कभी बैंक के कामकाज में तो कभी दफ्तर या प्रॉपर्टी के कागजात पर आपको सिगनेचर यानि हस्ताक्षर करने पड़ते होंगे। मगर, क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश की कि आपके हस्ताक्षर करने का अंदाज आपकी सेहत पर भी असर डालता है। शायद आपने उस अंदाज में कभी सोचा ही नहीं होगा। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री की माने तो, ‘नौ ग्रह होते हैं। इन ग्रहों का संबंध व्यक्ति की लिखावट, लेखन शैली और हस्ताक्षर से भी होता है। ग्रहों को मजबूत बनाए रखना हर व्यक्ति के लिए सेहत, धन और सुख शांति के नजरिए से बहुत ही जरूरी है। वैसे ग्रहों को मजबूत बनाए रखने के बहुत सारे उपाय हैं मगर, आप अपने हस्ताक्षर में थोड़ा बदलाव करके भी ग्रहों को अपने अनुकूल बना सकते हैं। इसका सबसे ज्यादा असर आपकी सेहत पर पड़ता है।’ आइए जानते हैं कैसे।
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हस्ताक्षर की तीन श्रेणियां होती हैं
हस्ताक्षर में अक्षरों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है। यह श्रेणियां प्रथम भाग, मध्य भाग एवं अंतिम भाग हैं। यह तीनों भाग व्यक्ति को रोगों से बचाते हैं। आइए जानते हैं कैसे-
प्रथम भाग
हस्ताक्षर के प्रथम भाग यानि आगे के हिस्से में जिसमें हस्ताक्षर का पहला अक्षर होता है यह अमूमन लोग अपनक फर्स्ट नेम के अक्षर से शुरू करते हैं। कुछ लोग अपने नाम के आगे टाइटल नेम या अपना सरनेम भी लगाते हैं। अगर हस्ताक्षर विज्ञान की मानें तो हस्ताक्षर के प्रथम भाग का अन्य दो भागों से ज्यादा अधिक महत्व है क्योंकि इसका असर व्यक्ति की मस्तिष्क और मन पर पड़ता है। यह व्यक्ति के मानसिक संतुलन को परिभाषित करता है। वैसे हस्ताक्षर के प्रथम भाग का असर कुछ और खास अंगों पर पड़ता है। इनमें चेहरे के सभी अंग, गर्दन, छाती, दिल आदि आते हैं। आपको अपने हस्ताक्षर के प्रथम शब्दों को स्पष्ट लिखना चाहिए। जो लोग ऐसा नहीं करते हैं वह मानसिक तौर पर कहीं न कहीं परेशान होते हैं। उनकी सोच पर इसका गहरा असर पड़ता है। इससे डिप्रेशन, ब्रेन ट्यूमर और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का भी पता लगाया जा सकता है। अगर आपको इन रोगों से बचना है तो आपको अपने हस्ताक्षर का पहला अक्षर साफ और स्पष्ट लिखना चाहिए। आपको अपने हस्ताक्षर में किसी भी प्रकार के बिंदुओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए।उंगलियों की बनावट बताएगी क्या है व्यक्ति का स्वभाव
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मध्य भाग
यह आपके हस्ताक्षर के मध्य के अक्षर को हस्ताक्षर का मध्य भाग कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र में ऐसा कहा जाता है कि हस्ताक्षर का मध्य हिस्सा व्यक्ति की वासना शक्ति को दर्शता है। इस शक्ति को बनाए रखने के लिए पुरूषों को हस्ताक्षर के मध्य भाग को दक्षिण की ओर बढ़ाना चाहिए और स्त्रियों को उत्तर की ओर बढ़ाना चाहिए। हथेली के तिल होते हैं शुभ, जानें किस स्थान पर तिल होने का क्या होता है फायदा
अंतिम भाग
हस्ताक्षर का अंतिम भाग भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। ज्यादातर लोग अपने हस्ताक्षर के अंतिम भाग में चिन्ह या रेखा खींच देते हैं। मगर कुछ लोग अच्छी तरह से पूरा नाम लिखते हैं। मगर, इससे आपके स्वास्थ्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। मगर आप अगर हस्ताक्षर के अंतिम अक्षर को बड़ा या लंबा लिखते हैं तो इसका असर गाठों पर पड़ता है। खासतौर पर ऐसे लोगों के पैरों में दर्द रहता है।
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