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इस प्रेरक महिला ने सोशल ईवेंट्स के लिए फ्री में बर्तन देने के लिए बनाया क्रॉकरी बैंक, प्लास्टिक का कचरा कम करने की दिखाई राह

सोशल ईवेंट के लिए डिस्पोजेबल क्रॉकरी खरीदने पर काफी पैसे खर्च होते हैं, जिसे आप क्रॉकरी बैंक की सेवाएं लेने पर बचा सकती हैं, साथ ही कुदरत की सुरक्षा में भी अपनी भूमिका निभा सकती हैं।&nbsp; <div>&nbsp;</div>
Her Zindagi Editorial
Updated:- 2018-08-07, 17:43 IST

किसी भी शादी-ब्याह या फंक्शन में जब लोग इकट्ठा होते हैं तो अक्सर उन्हें प्लास्टिक के डिस्पोजेबल बर्तनों में खाना सर्व किया जाता है। पहले के समय के कुल्हड़ और पत्तलों में खाना खाया जाता था, आज का समय उससे आगे बढ़ गया है, लेकिन नए जमाने की चमक-दमक के साथ कचरे में भी इजाफा होने लगा है। क्या आपको यह कचरा कम करने का कोई विकल्प नजर आता है, शायद आप यह बात सोचकर मुश्किल में पड़ जाएं, लेकिन नए गुरुग्राम में एक महिला की अनोखी सोच ने इसके लिए एक नायाब तरीका खोज निकाला है। 45 साल की इस महिला का नाम है समीरा सतीजा। 

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कई एनजीओज के साथ मिलकर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने वाली समीरा ने हाल ही में इस बैंक की शुरुआत की है, जिसमें फिलहाल लगभग 500 बर्तन हैं। ज्यादा से ज्यादा महिलाएं इस फ्री क्रॉकरी बैंक का फायदा उठा सकें, इसके लिए उन्होंने 'क्रॉकरी बैंक फॉर एवरीवन' नाम से फेसबुक पेज भी क्रिएट किया है। इस पेज पर डिस्पोजेबल प्लास्टिक के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान के बारे में बताया जाता है और 'क्रॉकरी बैंक' के किसी भी कार्यक्रम के लिए किस तरह से बर्तन लिए जा सकती हैं, इसके बारे में बताया जाता है। 

इस तरह काम करता है यह क्रॉकरी बैंक

क्रॉकरी बैंक मीठे पानी की छबील, भंडारा या अन्य किसी भी सोशल ईवेंट के लिए फ्री क्रॉकरी उपलब्ध कराता है। सिर्फ यही नहीं, बैंक जरूरतमंदों को कम कीमत में खाना उपलब्ध करवाने वाली संस्थाओं को भी स्टील की प्लेट और ग्लास की सर्विसेस देता है। क्रॉकरी मंगाने का तरीका भी आसान है। इसके लिए जरूरतमंद क्रॉकरी बैंक के फेसबुक पेज पर जाकर प्रोग्राम की तारीख, जगह और अपना कांटेक्ट नंबर छोड़ देते है और बैंक के लोग उनसे कॉन्टेक्ट कर लेते हैं। दूर दराज की महिलाएं भी अपने आरडब्ल्यूए प्रतिनिधि या पार्षद से एक आवेदन लिखवाकर बर्तन ले जा सकती हैं। साथ ही जो महिलाएं यहां की स्थानीय निवासी नहीं हैं और कम अवधि के लिए क्रॉकरी बैंक की मदद लेना चाहती हैं, वे भी बर्तनों की संख्या के हिसाब से सिक्योरिटी मनी देकर अपना काम चला सकती हैं।

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मिल रहा है सपोर्ट 

45 वर्षीय समीरा ने अकेले इस काम की शुरुआत की, लेकिन अब उनके साथ लोगों का कारवां जुड़ चुका है। इच्छुक लोग अपने घर से बर्तन दान कर रहे हैं। दिलचस्प बात ये है कि जो भी इस बैंक से बर्तन ले जाता है, वह लौटाते वक्त उसमें कुछ नए बर्तन जोड़ भी देता है। 

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प्लास्टिक के बर्तनों का इस्तेमाल खतरनाक

प्लास्टिक और थर्मोकोल के डिस्पोजेबल चम्मच, कप, गिलास, कटोरियों में बिस्फिनॉल-ए और डाईइथाइल हेक्सिल फैलेट जैसे केमिकल्स पाए जाते हैं। इनसे कैंसर, अल्सर और स्किन डिसीज हो सकती हैं। साथ ही प्लास्टिक का कचरा प्रदूषण भी बढ़ता है। इस साल विश्व पर्यावरण दिवस का मुद्दा 'प्लास्टिक प्रदूषण को हराना' था। इसी से प्रभावित होकर समीरा ने इस क्रॉकरी बैंक की शुरुआत की है। उम्मीद है कि वह अपने इस बैंक से लोगों को इतना प्रेरित करेंगी कि लोग प्लास्टिक के बर्तनों का इस्तेमाल करना पूरी तरह से छोड़ देंगे। 

 

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