Chandrayaan-3: कौन हैं डॉ. ऋतु करिधाल जिन्होंने संभाली चंद्रयान 3 की लैंडिंग की जिम्मेदारी

Ritu Karidhal Chandrayaan 3: डॉ. ऋतु करिधाल को दुनिया 'रॉकेट वुमन ऑफ इंडिया' के नाम से जानती है, लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर डॉ. ऋतु करिधाल कौन हैं जिन्होंने चंद्रयान-3 मिशन की जिम्मेदारी संभाली। 

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Ritu Karidhal Chandrayaan 3: चंद्रयान-3 की लैंडिंग की जिम्मेदारी वरिष्ठ महिला वैज्ञानिक डॉ. ऋतु को सौंपी गई थी और वह चंद्रयान-3 की मिशन डायरेक्टर हैं। इसके पहले डॉ. ऋतु मंगलयान की डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर और चंद्रयान-2 में मिशन डायरेक्टर रह चुकी हैं। चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर नहीं बल्कि एक प्रोपल्शन मॉड्यूल की जिम्मेदारी भी उन्होंने संभाली, जो किसी संचार उपग्रह की तरह काम करेगा। चलिए आपको डॉ. ऋतु करिधाल से जुड़ी कुछ बातें बताते हैं।

डॉ. ऋतु करिधाल को दुनिया 'रॉकेट वुमन ऑफ इंडिया' के नाम से जानती है। आपको बता दें डॉ. ऋतु वह हैं, जिनका हाथ मंगलयान की कामयाबी के पीछे भी था। भारत के मार्स मिशन की डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर रह चुकीं ऋतु ने हर महिला को प्रेरित किया है। ऋतु इसरो की साइंटिस्ट होने के साथ-साथ एक मां भी हैं, जो हर महिला और मां के लिए बड़ी इंस्पिरेशन हैं।

लेकिन उससे पहले हमें यह बताइए कि आपकी नजर में एक अच्छी मां होने का मतलब क्या है? क्या आप भी उसी धारणा को मानते हैं, जो हमारे समाज में कुछ लोगों ने बनाई हुई है कि एक मां को परफेक्ट होना चाहिए। मगर एक परफेक्ट मां कौन है?

हमारा समाज ऐसी महिलाओं को एक अच्छी मां नहीं मानता, जो अपने बच्चों के लिए त्याग न करे। मगर हम मानते हैं कि एक महिला अच्छी मां बनने की परिभाषा को अपने हिसाब से लिखना जानती है और बखूबी लिख भी रही है।

इस कड़ी में हम बात कर रहे हैं डॉ. ऋतु करिधाल की। डॉ. ऋतु बचपन से ही आसमान में उड़ान भरने के सपने देखा करती थीं। उन्हें चांद-सितारों में बड़ी दिलचस्पी थी। बड़े होते हुए उन्होंने अपने सपने को साकार किया। शादी की और जब एक महिला से यह उम्मीद की जाती है कि शादी के बाद उसे अपने घर पर ही ध्यान देना चाहिए, तब वह बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स अपने कंधों में लिए उन्हें पूरा करने की पथ पर थीं। मिशन योजना और संचालन में उनके काम के लिए डॉ. ऋतु को 2007 में इसरो का युवा वैज्ञानिक पुरस्कार भी मिला।

dr ritu karidhal family

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MOM के लिए दिन-रात एक किया

द वायर को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि साल 2012 में जब MOM प्रोजेक्ट शुरू हुआ तो उनके बच्चे बहुत छोटे थे, लेकिन फिर भी उन्होंने दिन-रात एक करके अपने काम और घर को बैलेंस कर देश का नाम रोशन किया। उस इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, "जब 2012 में MOM पर काम शुरू हुआ, तो मेरा बेटा नौ साल का था और मेरी बेटी चार साल की थी, लेकिन ऐसा नहीं था कि मैं केवल काम कर रही थी और घर पर उपलब्ध नहीं थी। मैं अगर एक अच्छी मां हूं तो मेरी अपनी भावनाएं मुझे खुद ऐसा करने की इजाजत नहीं देंगी। इसलिए हमें मल्टीटास्क करना होगा और प्रयास को दोगुना करना होगा। यही मैंने भी किया। ऑफिस में काम करके घर वापस गई तो परिवार के साथ भी समय बिताया, फिर देर रात जब सब सो जाया करते थे तो मैं अपना काम करती थी। इस तरह मैंने कई काम किए, लेकिन अपने सपने को त्यागा नहीं।"

ऋतु ने इस दौरान अपने लैपटॉप पर एक छोटा-सा सेटअप तैयार किया था। वह सुबह तीन या चार बजे तक MOM के सारे टास्क पूरा कर लिया करती थीं। अपनी दिन-रात की इस मेहनत पर वह कहती हैं, "मैं शारीरिक रूप से थका हुआ महसूस करती थी, लेकिन आप इस थकावट को अलग-अलग तरीकों से दूर कर सकते हैं। जब आप देखते हैं कि ज्यादा मेहनत करके जो आपने हासिल किया है, तो सब सही लगता है।"

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वर्कप्लेस की बढ़ती डिमांड का किया सामना

ऐसा नहीं है कि उन्हें ऑफिस में पुरुषों से ज्यादा काम करना पड़ा। मेहनत बराबर थी, लेकिन ऐसा कई बार हुआ जब शायद उन्हें अपने बच्चों के साथ न रहने का दुख हुआ। हालांकि वह इससे उभरीं। इसी इंटरव्यू में उन्होंने बताया था, 'एक वक्त था जब घर और ऑफिस दोनों को मैनेज करना मुश्किल हो जाता था। मुझे एक समय याद है जब मेरी बेटी को तेज बुखार था और मैं उसे डॉक्टर के पास नहीं ले जा पाई थी।

मेरे पति ने बेटी की देखभाल की। मैंने खुद को दोषी माना क्योंकि मैं उसके साथ नहीं थी। ऐसा भी समय था जब मैं स्कूल के कार्यक्रमों या पीटीए मीटिंग्स में शामिल नहीं हो पाती थी। लेकिन जिस एक चीज ने मुझे ताकत दी, वह थी मेरे परिवार का सपोर्ट। मुझे विश्वास है कि परिवार और दोस्तों की मदद के बिना, एक महिला के लिए कम से कम कार्यस्थल की बढ़ती मांगों का सामना करना संभव नहीं है।'

ऋतु यह चाहती हैं कि स्पेस साइंट के क्षेत्र में और भी महिलाएं आएं। इतना ही नहीं, उनका सपना है इस फील्ड में महिलाओं को भी नोबल पुरस्कार से नवाजा जाए।

घर और काम को बढ़िया तरीके से बैलेंस करती ऋतु न जाने कितनी महिलाओं के लिए बड़ी इंस्पिरेशन हैं। वह सिखाती हैं कि मातृत्व का मतलब सिर्फ त्याग नहीं होता। मां अपने हिसाब से उनका पालन-पोषण कर सकती है और इसके साथ ही उसे खुद की जिंदगी जीने और सपनों को पूरा करने का पूरा हक है।

आपको डॉ. ऋतु के बारे में जानकर कैसा लगा हमें कमेंट करके बताएं। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य इंस्पिरेशनल स्टोरीज पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

image credit- youtube

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FAQ

  • डॉ. ऋतु करिधाल का जन्म कहां हुआ था?

    1975 में लखनऊ के मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ।
  • डॉ. ऋतु करिधाल ने अपनी पढ़ाई कहां से पूरी की है?

    डॉ. ऋतु करिधाल ने लखनऊ विश्वविद्यालय से भौतिकी में एससी और एमएससी की पढ़ाई की थी और फिर एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री लेने के लिए आईआईएससी, बंगलूरू में दाखिला लिया।