बेशक हमारे देश में क्रिकेट को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता हो और उसके चाहने वाले भी अधिक हों, मगर देश का राष्ट्रीय खेल आज भी हॉकी ही है। क्रिकेट की तरह हॉकी को पसंद करने वालों की भी कमी नहीं है। यही कारण है कि भारत के हॉकी प्लेयर्स खेल में अपना अच्छा प्रदर्शन दिखाने के लिए सभी कुछ दांव पर लगा देते हैं। फिर चाहे वह पुरुष खिलाड़ी हों या महिला खिलाड़ी।
आज हम एक ऐसी ही होनहार महिला हॉकी प्लेयर की बात करने जा रहे हैं, जिन्होंने संघर्ष के हर पैमाने को पार कर देश का नाम रोशन किया है। हम बात कर रहें हैं वंदना कटारिया की, जिनका खेल इस बार हमें टोक्यो ओलंपिक 2021 में भी देखने को मिलेगा।
वंदना को स्टार खिलाड़ी हम यूं ही नहीं कह रहे हैं, बल्कि वंदना इसकी हकदार हैं क्योंकि उन्होंने बहुत संघर्ष देखा है और उनका सामना करने के बाद वह इस मुकाम तक पहुंची हैं। आज हम आपको वंदना से जुड़ी कई रोचक बातें बताएंगे।
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वंदना कटारिया का जन्म 15 अप्रैल 1992 में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुआ था। मगर उनका बचपन हरिद्वार में बीता। वंदना की 3 बहनें और 4 भाई हैं। वंदना के पिता को हमेशा से ही खेल-कूद से लगाव था, वह खुद भी एक पहलवान थे और हमेशा ही अपने सभी बच्चों को खेल-कूद में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते थे। पिता से बढ़ावा मिलने पर ही वंदना का रुझान भी खेल की ओर बढ़ा और उन्होंने हरिद्वार के रोशनाबाद स्टेडियम से खो खो खेलना शुरू किया। मगर अच्छी सुविधा न मिलने पर वंदना लखनऊ के सरकारी स्पोर्ट्स हॉस्टल चली गईं और आगे की ट्रेनिंग वहीं से ली।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि वंदना पहले खो-खो प्लेयर थीं और उन्होंने नेशनल लेवल पर देश के लिए कई खो-खो मैच खेले भी हैं। मगर वर्ष 2002 में वंदना ने अपने करियर की दिशा को मोड़ते हुए खो-खो की जगह हॉकी का चुनाव किया। इसके लिए वंदना के प्रेरणा स्रोत खुद उनके कोच बने। एक लीडिंग मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में यह बात वंदना ने खुद ही कबूल की है। उन्होंने कहा , 'मैं हमेशा से ही खो-खो प्लेयर बनना चाहती थी। मगर मेरी रनिंग बहुत अच्छी थी और यह देखते हुए मेरे कोच ने मुझ से मजाक-मजाक में कहा कि मुझे हॉकी खेलना चाहिए। बस फिर मैंने खो-खो छोड़ कर हॉकी खेलना शुरू कर दिया।'
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हॉकी प्लेयर बनने के लिए वंदना में मेहनत करने का जजबा तो था, मगर इस खेल के लिए ट्रेनिंग लेने के लिए वंदना के पास पैसे नहीं थे। वंदना ने एक लीडिंग मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में भी इस बात का ज़िक्र किया था। उन्होंने बताया था, 'मेरे परिवार में पापा को छोड़ कर और कोई नहीं चाहता था कि मैं खेल में आगे बढ़ूं क्योंकि सब यही सोचते थे कि लड़की हो कर घर से बाहर जाना अच्छा नहीं है। लेकिन पापा को मेरे पर विश्वास था और उनके सपोर्ट से ही मैं आगे बढ़ी।'
आपको बता दें कि वंदना के पिता बीएचएल में काम करते थे और इतना ही कमा पाते थे कि अपने 7 बच्चों और बीवी को एक साधारण जीवन दे सकें। ऐसे में हॉकी के लिए ट्रेनिंग पर बेटी को भेजने के लिए कई बार उन्हें पैसे उधार लेने पड़ते थे।
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हॉकी खेलने के अलावा वंदना नौकरी भी करती हैं। यह नौकरी उन्हें वर्ष 2011 में स्पोर्ट्स कोटे से रेलवे में मिल गई थी। यहां वह टीसी के पद पर हैं।
टोक्यो ओलंपिक में महिला हॉकी टीम 5 मैच खेलेगी, उसकी लिस्ट इस प्रकार है।
24 जुलाई-नीदरलैंड के साथ।
26 जुलाई-जर्मनी के साथ
28 जुलाई-ग्रेट ब्रिटेन के साथ
30 जुलाई-आयरलैंड के साथ
हॉकी प्लेयर वंदना कटारिया से जुड़ी यह जानकारी आपको अच्छी लगी हो, तो इस आर्टिकल को शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह टोक्यो ओलंपिक 2021 में हिस्सा लेने वाली अन्य महिला खिलाड़ियों के बारे में जानने के लिए पढ़ती रहें हरजिंदगी।
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