अगर आपसे आपकी फेवरेट दाल पूछी जाए, तो अमूमन लोगों की जुबान पर बस एक ही दाल का नाम होगा। इस दाल का नाम है अरहर की दाल। अरहर की दाल को लोग पीली वाली और तुवर की दाल के नाम से भी जानते हैं। भारत में यह दाल सबसे ज्यादा खाई जाती है। बाजार में आपको अरहर की दाल कई सारे अच्छे ब्रांड्स में मिल जाएगी।
पंसारियों की दुकान में आपको यह दाल खुली भी मिल जाएगी। इस दाल में कई तरह की वैरायटी आती हैं। वैरायटी के साथ ही दाल का स्वाद भी बदल जाता है। मगर इसके साथ ही साथ बाजार में आने वाली अरहर की दाल में मिलावट भी खूब मिल जाती है।
जाहिर है, मिलावटी दाल का स्वाद अच्छा नहीं होता है और शरीर को भी यह नुकसान पहुंचाती है। लेकिन आमतौर पर केवल दाल की अच्छी समझ रखने वाले लोग ही इस बात की परख कर पाते हैं कि अरहर की दाल में मिलावट है या नहीं है।
अगर आपको भी यह पहचान करने में दिक्कत आती है कि अरहर की दाल असली है या नकली, तो चलिए आज हम आपको इसकी परख करने का आसान तरीका बताते हैं-
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जनरल ऑफ एडवांस फार्मास्यूटिकल टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च (Journal of Advanced Pharmaceutical Technology and Research) के आधार पर भारत में पूरे विश्व के मुकाबले 90% अरहर की दाल की पैदावार होती है और हर वर्ष लगभग 2.68 मिलियन टन अरहर की दाल का उत्पादन होता है। ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि भारत में इस दाल की अच्छी खासी खपत होती है और विदेशों में भी यह दाल एक्सपोर्ट की जाती है।
बाजार में आपको बड़े-छोटे, मोटे-पतले और पीले एवं सफेद रंग के दानों वाली अरहर की दाल मिल जाएगी। दाल कितनी अच्छी है, यह तो उसकी फसल पकने के समय पर निर्भर करता है। आपको बता दें कि अलग-अलग वैरायटी की अरहर की दाल दिखने में भी कभी-कभी अलग सी नजर आती है। इतना ही नहीं, इनमें से अरहर की दाल की कुछ वैरायटी जल्दी पकने वाली होती है, तो कुछ को पकने में समय लगता है। जैसे AL-15, AL 201, AL 882 और PAU 881 आदि कुछ ऐसी वैरायटी हैं, जो जल्दी पक जाती हैं। अगर आप सबसे अच्छी अरहर की दाल की वैरायटी लेना चाहती हैं, तो आपको UPAS-120 अरहर दाल लेनी चाहिए।
आपको बता दें कि यह उत्तर प्रदेश की प्रीमियम अरहर दाल की वैरायटी है। इसे फूल वाली अरहर भी बोलते हैं। बेस्ट बात तो यह है कि बहुत जल्दी गल जाती है। इसके दाने बड़े होते हैं और हल्के पीले रंग के होते हैं। खाने में इसका स्वाद बहुत अच्छा होता है।
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बाजार में आपको पॉलिश की हुई अरहर की दाल ही ज्यादातर मिलेगी। वैसे पॉलिश्ड अरहर की दाल को आप अधिक दिन तक स्टोर करके भी रख सकते हैं। वहीं आप अनपॉलिश्ड दाल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। यह दाल साबुत दाने की होती है और इसमें छिलका भी लगा होता है। पकने के बाद दोनों दलों का स्वाद अलग होता है। मगर नुकसान कोई भी नहीं करती है। फर्क बस इतना है कि पॉलिश्ड दाल में आधे दाने होते हैं और उसके छिलके निकाल दिए जाते हैं। यह दाल दिखने में चमकदार भी होती है। वहीं अनपॉलिश्ड दाल दिखने में छिलकेदार होती है और पकने के बाद इसके छिलके दाल में अलग से नजर आते हैं।
बाजार में अरहर की दाल में जब मिलावट की जाती है, तो उसमें खेसारी दाल मिला दी जाती है। यह दाल हू-ब-हू अरहर की तरह ही नजर आती है, इसलिए मिलावट करने वालों के लिए उनका काम भी आसान हो जाता है। खेसारी की पहचान करना बहुत ही मुश्किल है।
वैसे यह दाल पीले रंग की होती है और आकार में थोड़ी चौकोर होती है। अरहर दाल के मुकाबले यह अधिक चपटी हुई होती है। सेहत के लिए खेसारी के फायदे और नुकसान दोनों ही है। हालांकि, खेसारी मिली अरहर की दाल का स्वाद बहुत ही खराब होता है और इससे पेट में गैस भी बनती है।
उम्मीद है कि अच्छी अरहर की दाल बाजार से कैसे खरीदनी है और इसमें मिलावट की पहचान कैसे करनी है, आपको समझ में आ ही गया होगा। अब आप जब भी बाजार से अरहर की दल खरीदें, तो इन टिप्स को जरूर ध्यान में रखें। इसी तरह और भी फूड हैक्स जानने के लिए पढ़ती रहें हरजिंदगी।
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