यह कहना गलत नहीं होगा कि शक्ति का पहला रूप महिलाएं होती हैं। इसलिए उन्हें पूजा जाता है। महिलाओं को देवियों का रूप माना जाता है। महिलाएं इतनी ताकतवर होती हैं कि वह यमराज से अपने पति के प्राण वापस ले लेती हैं। चांद पर जाने से लेकर देश चलाने तक, महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवाया है।
पियाली चटर्जी घोष एक ऐसा नाम है, जिन्होनें कम उम्र में अपने सपने को साकार किया। साथ ही, आज वह एक सफल एंटरप्रेन्योर हैं।
हर जिंदगी ने पियाली चटर्जी घोष के साथ 'शक्ति रूपेण संस्थिता' कैम्पेन के तहत खास बातचीत की और उनसे सफर, संघर्ष, प्रयास और सफलता की राहों के बारे में बात की।
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पियाली चटर्जी की यात्रा फ्लाइट अटेंडेंट बनने की आकांक्षा के साथ शुरू हुई। वह इस उद्योग की एक सफल महिला हैं। पियाली चटर्जी घोष एक फ्लाइट अंटेंडेट के साथ-साथ माईफ्लेज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट्स की फाउंडर हैं। यह इंस्टीट्यूट एविएशन इंडस्ट्री में बच्चों को पढ़ाने और प्लेसमेंट देने का काम करता है।
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पियाली का फ्लाइट अटेंडेंट बनने का सपना बचपन से था। उनके भाई और रिश्तेदार उन्हें फ्लाइट अटेंडेंट के बारे में बताते थे। इस फील्ड में जाने के लिए उन्होंने एक कोर्स किया। इसके बाद उन्होंने 19 साल की उम्र में अपनी पहली नौकरी हासिल की। पहली नौकरी में उन्हें काफी अच्छी सैलरी मिली थी। इस नौकरी के बाद उन्होंने अपने सपनों की उड़ान भरी और लगातार 9 साल तक काम किया।
काम करने के दौरान एयरलाइन उनका ट्रांसफर करना चाहती थी, लेकिन पियाली मे इस ऑफर को स्वीकार नहीं किया। नेशनल स्किल डेवलेप्मेंट कॉर्पोरेशन एयरोस्पेस ने उनसे संपर्क किया और उन्हें ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट शुरू करने की सलाह दी। साथ ही, साझेदारी की भी बात कही, ताकि ट्रेनिंग और प्लेसमेंट का काम सही तरीके से पूरा किया जा सके।
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पियाली जी आज जिस मुकाम पर हैं, वहां तक पहुंचना उनके लिए काफी मुश्किल था। इंस्टीट्यूट की शुरुआत करने के लिए उन्हें पास अच्छी योजनाओं, पर्याप्त जगह और आधिकारिक अनुमोदन की आवश्यकता थी। यह सब हासिल करना कठिन था और इसमें बहुत समय और प्रयास लगा।
हमारा देश कई संकटों से गुजरा है। इनमें कोविड-19, नोटबंदी और जीएसटी शामिल है। यह वह समय था जब पियाली जी को किराया को लेकर बेहद परेशानी आई थी, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और मजबूती से खड़ी रहीं।
संस्था शुरू करने और सफलता के अपने लक्ष्य हासिल करने के बाद, हमें एक नई चुनौती का सामना करना पड़ा। बहुत से लोग चाहते थे कि हम पूरे भारत में और अधिक अध्ययन केंद्र खोलें। इस मांग को पूरा करना कठिन था, लेकिन हमने कड़ी मेहनत की और अच्छे परिणाम हासिल किए।
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पियाली घोष ने बताया कि वह वर्किंग पेरेंट है। ऐसे में उन्हें कभी-कभी वह सब कुछ प्रबंधित करना चुनौतीपूर्ण लगता है, जो करने की आवश्यकता होती है। उन्हें कोई शिकायत नहीं है। यह वह जीवन है, जो मैं हमेशा से चाहती थाी और मैं इसके हर पल का आनंद ले रही हूं।
पियाली जी का मानना है कि महिलाओं को हर चुनौती का डटकर सामना करना चाहिए। आपके पास जो भी है, उसका सदुपयोग करें। रोजाना कुछ न कुछ बेहतर करें। अपनी चीजों का सम्मान करें और आपके पास जिस चीज की कमी है, उसके लिए बुरा महसूस न करें। अपनी चीजों को बेहतर करने के लिए मेहनत से पीछे नहीं भांगे।
माईफ्लेज ग्रुप ऑफ के 10 से ज्यादा इंस्टीट्यूट है। यह इंस्टीट्यूट दो नए वर्टिकल फ्लेज इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट कैटरिंग और फ्लेज इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन लॉन्च कर सकता है। साल 2023 में इस इंस्टीट्यूट का लक्ष्य 1000 से ज्यादा स्टूडेंट्स की एयरलाइंस और ट्रैवल कंपनी में प्लेसमेंट का लक्ष्य निर्धिरित किया है।
हम हर चीज से कुछ न कुछ सीख सकते हैं। हमारे जीवन में आने वाला हर व्यक्ति और परिस्थितियां हमें कुछ न कुछ जरूर सिखाती हैं। हम सीखते हैं और इससे हमें जीवन में आगे बढ़ने में मदद मिलती है। मैं परफेक्शनिस्ट हूं, इसलिए मैं हमेशा बेहद काम करती हूं।
मैंने यह भी सीखा है कि इस तेज़ गति वाली दुनिया में इसे सहजता से लेना महत्वपूर्ण है। हमारा परिवार और हमारा स्वास्थ्य प्रकृति का दिया हुआ सबसे अनमोल उपहार है।
पियाली चटर्जी घोष ने बताया कि वह किसी चीज के आधार पर लोगों को जज न करने में विश्वास नहीं रखती हैं। एक ट्रेनर के रूप में मेरे छात्र हमेशा मुझे आश्चर्यचकित कर देते हैं। उन्होंने जितना सोचा था, उससे कहीं अधिक हासिल किया है। मैंने उनसे सीखा है कि चाहें हम कितने भी बड़े या सफल क्यों न हो जाएं, दुनिया में हमेशा कुछ न कुछ जादू होता है, जो हममें से प्रत्येक का इंतजार कर रहा होता है। इससे जीवन को देखने का हमारा नजरिया पूरी तरह बदल सकता है।
हरजिंदगी के 'शक्ति रूपेण संस्थिता' अभियान के तहत हम आपके लिए ऐसी ही महिलाओं की कहानी लेकर आएंगे, जिन्होंने अपने दम पर उद्योग जगत में अपना नाम बनाया है।
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