‘भारत की कोकिला’कही जाने वाली सरोजिनी नायडू आखिरकार कैसे बनीं पहली महिला गवर्नर, जानें उनके बारे में

सरोजिनी नायडू को भला कौन नहीं जानता है। देश की प्रगति में उन्होंने अहम योगदान निभाया है, ऐसे में जानें उनके जीवन के बारे में 

sarojini naidu Nightingale of India

सरोजिनी नायडू देश की जानी मानी हस्तियों में से हैं। आजादी की जंग के दौरान वो स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी कवयित्री के रूप में उभरकर सामने आईं। यही वजह थी की जब देश आजाद हुआ तो उन्हें एक बड़े राज्य की जिम्मेदारी सौंपी गई। उस दौर में उन्हें उत्तर प्रदेश राज्य का राज्यपाल नियुक्त किया गया। बता दें कि उस दौर में उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य था। ऐसे में यह एक अहम जिम्मेदारी थी, जिसे सरोजिनी ने बड़ी ही बखूबी निभाया।

सरोजिनी नायडू का जीवन

sarojini naidu the first woman governor of an state

सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी साल 1979 को हुआ। उनकी मां का नाम वरदा सुंदरी और पिता का नाम अघोरनाथ चट्टोपाध्याय था, जो कि निजाम कॉलेज में रसायन वैज्ञानिक थे। सरोजिनी नायडू के पिता हमेशा से उन्हें वैज्ञानिक बनाना चाहते थे, लेकिन बचपन से ही उनकी दिलचस्पी कविताओं में ही थी।

सरोजिनी की पहला कविता संग्रह

सरोजिनी नायडू का प्रथम कविता संग्रह ‘ द गोल्डन थ्रेशहोल्ड 1909 में प्रकाशित हुआ। जो आज भी पुस्तक प्रेमियों के द्वारा खास पसंद किया जाता है।

सरोजिनी नायडू की शिक्षा

सरोजिनी नायडू हमेशा से इंग्लिश पढ़ना चाहती थीं। जिसके लिए वो लंडन पढ़ने गईं। लेकिन वहां मौसम अनुकूल न होने के कारण वो साल 1998 में भारत वापस आ गईं।

इसे भी पढ़ें- देश की पहली महिला इलेक्शन कमिश्नर वी एस रमादेवी के बारे में जानें

सरोजिनी नायडू की शादी

sarojini naidu first woman governor of an state

जिस समय सरोजिनी नायडू इंग्लैंड से पढ़कर लौटीं तब उनकी शादी डॉक्टर गोविंदराजुलु नायडू के साथ हुई। जो कि एक फौजी डॉक्टर थे। पहले तो सरोजिनी के पिता ने इस शादी से इंकार कर दिया था, लेकिन बाद में वो शादी के लिए मान गए। शादी के बाद सरोजिनी और डॉक्टर गोविंदराजुलु हैदराबाद में रहने लगे। जहां उनके चार बच्चे हुए और पूरा परिवार बडी़ ही खुशी से साथ रहा।

क्रांतिकारी के रूप में सरोजिनी नायडू

सरोजिनी नायडू गांधीजी से साल 1914 में लंदन में पहली बार मिलीं। उनसे मिलकर सरोजिनी के जीवन में एक क्रांति का जन्म हुआ। तब सरोजिनी ने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने का फैसला किया। दांडी मार्च के दौरान वो भी गांधी जी के साथ-साथ चलीं। उन्होंने हमेशा गांधी से के विचारों का अनुसरण किया और आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई।

इसे भी पढे़ें-दुती चंद ने 100 मीटर की दौड़ में स्वर्ण पदक जीतकर रचा था इतिहास, जानिए इनके बारे में

लिंग भेद मिटाने का किया प्रयास

who is sarojini naidu

आजादी की लड़ाई के दौरान ही उन्होंने लिंग भेद मिटाने के लिए कई कार्य किए। इतना ही अपने लेखन से भी उन्होंने कई युवाओं को प्रेरित किया।जब देश आजाद हुआ तो प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें राज्यपाल का पद सौंपा, जिसे वो मना न कर सकीं। 2 मार्च साल 1949 के दिन लखनऊ में ही उन्होंने अपने जीवन की आखिरी सांस ली।

मृत्यु के इतने सालों बाद भी सरोजिनी नायडू महिला सशक्तिकरण का चेहरा हैं। लोग आज भी उनके विचारों और उनके योगदान को याद करते हैं। इतिहास से लेकर आने वाले समय में वो सरोजिनी कई महिलाओं के लिए राजनीति की दुनिया में प्रेरणा रहेंगी।आपको हमारा यह आर्टिकल अगर पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर करें, साथ ही ऐसी जानकारियों के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के लिए।

Image Credit-wikipedia

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP