जब भी आपको नई नौकरी मिलती है तो ऐसा लगता है जैसे सब कुछ अच्छा होने लगा है। नई नौकरी मिलना और नए ऑफिस में जाना यकीनन एक अलग अहसास होता है। इसी के साथ महीने की सैलरी जब आपके अकाउंट में आती है तब भी ऐसा लगता है कि दुनिया मिल गई हो, लेकिन कई बार सैलरी आने के बाद और नई नौकरी एक्सेप्ट करने के बाद हमें ये पता चलता है कि हमारे साथ नियमों के नाम पर कुछ धोखा सा हो रहा है।
नया जॉब ऑफर कभी भी एक्सेप्ट करने से पहले आपको कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए।
डिजिटल क्रिएटर और इन्फ्लूएंसर तान्या अपाचू (Yourinstalawyer) ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर कुछ खास चीज़ें बताई हैं जो नई जॉब एक्सेप्ट करने से पहले सभी को ध्यान रखनी चाहिए।
भले ही आप फ्रेशर हों या फिर आप एक्सपीरियंस्ड हों नया जॉब कॉन्ट्रैक्ट साइन करने से पहले इन बातों पर जरूर ध्यान दें-
1. इन-हैंड सैलरी-
In Hand Salary यानि वो सैलरी जो आपको हर महीने बैंक अकाउंट में मिलेगी। सबसे पहले जिस चीज़ को लोग अपने ऑफर लेटर में देखते हैं वो होती है CTC (कॉस्ट टू कंपनी), आपकी सीटीसी और इन हैंड सैलरी में काफी अंतर हो सकता है।
ध्यान रखें कि आप एचआर से अपनी सैलरी का पूरा ब्रेकअप ले लें ताकि महीने के आखिर में आपको शॉक ना लगे।
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2. छुट्टियां-
एचआर जो भी छुट्टियां आपको बताता है वो साल भर की छु्ट्टियां एक साथ मिलेंगी, कब से छुट्टियां ले सकते हैं? कहीं ऐसा तो नहीं कि हर महीने की छुट्टी आपके अकाउंट में क्रेडिट होगी? क्या साल के अंत में छुट्टी लैप्स (व्यर्थ) हो जाएगी? क्या छुट्टी को कैश करवा सकते हैं ये सारी बातें एचआर से पहले ही क्लियर कर लें।
3. HR पॉलिसीज-
आप अपने ऑफर लेटर को एक्सेप्ट करने से पहले HR पॉलिसीज के बारे में बात कर लें। सेक्शुअल हैरेस्मेंट, भेदभाव आदि के लिए कंपनी क्या करती है। कंपनी की पॉलिसीज के हिसाब से आपको क्या-क्या सुविधाएं दी जा सकती हैं।
हां, ये ध्यान जरूर रखें कि अगर कोई कानूनी प्रक्रिया है तो उसमें तय नियम ही लागू होगा यानि आप चाहें भी तो भी सेक्शुअल हैरेस्मेंट की शिकायत उसी समय फाइल करनी होगी जो कानून के हिसाब से मान्य है। ये 3 महीने तक वैलिड होती है कंपनी अपने हिसाब से इसे बढ़ा या घटा नहीं सकती है।
4. सोशल सिक्योरिटी फायदे-
आपका PF अकाउंट किस तरह से काम करेगा और कानून ये कहता है कि कंपनी को भी कर्मचारी के पीएफ अकाउंट में हर महीने के हिसाब से कॉन्ट्रिब्यूशन देना होगा। ये आपके कॉन्ट्रैक्ट में दिखना चाहिए। आप इस पॉलिसी के बारे में भी एचआर से साफ कर लें। अधिकतर कंपनियां CTC का हिस्सा ही ये कॉन्ट्रिब्यूशन बना देती हैं।
5. नौकरी से निकाले जाने का क्लॉज-
कई कंपनियां टर्मिनेशन क्लॉज और पॉलिसीज के बारे में लोगों को पहले से ही डिटेल्स नहीं देती हैं, लेकिन ये बहुत जरूरी है। एक तरह से देखा जाए तो ये आपके कॉन्ट्रैक्ट का हिस्सा होता है, लेकिन इसके बारे में लोगों पढ़ना जरूरी नहीं समझते हैं। आपको ये ध्यान रखना है कि आप इसके बारे में ध्यान से बात कर लें। कंपनी के Misconduct क्लॉज को लेकर जानकारी जरूर ले लें।
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6. कॉन्फिडेंशिएलिटी क्लॉज-
हर कंपनी का डेटा उनकी संपत्ति होती है और कई बार कंपनियां अपने कॉन्ट्रैक्ट में कॉन्फिडेंशिएलिटी क्लॉज भी शामिल करती हैं। इसमें ये शामिल होता है कि कर्मचारी कंपनी की पर्सनल जानकारी किसी के साथ शेयर नहीं करेगा।
7. नॉन-कम्पीट क्लॉज-
ये वो क्लॉज होता है जिसके बारे में लोगों को पता नहीं होता और कई लोग लीगल मैटर्स में फंस जाते हैं। इस क्लॉज के हिसाब से कंपनियां आपको अन्य बिजनेस में भी एक साथ काम करने से रोक सकती हैं। हालांकि, कानून कहता है कि अगर ये क्लॉज सही नहीं लग रहा है तो कर्मचारी इसे कोर्ट में चैलेंज कर सकता है।
8. बॉन्ड-
ये एक ऐसा क्लॉज है जो बताता है कि आप कितने समय के लिए उसी कंपनी के साथ बंध गए हैं। दरअसल, ये क्लॉज आपको एक तय अवधि के लिए उसी संस्था से बांधकर रखेगा। बॉन्ड्स की वैलिडिटी को भी कोर्ट में चैलेंज किया जा सकता है, लेकिन आपको ये ध्यान रखना होगा कि आप पहले से सारे क्लॉज अच्छे से पढ़ लें।
कोई भी नया कॉन्ट्रैक्ट साइन करने से पहले ये ध्यान रखें कि ये सारी चीज़ें अच्छे से पढ़ लें। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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