बैंक ग्राहकों के लिए हाल ही में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जो उनकी सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लागू किए गए हैं। इन बदलावों में से एक खास बदलाव यह है कि अब बैंक अकाउंट होल्डर अपने अकाउंट में नॉमिनी को लेकर है।इसके अलावा, कई अन्य नियमों में भी बदलाव किए गए हैं, जैसे केवाईसी (KYC) प्रोसेस, न्यूनतम बैलेंस की नई पॉलिसी, आरटीजीएस, एनईएफटी की नई फीस स्ट्रक्चर और ऑनलाइन ट्रांजैक्शन से जुड़े सिक्योरिटी सिस्टम को और मजबूत किया गया है। ये बदलाव बैंक ग्राहकों को न केवल सुविधा देते हैं बल्कि उनके फाइनेंशियल ट्रांजैक्शंस को सुरक्षित और ट्रांसपेरेंट भी बनाते हैं। इस लेख में हम आपको उन्हीं नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं।
बैंक नियमों में किए गए बदलाव
लोकसभा ने मंगलवार को बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित कर दिया, जो बैंक होल्डर को अपने अकाउंट में अधिकतम चार लोगों को नॉमिनी करके के लिए अनुमति देता है।
बैंकिंग कानून में संशोधित होने के बाद, खाता धारकों को अपने शेयरों के साथ एक साथ भी अधिकतम चार नॉमिनी को जोड़ने की परमिशन मिल गई है।
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सहकारी बैंकों में निदेशकों के कार्यकाल में किया गया बदलाव
विधेयक में प्रस्तावित संशोधनों की मुख्य विशेषताओं के बारे में बताते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि "बीआर अधिनियम में संशोधन करके substantial interest यानी पर्याप्त हित को फिर से परिभाषित किया गया है, जिसके तहत किसी व्यक्ति द्वारा बेनिफिशियल इंटरेस्ट की शेयर होल्डिंग की लिमिट को 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये किया गया है, ताकि वर्तमान मूल्य को दर्शाया जा सके।
भारत की बैंकिंग सिस्टम को लेकर निर्मला सीतारमण ने आगे कहा कि आज देश के लगभग सभी व्यावसायिक बैंक पेशेवर तरीके से चल रहे हैं। दशकों पहले बैंकों का राष्ट्रीयकरण किए जाने का प्रॉफिट आज अधिक देखने को मिल रहे है। बात को आगे बढ़ाते हुए हुए उन्होंने कहा कि साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद से बैंकिंग फील्ड में सर्तकता के साथ आगे बढ़ा जा रहा है।
साथ ही इसे आगे सतत रूप से चलाने के अनेक प्रयास आज फायदेमंद साबित हो रहे हैं। जहां दुनिया भर की बैंकिंग प्रणाली बिखरती हुई नजर आ रही है, तो वहीं भारत के लिए उसकी वर्तमान की बैंकिंग व्यवस्था एक उपलब्धि का विषय है। वहीं आगे कहा कि महिलाओ, गरीबों और ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों तक बैंक सुविधा का लाभ पहुंचाने का उद्देश्य आज पूरा होता दिखाई दे रहा है। देश में 68 प्रतिशत पीएम मुद्रा ऋण महिलाओं को मुहैया कराया गया है। गांव वाले हिस्से में 12 लाख से अधिक बैंक में से एक लाख से ज्यादा महिलाएं हैं।
इन पांच कानून में किया गया संशोधन
लोकसभा में प्रस्तुत विधेयक में पांच अधिनियमों भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934, बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम), भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम, 1955, बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम, 1970 और बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम, 1980 में संशोधन को पारित किया गया था।
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