Padma Awards: सुधा मूर्ति को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया पद्म भूषण से सम्मानित

इंफोसिस के सह-संस्थापक एन-आर नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति को सामाजिक कार्य के क्षेत्र में पद्म भूषण से नवाजा गया है। सुधा मूर्ति इससे पहले साल 2006 में पद्मश्री से भी सम्मानित की जा चुकी हैं।

sudha murthy inspirational story

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हाल ही में राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में साल 2023 के लिए 3 पद्म विभूषण, 5 पद्म भूषण और 47 पद्म श्री पुरस्कार प्रदान किए। आपको बता दें कि लेखक एवं परोपकार के कार्य से जुड़ी सुधा मूर्ति, भौतिक विज्ञानी दीपक धर, उपन्यासकार एस.एल. भैरप्पा, प्रख्यात पार्श्व गायिका वाणी जयराम और वैदिक विद्वान त्रिदंडी चिन्ना जे. स्वामीजी को भी पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। इस समारोह के दौरान राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में कई प्रतिष्ठित हस्तियों, सुधा मूर्ति की बेटी एवं ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की पत्नी अक्षता और विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी नजर आए। आपको बता दें कि समारोह में फिल्म 'आरआरआर' के गीत 'नाटू नाटू' के लिए भारत का पहला ऑस्कर जीतने वाले संगीत निर्देशक एम.एम. कीरावानी और बॉलीवुड अभिनेत्री रवीना टंडन को पद्मश्री दिया गया।

सुधा मूर्ति को किया गया पद्म भूषण से सम्मानित

sudha murty received padma bhushan from president droupadi murmu

"सादा जीवन उच्च विचार" के सिद्धांत को अपनी रियल लाइफ में अपनाने वाली सुधा मूर्ति आईटी इंडस्ट्रियलिस्ट और इंफोसिस के फाउंडर एन आर नारायणमूर्ति की पत्नी होने के साथ -साथ एक इंस्पायरिंग वुमन हैं। नारायण मूर्ति ने अपनी पत्नी सुधा मूर्ति से 10,000 रुपये लेकर इंफोसिस की नींव रखी थी।

सोशल वर्क, इंजीनियरिंग, लेखन और घर संभालने जैसी अलग-अलग भूमिकाओं को सुधा मूर्ति ने शिद्दत से निभाया। सामाजिक क्षेत्र में अति विशिष्ट सेवा कार्यों के लिए सुधा मूर्ति को पद्म भूषण सम्मान से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस समारोह में नवाजा। इससे पहले साल 2006 में सुधा मूर्ति को पद्मश्री मिला था।

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सुधा मूर्ति ने ऐसे बनाई अपनी पहचान

1960 के दशक में इंजीनियरिंग में पूरी तरह से पुरुषों का वर्चस्व था। उस समय सुधा इंजीनियरिंग कॉलेज में 150 स्टूडेंट्स के बीच दाखिला पाने वाली पहली महिला थीं। सुधा मूर्ति के लिए इंजीनियर बनना आसान नहीं था, क्योंकि उनके समय का समाज आज से बहुत अलग था। (आत्मविश्वास की जीती-जागती मिसाल हैं सुधा मूर्ति)

तब महिलाएं कॉलेज नहीं जाती थीं और ना ही उनसे उम्मीद की जाती थी कि वे पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करें। सुधा मूर्ति ने जब वह पुणे में टेल्को में एक इंजीनियर के रूप में कार्यरत थीं, तब एनआर नारायण मूर्ति से विवाह किया था।

सुधाबैंगलोर विश्वविद्यालय में विजिटिंग प्रोफेसर भी हैं। वह क्राइस्ट यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर भी रही थीं। आपको बता दें कि जब नारायण मूर्ति ने अपने घर को इंफोसिस का दफ्तर बना दिया तो सुधा ने Walchand group of Industries में सीनियर सिस्टम एनालिस्ट के तौर पर कंपनी में काम शुरू किया, ताकि वह फाइनेंशियली मजबूत रह सकें। इसके साथ ही उन्होंने इंफोसिस में एक कुक, क्लर्क और प्रोग्रामर की भूमिकाएं भी निभाई।

सुधा मूर्ति ने एक बेहतरीन इंजीनियर, टीचर, सोशल वर्कर, बेस्ट सेलिंग राइटर और मां की भूमिका निभाई और इन सभी भूमिकाओं के साथ उन्होंने न्याय करने का प्रयास किया। उनके संगठन ने अब तक 16,000 से अधिक सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण भी कराया है।

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सुधा मूर्ति को लोगों की बधाई सोशल मीडिया पर भर-भर के मिल रही है। आपको इनके जीवन के बारे में जानकर कैसा लगा हमें जरूर बताएं। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो, तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। इस आर्टिकल के बारे में अपनी राय आप हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

image credit- instagram

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