हर महिला की जिंदगी में चुनौतियां किसी ना किसी रूप में आती ही हैं। लेकिन जो महिलाएं इन चुनौतियों का डटकर सामना करती हैं और आगे बढ़ने का हौसला रखती हैं, कामयाबी उन्हीं के कदम चूमती है। इसी का जीता जागता उदाहरण हैं उन्नाव के बीघापुर की रहने वाली नूपुर सिंह, जो जन्म से दिव्यांग हैं, लेकिन उन्होंने कभी ट्राइसाइकिल का सहारा नहीं लिया। कौन बनेगा करोड़पति-2019 में अमिताभ बच्चन के साथ हॉट सीट पर बैठने वाली नूपुर सिंह ने अपनी दमदार शख्सीयत से अमिताभ बच्चन के साथ दर्शकों को भी प्रभावित किया। उन्नाव का नाम रोशन करने वाली इस इंस्पायरिंग महिला के बारे में आइए जानते हैं-
'सहानुभूति नहीं, सम्मान चाहिए'
अपने टैलेंट के बल पर केबीसी में पहुंचने वाली नूपुर सिंह को अमिताभ बच्चन के सामने हॉट सीट पर बैठने का मौका मिला। नूपुर जब पैदा हुई थीं, तब से ही उनका आधा शरीर लकवाग्रस्त था, लेकिन इतना होने के बावजूद उन्होंने कभी खुद को मजबूर नहीं समझा, बल्कि हर पल आगे बढ़ने के बारे में सोचा। नुपुर ने दिव्यांग होने के बाद भी कभी बैसाखी का सहारा नहीं लिया और न ही ट्राइसिकल चलाई। उनके इस जज्बे को अमिताभ बच्चन ने भी सराहा।
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बचपन से ही पढ़ने में तेज भीं नुपुर
उन्नाव के बीघापुर तहसील के गांव कपूरपुर के किसान राम कुमार सिंह चौहान मुन्ना और कल्पना की बेटी नूपुर बचपन से दिव्यांग थीं, लेकिन उनके जन्म के 6 महीने गुजर जाने के बाद उनके माता-पिता को इस बारे में पता चला। इलाज कराने पर किसी तरह का इंप्रूवमेंट नहीं दिखाई देने पर माता-पिता ने नुपुर को कानपुर के एक दिव्यांग स्कूल में एडमिशन दिला दिया। नूपुर का टैलेंट देखकर उनके टीचर भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके और उन्होंने नूपुर को नॉर्मल स्कूल में पढ़ाने की सलाह दी। इसके बाद नुपुर के पेरेंट्स ने उनका दाखिला एक कान्वेंट स्कूल में करा दिया। उनकी परफॉर्मेंस इतनी अच्छी रही कि वह हमेशा टीचर्स की चहेती रहीं। ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने घर पर ही बच्चों को घर पर पढ़ाना शुरू किया। नूपुर भारतीय महिलाओं के लिए एक बड़ी इंस्पिरेशन हैं। वह कहती हैं, 'खुद को कभी कमजोर न होने दें, क्योंकि सूरज को डूबते देखकर लोग घर के दरवाजे बंद करने लगते हैं।'
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केबीसी की शूटिंग से फेमस हुई उन्नाव की बेटी
'कौन बनेगा करोड़पति' के लिए सेलेक्ट होने पर मुंबई से आई टीम कानपुर और गांव कपूरपुर में शूटिंग के सिलसिले में आई तो गांव वालों को उनकी प्रतिभा के बारे में पता चला। इसके बाद टीवी और यू-ट्यूब पर केबीसी के शो में अमिताभ बच्चन के साथ उनका प्रोमो दिखा तो घर से लेकर आस-पड़ोस के लोगों तक हर कोई उनकी तारीफ करने लगा। अब लोग उनके टैलेंट और उनकी पॉजिटिविटी की सराहना कर रहे हैं।
ननिहाल में हुई परवरिश
नूपुर जन्म से ही कई बीमारियों की शिकार हो गई थीं। इसे देखते हुए उनकी मां उन्हें लेकर अपने मायके कानपुर चली गई थीं। कानपुर के गांधीग्राम में उनके नाना जगतपाल सिंह और नानी पदमा सिंह के संरक्षण में उनकी परवरिश हुई। मां के अलावा उनकी मौसी सुमन, नीलम, रजनी और मामा राजेश भदौरिया ने उन्हें आगे बढ़ने का हौसला दिया।
डॉक्टरों ने मृत घोषित किया था, लेकिन मौसी ने दिया नया जीवन
नूपुर के पिता ने बताया कि नूपुर जब पैदा हुईं तो उनके शरीर पर सर्जिकल औजारों से घाव हो गए थे। ऑपरेशन के वक्त उनके रोने की आवाज नहीं आई और डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था। लेकिन परिवार वालों ने आस नहीं छोड़ी। नूपुर की मौसी ने उनकी साफ-सफाई की और उन्हें थपथपाया। इसके बाद नूपुर ने रोना शुरू कर दिया। इस पर मौसी नीलम को उनके जीवित होने का अहसास हुआ और इस तरह नूपुर को नया जीवन मिला।
आज नूपुर सिंह जिस तरह से अपनी इंप्रेसिव पर्सनेलिटी और पॉजिटिविटी से लोगों को प्रभावित कर रही हैं और एक टीचर के तौर पर बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रही हैं, उससे देश की सभी महिलाएं इंस्पायर हो सकती हैं और अपने जीवन को बेहतर बनाने की सीख ले सकती हैं।
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