कहा भी गया है कि यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः यानि जहां स्त्रियों का मान-सम्मान किया जाता है, वहां पर देवताओं का वास होता है। सतयुग से लेकर द्वापरयुग तक में जब-जब महिला का अपमान किया गया, तब-तब युद्ध हुए हैं। फिर चाहें, राम-रावण का युद्ध हो या कौरव-पांडवों का युद्ध...हम जब बात रामायण और महाभारत युद्ध की करते हैं, तो हमेशा यही कहते हैं कि अगर रावण ने सीता का हरण नहीं किया होता और दुशासन ने द्रौपदी का चीर हरण नहीं किया होता, तो शायद रामायण और महाभारत का युद्ध नहीं होता।
वहीं दूसरी तरफ, भारतीय इतिहास भी वीरता, प्रेम और सम्मान की पौराणिक कहानियों से पटा पड़ा है, जहां महिलाओं के अपमान का बदला, खोए हुए प्रेम को वापस पाने और नारी उत्पीड़न का विरोध करने के लिए ऐतिहासिक युद्ध लड़े गए। आज हम आपको ऐसे ही कुछ ऐतिहासिक युद्धों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो महिलओं के मान-सम्मान, प्रेम और गरिमा के लिए लड़े गए।
कलिंग का युद्ध (261-260 ईसा पूर्व)
कहा जाता है कि सम्राट अशोक द्वारा लड़ा गया कलिंग का युद्ध उनकी पत्नी कलिंग की राजकुमारी कारुवाकी के सम्मान की रक्षा करने की इच्छा से प्रभावित था। यह युद्ध इतना क्रूर था कि उसके बाद अशोक ने बौद्ध धर्म को अपना लिया था।
रानी वेलु नचियार का विद्रोह (1780-1790)
अपने पति मुथु वदुग्नाथ पेरियाउदय थेवर की मौत का बदला लेने और अपने राज्य को वापस से पाने के लिए रानी वेलु नचियार ने अंग्रेजों के खिलाफ जंग छेड़ी थी। वह ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ जंग छेड़ने वाली पहली रानी थीं।
खैरागढ़ की लड़ाई (1858)
इस युद्ध में महिलाओं ने पुरुषों के साथ मिलकर लड़ाई लड़ी थी, जिनमें से कई लोगों ने अपने घरों और प्रियजनों की रक्षा के लिए ब्रिटिश सेना से लड़ाई लड़ी थी।
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चित्तौड़गढ़ की घेराबंदी(1303)
इतिहासकारों के मुताबिक, दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी, मेवाड़ की रानी और रतन सिंह की पत्नी रानी पद्मिनी की सुंदरता को देखकर मंत्रमुग्ध हो गए थे। खिलजी ने चित्तौड़गढ़ पर धावा बोल दिया था। राजपूतों और मुगल शासकों के बीच एक बड़ा युद्ध हुआ था, जिसमें रानी पद्मिनी और हजारों राजपूत महिलाओं ने जौहर किया था।
एंग्लो-मणिपुर युद्ध (1891)
राज सुरचंद्र को मणिपुर की गद्दी से उतारकर अंग्रेजों ने मणिपुर पर हमला कर दिया था। तब रानी लिनथोइंगंबी ने ब्रिटिश हुकूमत का जमकर विरोध किया था। उन्होंने अपने सम्मान और राज्य की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी थी।
जयपुर की लड़ाई (1708)
जब मुगलों ने कछवाहा राजपूत रानियों को बन्दी बनाकर उन्हें शाही हरम में जबरन शामिल करने की कोशिश की, तो महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने उनके सम्मान की रक्षा के लिए मुगल सेना के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया था।
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तालिकोटा की लड़ाई (1565)
विजयनगर साम्राज्य और दक्कन सल्तनत के बीच तालिकोटा का युद्ध हुआ था। युद्ध के दौरान आक्रमणकारी सेना ने विजयनगर में लूटपाट की थी और शाही महिलाओं को निशाना बनाया था, जिसकी वजह से महिलाओं ने सामूहिक जौहर किया था। हालांकि, इस युद्ध के बाद विजयनगर साम्राज्य का पतन हो गया था।
कित्तूर की लड़ाई (1824)
कित्तूर की रानी चेन्नम्मा ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया था, क्योंकि ब्रिटिश सेना ने उनके दत्तक पुत्र को उत्तराधिकारी के रूप में स्वीकार करने से मना कर दिया था।
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