हाल ही में अभिनेत्री तिलोत्तमा शोम ने दिल्ली में छेड़छाड़ के अपने अनुभव को साहसपूर्वक एक इंटरव्यू में साझा किया। इससे राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा पर बहस की एक और लहर उठ खड़ी हुई। तिलोत्तमा ने जो घिनौना किस्सा बताया, वह एक निजी किस्सा नहीं है, बल्कि इसे कई महिलाओं ने अपने जीवन में भी एक्सपीरियंस किया होगा। महिलाओं के आगे आने वाली चुनौतियां इस किस्से से एक बार फिर उजागर हो गई हैं। दिल्ली शहर जिसे अक्सर देश का दिल कहा जाता है, महिलाओं के लिए घंटी से कम नहीं है।
दिल्ली अपने आर्किटेक्चर के लिए जानी जाती हैं। इतिहास के भव्य घटनाओं को समेटे हुई इस दिल्ली में हर दूसरे दिन हुए ऐसे मामले कितना शर्मनाक है। यह घटना परेशान करती है और फिर एक बार सवाल खड़ा करती है उन वादों पर जो महिला सुरक्षा को लेकर किए जाते हैं।
दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा की कहानी बहुआयामी है, जो जटिल सामाजिक-सांस्कृतिक गतिशीलता से जुड़ी हुई है। वहीं, आकड़े एक गंभीर पृष्ठभूमि प्रदान करते हैं। ये तो हम सब जानते हैं कि दिल्ली लगातार महिलाओं के खिलाफ अपराध में उच्च स्थान पर बनी हुई है। इनमें भी वो डेटा आपको कहीं नहीं मिलेगा, जो महिलाएं अनुभव करती हैं, क्योंकि काफी सारी घटनाओं की शिकायत भी नहीं की जाती है। महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बात करने से पहले आइए जानते हैं कि तिलोत्तमा शोम के साथ क्या घटना हुई थी।
दिल्ली में लड़कों ने किया मशहूर एक्ट्रेस को मोलेस्ट
हाल ही में एक इंटरव्यू में उन्होंने दिल्ली में अपने साथ हुई एक चौंकाने वाली घटना का खुलासा किया था। तिलोत्तमा ने इंटरव्यू में बताय था, "सर्दियों का मौसम था। शाम का वक्त था और अंधेरा हो चुका था। मैं बस स्टॉप पर बस का इंतजार कर रही थी। तभी एक कार आकर रुकी। उसमें से छह लड़के उतरे और वह कमेंट करने लग गए।" तिलोत्तमा शोम ने कहा कि उन्हें असहज महसूस हुआ, इसलिए वे उनसे थोड़ा दूर हो गईं। मगर लड़के उन्हें परेशान करते रहे। कुछ कैट कॉलिंग कर रहे थे, तो किसी ने पत्थर मारने शुरू किया।
य़ह देख तिलोत्तमा ने लिफ्ट लेने का फैसला लिया। वह घटना को रिकॉल करते हुए कहती हैं, "आखिरकार एक मेडिकल साइन वाली कार रुकी। मुझे लगा कि मैं बच गई, लेकिन गाड़ी कुछ दूर चली ही थी कि ड्राइवर ने अपनी पैंट की जिप खोली और मेरा हाथ जबरदस्ती अपने प्राइवेट पार्ट की ओर ले गया।" तिलोत्तमा शोम को बहुत गुस्सा आया, मगर उन्हें डर भी लग रहा था। उन्होंने हाथ झटकते हुए ड्राइवर को मारा। ड्राइवर गुस्से में आ गया और उसने गाड़ी रोककर उन्हें कार से उतरने के लिए कहा।
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महिलाओं को रहता है सुरक्षा का डर
अगर आप सरकारी आंकड़े देखें, तो आपको पता लगेगा महिलाओं के साथ हुई विभत्स घटनाएं या मोलेस्टेशन के केस किस तरह से बढ़ रहे हैं। इसके अलावा, यूनाइटेड नेशन्स की तरफ से दिल्ली में एक सर्वे किया गया था।
सर्वे के मुताबिक, दिल्ली में सिर्फ 5 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं जिन्हें सुरक्षित महसूस होता है। इस सर्वे के आधार पर यह कैसे माना जा सकता है कि देश की राजधानी में महिलाएं सुरक्षित महसूस करती हैं।
मूल कारणों पर ध्यान देना है जरूरी
समस्या की गंभीरता को समझने के लिए, यह जानना महत्वपूर्ण है कि सुरक्षा सिर्फ शारीरिक सुरक्षा से कहीं बढ़कर है। दिल्ली की कई महिलाएं शहर की सड़कों पर खुले आम घूम भी नहीं सकती है। उनकी सेफ्टी उनके अपने हाथों में नहीं है, इसलिए जरूरी है प्रभावी पुलिसिंग की।
लोगों का मानना है कि महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना पूरी तरह से लॉ एन्फॉर्समेंट का मुद्दा है। हालांकि, प्रभावी पुलिसिंग और त्वरित न्याय महत्वपूर्ण हैं, लेकिन वे समाधान का केवल एक हिस्सा हैं। इसमें प्रगति तभी होगी, जब मुख्य कारणों पर भी ध्यान दिया जाएगा। ये कारण पितृसत्ता, अपर्याप्त सार्वजनिक बुनियादी ढांचा और एक ऐसी संस्कृति को संबोधित करता है जो अपराधी के बजाय पीड़ित को दोषी ठहराती है।
सरकार के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह यौन हिंसा के खिलाफ संवेदनशील हो और निर्णायक कार्रवाई करे। कानून को मजबूत करना और सख्ती से लागू करना इस तरह की स्थिति में स्पष्ट संदेश देगा।
मीडिया और संस्कृति यह तय करती है कि लोग लैंगिक भूमिकाओं और स्वीकार्य व्यवहार को किस तरह देखते हैं। महिलाओं को बदलाव के एजेंट्स के रूप में दिखाना और रूढ़िवादिता को चुनौती देना एक अधिक इंक्लूसिव समाज बनाने में मदद करता है।
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महिलाओं की सुरक्षा के बारे में सार्वजनिक चर्चा आखिर तभी क्यों होती है, जब दिल को दहला देने वाला कोई किस्सा सामने आता है।
तिलोत्तमा शोम की कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि वास्तव में क्या हो रहा है और हमें क्या कदम उठाने चाहिए। आगे चुनौतियां हैं, लेकिन उनसे किस तरह से निपटना है यह कानून और सरकार को सोचने की आवश्यकता है।
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