आरना वधावन: प्रकृति की बेटी के नाम से प्रसिद्ध सोशल एक्टिविस्ट, छोटी सी उम्र में हासिल किया बड़ा मुकाम

मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनो में जान होती है ! पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से ही उड़ान होती है। इस कहावत पर खरी उतरने वाली 14 साल की आरना वधावन के जीवन के बारे में आप भी जानें। 

aarna wadhawan earth prize scholar

दिल में कुछ कर गुजरने का जज्बा और हमेशा आगे बढ़ने की चाह, किसी भी व्यक्ति को बुलंदियों तक पहुंचा सकती है। उम्र चाहे छोटी हो या बड़ी, कभी भी मेहनत करने वाले के पैरों पर बेड़ियां नहीं लगा सकती है। यूं कहा जाए कि ' लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती' वास्तव में इस कविता का सबसे बड़ा उदाहरण हैं 14 साल की आरना वधावन।

हां सच है ये कि इतनी छोटी सी उम्र में जब बच्चे वीडियो गेम्स, मोबाइल ऐप्स, यू ट्यूब चैनल और किताबों में उलझे रहते हैं, तब ये छोटी सी बच्ची समाज के लिए बड़े काम करती है और प्रकृति की खूबसूरती बढ़ाने और ऑक्सीजन का लेवल ठीक बनाए रखने के लिए पेड़ पौधे लगाने में व्यस्त रहती है।

शायद आपको भी यकीन नहीं होगा कि महज 14 साल की उम्र में ये बच्ची 7800 पेड़ लगा चुकी है और इसकी यात्रा अभी भी जारी है। हरजिंदगी के 'शक्ति रूपेण संस्थिता' अभियान के तहत हमें आरना से रूबरू होने का मौका मिला और हम उसकी कहानी करीब से जान पाए।

आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर कौन है ये बच्ची और क्या है इसकी कहानी।

कौन हैं आरना वधावन?

who is aarna wadhawan

आरना वधावन दिल्ली की रहने वाली हैं और उनकी उम्र 14 वर्ष है। वह दिल्ली के ज्ञान भारती स्कूल में पढ़ती हैं। विश्व स्तर पर सबसे कम उम्र के पर्यावरणविदों में से एक होने के कारण कुछ समय से वो काफी चर्चा में आई हैं।

भला चर्चा क्यों न हो जब पढ़ाई के साथ प्रकृति को भी गले लगाने की मुहीम उठाई है आरना ने। इन्हें लोग 'प्रकृति की बेटी' के नाम से बुलाते हैं। आरना वधावन एक पर्यावरणविद् हैं और उन्होंने अब तक लगभग 7800 पेड़ पौधे अपनी इंवायरन्मेंटलिस्ट आर्मी के साथ लगाए हैं।

वे एक सोशल एक्टिविस्ट, TEDx स्पीकर और Earth Prize Scholar 2022 हैं जो हम सभी को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं।

आरना को कैसे मिली पर्यावरणविद् बनने की प्रेरणा

aarna wadhavan achievments for earth

पर्यावरणविद् बनने के पीछे आरना की कहानी कुछ अलग है। दरअसल साल 2020 में जब कोरोना वायरस की पहली लहर दिखाई दी, तब उसने अपने दादा जी को खो दिया। दादा जी की मृत्यु की वजह उन्हें सही समय पर ऑक्सीजन न मिल पाना थी।

उस समय आरना मानो टूट सी गई और यह इस छोटी सी बच्ची के लिए अत्यंत दुखद क्षण था। उस समय महज 11 साल की आरना ने पेड़ों के महत्व को समझा और नई दिल्ली में बदरपुर-महरौली मार्ग के किनारे हर दिन 10-15 पेड़ लगाने शुरू कर दिए। अकेले पेड़ पौधे लगाना इतना आसान नहीं था इसलिए लगभग 100 पेड़ लगाने के बाद आरना ने 'यूथ एनवायर्नमेंटलिस्ट क्लब' की शुरुआत की।

क्लब में उसके साथ और युवा जुड़ते गए और वो बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण करती गईं। उसने अपने जैसे हजारों लोगों को अधिक से अधिक पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया। आरना अब तक 7800 से ज्यादा पेड़ लगा चुकी हैं और प्रकृति को खूबसूरत बनाने के लिए निरंतर कार्यरत हैं।

आरना बताती हैं कि "आज की युवा पीढ़ी अगर एकजुट हो जाए तो पर्यावरण को बचाने में हम सक्षम हो सकते हैं, बस उनमें जागरूकता जगाने की देर है, जिसके प्रयास में मैं लगातार जुटी हूं।"

इसे जरूर पढ़ें: कौन हैं भारत की पहली हिजाब इंफ्यूलेंसर रमशा सुल्तान, रूढ़िवादी सोच को देती हैं मुंहतोड़ जवाब

बचपन से ही आरना के लिए प्रेरणा स्रोत बने उसके दादा जी

what aarna did for earth

आरना के दादा जी भी प्रकृति प्रेमी थे और छोटी सी आरना बचपन से ही उनके साथ पेड़ों, छोटे पक्षियों और फूलों को देखने में बहुत समय बिताती थी। वह बचपन से ही प्रकृति में बहुत रुचि रखती थी, लेकिन वास्तव में आरना को ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने का महत्व तब समझ में आया जब उसने ऑक्सीजन की कमी के कारण अपने दादा जी को खो दिया।

वह उन्हें वापस तो नहीं ला सकी, लेकिन ज्यादा पेड़ लगाकर और सभी को ऐसा करने के लिए प्रेरित करके अपने दादा जी की यादों को हमेशा अपने साथ रखने का फैसला किया। आरना जीवन में जो कुछ भी हैं उसमें आरना के दादा जी की एक बड़ी भूमिका है और वह उसके लिए प्रेरणा का सबसे बड़ा स्रोत हैं।

आरना हम सभी को प्रेरणा देते हुए कहती हैं " प्रकृति की सुरक्षा हमारा कर्तव्य है, केवल एक बीज बोकर अपनी धरती को बचाने का प्रयास हम सभी को करना चाहिए।"

इसे जरूर पढ़ें: जानें डॉ. मीनाक्षी पाहुजा के डीयू की प्रोफेसर से इंटरनेशनल स्वीमर बनने तक का सफर

आरना के जीवन की उपलब्धियां

achievments of Aarna as an environmentalist

आरना अब विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों और NGOs में निरंतर वृक्षारोपण अभियान और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर रही हैं। उनके प्रयासों के लिए उन्हें डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया, यू-रिपोर्ट इंडिया, टेरी, पेटा इंडिया सहित अन्य लोगों द्वारा सराहना मिली है। उनकी सराहना भारत के पर्यावरण मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव ने भी की।

आरना ने एक पोर्टेबल सौर ऊर्जा यूवी लैंप का भी निर्माण किया। यह एक उपकरण है जो ग्रामीण क्षेत्रों में ऑपरेशन थिएटरों को स्टरलाइज़ करने की सुविधा प्रदान करता है जहां बिजली की आपूर्ति अनियमित है। इसके लिए वे राष्ट्रीय स्तर पर फ्यूचर टेक ओलंपियाड में भी प्रथम आईं, जो सीबीएसई और आईबीएम द्वारा आयोजित किया गया था।

आरना को Earth Prize Scholer के ख़िताब से सम्मानित किया गया

what are the best achievements of aarna

आरना को साल 2022 में Earth Prize Scholer के ख़िताब से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उसे सौर ऊर्जा संचालित पोर्टेबलयूवी लैंप का आविष्कार करने के बाद दिया गया जो उसे लोकप्रियता प्रदान कर रहा है। विभिन्न राज्यों में बहुत सारे सामाजिक कार्यों और वृक्षारोपण अभियान के बाद, विश्व पर्यावरण परिषद ने उसे अपना ब्रांड एंबेसडर बनाया।

लेखक और स्तंभकार, बिंदु डालमिया ने भी आरना के काम के लिए उनकी सराहना की। भाजपा की डॉ. बीना लवानिया ने अपने आधिकारिक मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी उनकी प्रशंसा का उल्लेख किया था।

लड़कियों को शिक्षा और पौधे लगाने की देती हैं प्रेरणा

aarna with harnaz sandhu

अपनी पूरी प्रगति के साथ,आरना जरूरतमंदों की मदद करने की कोशिश भी कर रही है, वह दुनिया में बदलाव लाने के लिए गरीब बच्चियों को शिक्षा देती हैं।

आरना की पूरी टीम अपने स्कूल के बाद हर मंगलवार और शुक्रवार को स्लम एरिया में जाकर लड़कियों को पढ़ाती है और उन्हें पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने की प्रेरणा भी देती है। आरना के इस काम के लिए मिस यूनिवर्स 2021 हरनाज कौर संधू ने भी उसकी सराहना की है।

पर्यावरण को बचाने की मुहिम में आरना ने कही ये बात

आरना कहती हैं कि आप सभी को पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए और प्रदूषण को काफी हद तक कम करने के लिए घर में बचे हुए कपड़ों से थैला बनाकर रोजमर्रा के इस्तेमाल में लाना चाहिए, इससे प्लास्टिक का प्रयोग बहुत कम हो जाएगा और प्रकृति सुरक्षित रहेगी।

आज हमारा झंडा चांद पर लहरा रहा है, तो क्यों ना हम धरती बचाओ अभियान को इतना बुलंद करें कि लोग कहें कि देखो जैसे भारत में स्वच्छता है, वैसी ही स्वच्छता हमें भी करनी चाहिए और इसके लिए हमें कुछ ज्यादा नहीं करना होगा, बल्कि अगर हम सभी केवल एक पौधा लगाएं और कचरा ना फैलाएं तो प्रदूषण को देश से दूर किया जा सकता है।

प्रकृति की खूबसूरती बढ़ाने से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के लिए शिक्षाकी सुविधा प्रदान करने वाली 'प्रकृति की बेटी' आरना वधावन के हौसले को हरजिंदगी सलाम करता है। उम्‍मीद है कि आपको भी आरना की इस इंस्पिरेशनल स्टोरी को पढ़कर कुछ प्रेरणा मिली होगी।

हरजिंदगी के 'शक्ति रूपेण संस्थिता' अभियान के तहत हम आपके लिए ऐसी ही कुछ और प्रेरणादायक कहानियां लेकर आएंगे, जो पितृसत्तामक सोच के खिलाफ लड़ रही हैं।

अगर हमारी स्टोरी से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें और ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से।

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP