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Tokyo Olympic 2021: पैसे उधार लेकर पूरी की ट्रेनिंग और बन गईं देश की स्‍टार हॉकी प्‍लेयर

भारतीय महिला खिलाड़ी वंदना कटारिया एक होनहार हॉकी प्‍लेयर हैं। इनके बारे में संपूर्ण जानकारी पाने के लिए यह आर्टिकल जरूर पढ़ें।
Editorial
Updated:- 2021-07-31, 12:54 IST

बेशक हमारे देश में क्रिकेट को सबसे ज्‍यादा महत्‍व दिया जाता हो और उसके चाहने वाले भी अधिक हों, मगर देश का राष्‍ट्रीय खेल आज भी हॉकी ही है। क्रिकेट की तरह हॉकी को पसंद करने वालों की भी कमी नहीं है। यही कारण है कि भारत के हॉकी प्‍लेयर्स खेल में अपना अच्‍छा प्रदर्शन दिखाने के लिए सभी कुछ दांव पर लगा देते हैं। फिर चाहे वह पुरुष खिलाड़ी हों या महिला खिलाड़ी।

आज हम एक ऐसी ही होनहार महिला हॉकी प्‍लेयर की बात करने जा रहे हैं, जिन्होंने संघर्ष के हर पैमाने को पार कर देश का नाम रोशन किया है। हम बात कर रहें हैं वंदना कटारिया की, जिनका खेल इस बार हमें टोक्यो ओलंपिक 2021 में भी देखने को मिलेगा।

वंदना को स्‍टार खिलाड़ी हम यूं ही नहीं कह रहे हैं, बल्कि वंदना इसकी हकदार हैं क्योंकि उन्होंने बहुत संघर्ष देखा है और उनका सामना करने के बाद वह इस मुकाम तक पहुंची हैं। आज हम आपको वंदना से जुड़ी कई रोचक बातें बताएंगे।

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कहां की रहने वाली हैं वंदना कटारिया?

वंदना कटारिया का जन्म 15 अप्रैल 1992 में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुआ था। मगर उनका बचपन हरिद्वार में बीता। वंदना की 3 बहनें और 4 भाई हैं। वंदना के पिता को हमेशा से ही खेल-कूद से लगाव था, वह खुद भी एक पहलवान थे और हमेशा ही अपने सभी बच्‍चों को खेल-कूद में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते थे। पिता से बढ़ावा मिलने पर ही वंदना का रुझान भी खेल की ओर बढ़ा और उन्होंने हरिद्वार के रोशनाबाद स्टेडियम से खो खो खेलना शुरू किया। मगर अच्छी सुविधा न मिलने पर वंदना लखनऊ के सरकारी स्पोर्ट्स हॉस्टल चली गईं और आगे की ट्रेनिंग वहीं से ली।

कैसे मिली हॉकी खेलने की?

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि वंदना पहले खो-खो प्लेयर थीं और उन्होंने नेशनल लेवल पर देश के लिए कई खो-खो मैच खेले भी हैं। मगर वर्ष 2002 में वंदना ने अपने करियर की दिशा को मोड़ते हुए खो-खो की जगह हॉकी का चुनाव किया। इसके लिए वंदना के प्रेरणा स्रोत खुद उनके कोच बने। एक लीडिंग मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में यह बात वंदना ने खुद ही कबूल की है। उन्होंने कहा , 'मैं हमेशा से ही खो-खो प्लेयर बनना चाहती थी। मगर मेरी रनिंग बहुत अच्छी थी और यह देखते हुए मेरे कोच ने मुझ से मजाक-मजाक में कहा कि मुझे हॉकी खेलना चाहिए। बस फिर मैंने खो-खो छोड़ कर हॉकी खेलना शुरू कर दिया।'

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हॉकी प्लेयर बनने के लिए वंदना का संघर्ष

हॉकी प्लेयर बनने के लिए वंदना में मेहनत करने का जजबा तो था, मगर इस खेल के लिए ट्रेनिंग लेने के लिए वंदना के पास पैसे नहीं थे। वंदना ने एक लीडिंग मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में भी इस बात का ज़िक्र किया था। उन्होंने बताया था, 'मेरे परिवार में पापा को छोड़ कर और कोई नहीं चाहता था कि मैं खेल में आगे बढ़ूं क्योंकि सब यही सोचते थे कि लड़की हो कर घर से बाहर जाना अच्छा नहीं है। लेकिन पापा को मेरे पर विश्वास था और उनके सपोर्ट से ही मैं आगे बढ़ी।'

आपको बता दें कि वंदना के पिता बीएचएल में काम करते थे और इतना ही कमा पाते थे कि अपने 7 बच्चों और बीवी को एक साधारण जीवन दे सकें। ऐसे में हॉकी के लिए ट्रेनिंग पर बेटी को भेजने के लिए कई बार उन्हें पैसे उधार लेने पड़ते थे।

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वंदना की उपलब्धियां

  • वंदना ने वर्ष 2005 में यूपी की तरफ से अपना पहला हॉकी मैच खेला था। इसके बाद वर्ष 2006 में उन्हें भारत की जूनियर महिला हॉकी टीम में शामिल कर लिया गया था।
  • वंदना को भारत की नेशनल महिला हॉकी टीम में वर्ष 2009 में शामिल किया गया।
  • वर्ष 2013 में जर्मनी में खेले गए जूनियर वर्ल्ड कप में भारत को कांस्य दिलाने वाली टीम में वंदना भी थीं। इस टूर्नामेंट में वंदना भारतीय टीम की टॉप खिलाड़ी थीं, उन्होंने 4 गेम में 5 गोल किए थे।
  • वर्ष 2014 में एशियन गेम्‍स और वर्ष 2016 में रियो ओलंपिक में भी वंदना का बेहतरीन प्रदर्शन देखा गया था।
  • वर्ष 2014 में ही वंदना कनाडा में हुए कॉमनवेल्थ गेम्‍स में भी नेशनल टीम का हिस्‍सा थीं।
  • वर्ष 2016 में वंदना को ऑस्ट्रेलिया में खेली गई टेस्ट सीरीज में टीम का स्किपर बनने का भी मौका मिला
  • एशियन चैंपियन ट्रॉफी में भारतीय हॉकी टीम ने सिल्वर जीता था और वंदना को प्‍लेयर ऑफ दी टूर्नामेंट का अवार्ड दिया गया था।
  • वर्ष 2018 में स्पेन में हुए हॉकी वर्ल्ड कप में वंदना ने अपना 200वा मैच खेला था।
  • वंदना की ओलंपिक गेम्‍स में रैंकिंग 12 है। वहीं वर्ल्ड कप में 8, ऐशियन गेम्‍स में 2 और एशिया कप में 1 है।

हॉकी खेलने के अलावा क्या करती हैं?

हॉकी खेलने के अलावा वंदना नौकरी भी करती हैं। यह नौकरी उन्हें वर्ष 2011 में स्पोर्ट्स कोटे से रेलवे में मिल गई थी। यहां वह टीसी के पद पर हैं।

कब होगा भारतीय हॉकी टीम का क्वालीफाइंग मैच?

टोक्यो ओलंपिक में महिला हॉकी टीम 5 मैच खेलेगी, उसकी लिस्ट इस प्रकार है।

24 जुलाई-नीदरलैंड के साथ।

26 जुलाई-जर्मनी के साथ

28 जुलाई-ग्रेट ब्रिटेन के साथ

30 जुलाई-आयरलैंड के साथ

हॉकी प्‍लेयर वंदना कटारिया से जुड़ी यह जानकारी आपको अच्छी लगी हो, तो इस आर्टिकल को शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह टोक्यो ओलंपिक 2021 में हिस्सा लेने वाली अन्‍य महिला खिलाड़ियों के बारे में जानने के लिए पढ़ती रहें हरजिंदगी।

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