सनातन परंपरा में धर्म ग्रंथों, पुराणों, चलिसाओं, कवचों, स्तोत्रों आदि के बारे में यह बताया गया है कि इन्हें कब पढ़ना चाहिए और कब नहीं पढ़ना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि हर अलग-अलग समय या दिन पर इन्हें पढ़ने का अलग-अलग प्रभाव जीवन पर पड़ता है। इसी कड़ी में सुंदरकांड का पाठ कब करना चाहिए तो ये तो हम आपको पहली ही बता चुके हैं लेकिन आज हम आपको इस लेख में बताएंगे कि सुंदरकांड का पाठ किस समय और किस तिथि पर भूल से भी नहीं करना चाहिए नहीं तो इससे अशुभ परिणाम देखने को मिल सकते हैं। आइये जानते हैं ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।
कब न करें सुंदरकांड का पाठ?
ज्योतिष शास्त्र और धर्म-ग्रंथों के अनुसार, सुंदरकांड का पाठ समय के मुताबिक रात को नहीं करना चाहिए। वहीं, तिथि के मुताबिक अमावस्या पर नहीं करना चाहिए और किसी पर्व या आयोजन के मुताबिक तेरहवीं पर नहीं करना चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार, सुंदरकांड का पाठ रात के समय इसलिए नहीं करना चाहिए क्योंकि सनातन परंपरा में रात को किया गया कोई भी पूजा-पाठ या अनुष्ठान तांत्रिक श्रेणी में चला जाता है और गृहस्थ व्यक्ति के जीवन में अशुभता आने लगती है।
रात्रि के समय सिर्फ उन्हीं तिथियों पर और वही पूजा-पाठ करना चाहिए जिसके लिए शास्त्रों में मान्यता है। उदारण के तौर पर दिवाली, दशहरा, करवा चौथ आदि ये वो पर्व या व्रत हैं जिनकी पूजा रात में करने से किसी भी प्रकार की अशुभता नहीं आती है।
वहीं, तिथि के अनुसार अमावस्या पर इसलिए सुंदरकांड का पाठ नहीं करना चाहिए क्योंकि यह तिथि खाली होती है और इस दिन हनुमान जी विश्राम अवस्था में होते हैं। इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी मौजूद है जिसके बारे में आइये जानते हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार हनुमान जी का राहु के साथ भयंकर युद्ध छिड़ गया था। तब हनुमान जी से बचनेके लिए राहु कहीं छुप गया था। हनुमना जी कई दिनों तक राहु को ढूंढते रहे लेकिन जब वह थक गए तो उन्होंने एक दिन आराम किया।
यह भी पढ़ें:हनुमान जी को चोला किस विधि से चढ़ाएं, जानें नियम
वही एक दिन अमावस्या की तिथि थी। इसी कारण से हनुमान जी की पूजा या उनके किसी भी स्तोत्र-कवच का पाठ किसी भी अमावस्या पर नहीं किया जाता है। वहीं, तेरहवीं पर अक्सर लोग सुंदरकांड का पाठ कराते हैं ताकि मृतक के लिए शुभ हो।
इसके अलावा, जिस घर में मृत्यु हुई है उस घर की भी नकारात्मक ऊर्जाओं से रक्षा हो लेकिन तेरहवीं के दिन सुंदरकांड का पाठ कराने से कोई लाभ नहीं मिलता है उसका कोई शुभ प्रभाव नहीं होता। तेरहवीं के अगले दिन से आप सुंदरकांड पढ़ सकते हैं।
अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं और अपना फीडबैक भी शेयर कर सकते हैं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
image credit: herzindagi
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों