Independence Day 2023: जानिए आजाद भारत की पहली महिला रेल मंत्री के बारे में कुछ खास बातें

Independence Day 2023: भारतीय राजनीति में सालों से महिलाएं अहम भूमिका में रहीं हैं। आजाद भारत की पहली महिला रेल मंत्री ने अपने जीवन में संघर्षों को पार किया और अपनी पहचान बनाई। 

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भारतीय राजनीति में महिलाएं सालों से अहम भूमिका निभाती नजर आई हैं। ममता बनर्जी भी उन्हीं राजनीतिज्ञ महिलाओं में एक हैं, जिन्होंने सालों से देश की राजनीति में अपना दबदबा बनाकर रखा है। ममता बनर्जी को देश भर में ‘दीदी’ के नाम से जाना जाता है।

चलिए हम आपको ममता दीदी के जीवन और उनके संघर्ष के बारे में बताएंगे, कि आखिर कैसे बंगाल में जन्मी ममता ने रेल मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक का सफर तय किया।

ममता बनर्जी का जीवन- ममता बनर्जी का जन्म कोलकाता में हुआ। उनके पिता का पोमलेश्वर और मां का नाम गायत्री था। बेहद गरीब परिवार में जन्मी ममता के पिता की मृत्यु तब हुई जब वो महज 17 साल की थीं, जिसके बाद घर की जिम्मेदारी ममता पर भी आ गई।

ममता बनर्जी की शिक्षा

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ममता बनर्जी ने अपनी स्कूली शिक्षा कोलकाता के उच्च माध्यमिक बोर्ड से पूरी की। इसके बाद उन्होंने जोगमाया देवी कॉलेज से इतिहास में स्नातक की डिग्री पूरी की। इसके बाद कलकत्ता विश्वविद्यालय से इस्लामी इतिहास से एमए की डिग्री पूरी की। ममता अपने दौर की पढ़ी लिखी महिलाओं में से एक थी, उस दौर में उन्होंने कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी भुवनेश्वर से डॉक्टरेट की उपाधि मिली, इतनी ही नहीं उन्हे कलकत्ता विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट ऑफ लिटरेचर की डिग्री से सम्मानित किया गया।

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कॉलेज के दिनों से राजनीति में एक्टिव थी ममता

Mamata Banerjee Biography

ममता बनर्जी अपने कॉलेज के दिनों से ही राजनीति में एक्टिव हो गई थीं। जहां 1970 में उन्हें राज्य महिला कांग्रेस के महासचिव का पद संभालने का मौका मिला।

दीदी का राजनीतिक करियर

ममता बनर्जी का असली नाम ममता बन्द्योपाध्याय था। मात्र 15 साल की उम्र में कॉलेज में अध्ययन के दौरान उन्होंने इंडियन नेशनल कांग्रेस की शाखा छात्र परिषद यूनियन की स्थापना की, जिसमें कॉलेज की राजनीति में अपना दबदबा बनाया। कॉलेज के दौरान ममता पश्चिम बंगाल में कांग्रेस पार्टी के भीतर कई राजनीतिक पदों पर कार्यरत रहीं।

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बनी देश की पहली रेल मंत्री

लंबे समय तक कांग्रेस में अलग-अलग पदों पर कार्यरत होने के बाद साल 1999 में ममता देश की पहली रेल मंत्री बनीं। हालांकि यह सरकार कुछ ही समय में गिर गई। इसके बाद साल 2001 से 2003 तक ममता उद्योग मंत्रालय की सलाहकार समिति की सदस्य में रहीं थीं। इसके बाद साल 2004 में ममता कोयला और खानों की की केंद्रीय पद पर काम किया।

बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं दीदी

लंबे समय तक राजनीति में अहम किरदार निभाने के बाद आखिरकार साल 20 मई 2011 को ममता बनर्जी मुख्यमंत्री बनीं, इसके बाद 19 मई 2016 को दोबारा चुनाव हुए, तब भी भारी जीत के साथ ममता दीदी मुख्यमंत्री के पद पर काबिज रहीं। इसके बाद साल 2021 में तीसरी बार मुख्यमंत्री पद के चुनाव हुए, तब भी भारी मतों के साथ ममता जीत गईं।

तो ये थी राजनीतिज्ञ ममता दीदी की कहानी, आपको हमारा यह आर्टिकल अगर पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर करें, साथ ही इस तरह की इंस्पायरिंग स्टोरी के लिए जुड़े रहें हर जिदंगी के साथ।

Image Credit- wikipedia

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