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Bada Mangal 2025: बड़ा मंगल और इसके इतिहास की अनसुनी कहानी

हिंदू धर्म में किसी भी महीने का अपना अलग महत्व होता है और हर एक माह में कुछ विशेष तीज-त्योहार मनाए जाते हैं। ऐसे ही ज्येष्ठ महीने के सभी मंगल बड़े मंगल के नाम से जाने जाते हैं। आइए जानें आखिर क्यों इन सभी मंगल को बड़ा मंगल कहा जाता है और इनका इतिहास क्या है।
Editorial
Updated:- 2025-05-19, 12:12 IST

हिंदू धर्म शास्त्रों में हर एक दिन का अपना अलग महत्व होता है और हर एक दिन किसी न किसी भगवान की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि यदि प्रत्येक दिन ईश्वर की भक्ति की जाती है तो पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। ऐसे ही मंगलवार के दिन को हनुमान जी से जोड़ा जाता है और इस दिन हनुमान जी की पूजा से विशेष लाभ मिलता है। मंगलवार को यदि भक्त हनुमान जी को चोला चढ़ाते हैं और उनके मंत्रों का जाप करते हैं तो सदैव खुशहाली बनी रहती है। वहीं पूरे साल में ज्येष्ठ महीने में पड़ने वाले चार या पांच मंगलवार कुछ खास माने जाते हैं और इनका अपना अलग ही महत्व होता है।

वहीं इन सभी मंगलवार को बड़ा मंगल कहा जाता है। इनमें विशेष रूप से राम भक्त हनुमान की पूजा की जाती है। ज्येष्ठ महीने के सभी मंगल को बड़ा मंगल कहने के पीछे का इतिहास क्या है? इन्हें इसी नाम से क्यों जाना जाता है और इनका महत्व क्या है? आइए ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ.आरती दहिया से जानें कि बड़ा मंगल की कहानी  इसका महत्व और इसकी शुरुआत से जुड़ी कई विशेष बातों के बारे में। 

बड़ा मंगल का इतिहास क्या है?

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बड़ा मंगल मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के लखनऊ में मनाया जाने वाला एक पर्व है। यह पर्व लखनऊ की गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक माना जाता है और कहा जाता है कि इसकी शुरुआत आज से लगभग 400 साल पहले मुगल शासन के दौरान हुई थी। बड़े मंगलवार को हिंदू ही नहीं बल्कि अन्य धर्म के लोग भी बड़े धूमधाम से मनाते हैं। इसकी कहानी के अनुसार एक बार नवाब मोहम्मद अली शाह के पुत्र बहुत बीमार पड़ गए। तब उनकी पत्नी ने अपने पुत्र का इलाज कई जगह करवाया परंतु कोई लाभ नहीं हुआ।

इसके पश्चात लोगों ने उनकी पत्नी को अपने पुत्र की कुशलता के लिए लखनऊ के अलीगंज में स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर में जाने और वहां हनुमान जी की पूजा करते हुए मन्नत मांगने की सलाह दी। नवाब ने वैसा ही किया और उनका बेटा भी पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गया। इसके बाद नवाब और उनकी पत्नी ने हनुमान मंदिर की मरम्मत करवाई। मंदिर की मरम्मत का काम पूरा होने के बाद ज्येष्ठ महीने के हर मंगलवार को शहर वासियों को पानी और गुड़ का शरबत बांटा गया। तभी से बड़े मंगल की शुरुआत हुई और आज भी बड़ा मंगल के दिन लखनऊ समेत अन्य स्थानों पर भी शरबत बांटा जाता है।

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बड़ा मंगल का महत्व क्या है?

बड़ा मंगल को बुढ़वा मंगल के नाम से भी जाना जाता है और ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान हनुमान की पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। बड़े मंगलवार के दिन लखनऊ के अलीगंज हनुमान मंदिर समेत अन्य मंदिरों में भी भंडारे का आयोजन होता है।

कहा जाता है कि इस माह के सभी मंगलवार जो भक्त हनुमान जी की पूजा और व्रत करता है उनके सभी कष्ट दूर हो सकते हैं। इस दिन पूजन करने से जीवन की नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है और घर में खुशहाली आती है। यही नहीं इस दिन की पूजा से घर में सुख समृद्धि भी बनी रहती है और बिगड़े काम भी बनने लगते हैं। इस दिन हनुमान चालीसा का पाठ करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। 

ज्येष्ठ महीने में ही बड़ा मंगल क्यों मनाया जाता है?

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सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी पहली बार प्रभु श्री राम से ज्येष्ठ महीने के मंगलवार के दिन ही मिले थे। तभी से यह मान्यता है कि इस महीने के सभी मंगलवार के दिनों को बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल के नाम से जाना जाता है। इस दिन मंदिरों में कीर्तन होते हैं, भक्तों के लिए भंडारों का आजोजन मिलता है। जगह-जगह पर प्याऊ लगवाए जाते हैं।

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बड़ा मंगल कैसे मनाया जाता है?

ऐसी मान्यता है कि ज्येष्ठ महीने के मंगवार के दिन भक्तजन मंदिरों में भंडारा कराते हैं। हलवा-पूरी, आलू-कचौरी, छोला-चवाल, कढ़ी चावल से लेकर जूस तक भंडारे में कई तरह का स्वादिष्ट प्रसाद बांटा जाता है। ज्येष्ठ के महीने में 4 या 5 मंगलवार होते हैं जिनमें सुंदरकांड का पाठ करना फलदायी माना जाता है। इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा का विधान है, लेकिन यदि आप मंदिर नहीं जा पाते हैं तब भी घर पर ही हनुमान जी का पूजन करें। ऐसा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। 

यदि आप भी भक्ति में लीन होकर हनुमान जी की पूजा करना चाहते हैं तो बड़ा मंगल का दिन आपके लिए अत्यंत शुभ है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

Image Credit: freepik.com

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