भी अन्य प्रोडक्ट की तरह सरसों का तेल शुद्ध से लेकर मिश्रित तक कई गुणों में आता है।
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अन्य तेल
हालांकि, नीम, अरंडी, चमेली का तेल आदि कम लोकप्रिय तेल हैं जिनका उपयोग दीयों को जलाने के लिए किया जाता है, लेकिन इनका उपयोग किया जा सकता है। अधिकतर बार इन्हें सुचारू उपयोग के लिए अन्य तेलों के साथ मिश्रित किया जाता है।
दीयों को जलाने के लिए कृपया मूंगफली का तेल, सूरजमुखी का तेल, पाम ऑयल, वनस्पति तेल, राइस ब्रान तेल, सिंथेटिक तेल, कॉटन बीज का तेल आदि का उपयोग करने से बचें।
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इस तरह से आप भी इन तेलों का इस्तेमाल करके दीयों को जलाकर अपने घर को अच्छे से रोशन कर सकती हैं। इस तरह की और जानकारी पाने के लिए हरजिंदगी से जुड़ी रहें।
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