भारत में महिला सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है। अमूमन हर दिन महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों से अखबारों के पेज भरे रहते हैं, जिसमें महिलाओं का पीछा करना, यौन हिंसा, छेड़छाड़, रेप, ह्यूमन ट्रैफिकिंग, महिलाओं से बदसलूकी जैसी तमाम खबरें दिखाई देती हैं। थॉमसन रॉयटर्स के एक सर्वे में युद्धग्रस्त अफगानिस्तान और सीरिया के बाद भारत को महिलाओं के लिए दुनिया का सबसे खतरनाक देश माना गया था। हालांकि राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस सर्वे को खारिज कर दिया, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि देश में महिलाओं की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है। आज के समय में जब देश में वर्किंग महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है, सुरक्षा का मुद्दा और भी अहम हो जाता है।
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तकनीक से महिलाएं बना सकती हैं खुद को सुरक्षित
महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा के बारे में विरोध और धरना-प्रदर्शन करने से कुछ नहीं होगा। इसका हल बहुद हद तक हमें टेक्नोलॉजी में मिल सकता है। तकनीक के मामले में वैसे भी यंग महिलाएं काफी आगे हैं। बसी इसी तकनीक के सहारे उन्हें अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करनी है। महिलाएं अपने स्मार्टफोन के सिर्फ एक क्लिक पर अपने आसपास के लोगों से कनेक्ट कर सकती हैं। इस क्षमता के जरिए वे सेफ हो सकती है। विशेष रूप से जो महिलाएं रात में बहुत ज्यादा सफर करती हैं, उनके लिए यह बहुत बड़ी मदद साबित हो सकता है। रेप और किडनेपिंग जैसे मामलों को कम करने के लिए स्मार्टफोन को महिलाओं के हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। टीनेजर्स, महिलाएं और वृद्धा मोबाइल फोन की इनबिल्ट तकनीक के जरिए उसे एसओएस टूल की तरह इस्तेमाल कर सकती हैं। किसी भी तरह की मुश्किल लगने पर महिलाएं बटन क्लिक करने पर अपने घरवालों को सूचित कर सकती हैं।
कई जीपीएस आधारित ऐप्स हैं, जो फोन की जीपीएस लोकेशन के आधार पर काम करते हैं। इसमें बटन क्लिक करने पर इमरजेंसी कॉन्टेक्ट्स तक सूचना खुद-ब-खुद चली जाती है। महिला सुरक्षा की दिशा में यह एक सराहनीय कदम है। इस तरह के नए ऐप्लिकेशन्स के कुछ स्पेसिफिकेशन्स के बारे में आइए जानते हैं-
ऑटोमेटेड एक्टिवेशन
वुमन सेफ्टी एप्लिकेशन रोजाना प्रयोग नहीं होते। हम हमेशा अच्छे की ही उम्मीद करते हैं, लेकिन भविष्य के बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता, इसीलिए हमें हर तरह की स्थिति के लिए खुद को तैयार रखना चाहिए। किसी तरह का पैनिक होने पर हम अपने परिजनों और दोस्तों से कनेक्ट करना ही भूल जाते हैं क्योंकि स्थितियां ही कुछ ऐसी बन जाती हैं। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए एक एसओएस मैसेज भेजने की सुविधा विकसित की गई है, जिसमें स्मार्टफोन पर प्रेस किया हुई कोई भी बटन आपके आसपास हो रही सारी स्थितियों की जानकारी दे देगा। परेशानी में होने पर आप अपने पेरेंट्स को डिस्ट्रेस मैसेज भेज सकती हैं, जो हर पांच मिनट में आपके पेरेंट्स को अलर्ट देता रहेगा, जब तक कि आप अपने आसपास की स्थितियां देखते हुए उसे बंद ना कर दें।
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एसओएस एलर्ट्स
एक दिन में औसतन 106 रेप की घटनाएं सामने आ रही हैं। इससे बचाव के लिए फौरी तरीका निकालना बेहद जरूरी है। एसओएस एलर्ट्स इमरजेंसी मैसेजेस एक्सेसिबल बनाने में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। एसओएस एलर्ट्स की तरफ से यूजर की फैमिली और दोस्तों को मुश्किल स्थितियों के बारे में एलर्ट कर दिया जाता है।
पेरेंट्स या गार्जियन को इस तरह मिलती है सूचना
यूजर के फोन से वॉइस और तस्वीरें एक रिपोर्ट की शक्ल में पेरेंट्स या गार्जियन को मिल जाती हैं। इससे अभिभावकों को अपनी संतान के बारे में सही-सही सूचना मिल जाती है। जो गार्जियन यूजर के फोन में रजिस्टर्ड होते हैं, उन्हें कॉल आने लगती है। रजिस्टर किए हुए पते पर हर पांच मिनट में कंपाइल्ड रिपोर्ट मिलती रहती है। इस सूचना के आधार पर पीड़ित महिला की लोकेशन का पता लगाकर उस तक जल्द से जल्द पहुंचा जा सकता है और मदद दी जा सकती है।
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