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मिलिए अंडरग्राउंड माइंस में काम करने वाली पहली भारतीय महिला से

भारत की पहली महिला इंजीनियर जो अंडरग्राउंड माइन्स में काम करेंगी वो आकांक्षा कुमारी है। आज जानते हैं उनके बारे में कुछ बातें। 
Editorial
Updated:- 2021-09-03, 18:08 IST

कई बार हमारे सामने ऐसे उदाहरण आते हैं जो हमें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। ऐसा कई बार देखा गया है कि महिलाएं समाज की दकियानूसी मान्यताओं को तोड़कर आगे बढ़ती हैं और साथ ही साथ कुछ अनोखा कर गुजरने की हिम्मत भी रखती हैं। हाल ही में ऐसी ही एक महिला के बारे में बातें हो रही हैं। ये लड़की है 25 साल की आकांक्षा कुमारी जिन्होंने भारत की पहली महिला अंडरग्राउंड माइन इंजीनियर होने का खिताब हासिल कर लिया है।

30 अगस्त को आकांक्षा ने आधिकारिक तौर पर चूरी अंडरग्राउंड माइंस (Churi underground mines) में काम करना शुरू कर दिया। ऐसी कई फील्ड्स हैं जिन्हें अभी तक सिर्फ पुरुषों के लिए समझा जाता था, लेकिन महिलाओं ने भी अब उनमें बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना शुरू कर दिया है।

आकांक्षा का ये फैसला सोशल मीडिया पर सराहा जा रहा है। Central Coalfields Limited (CCL) के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर आकांक्षा की ये उपलब्धि शेयर हुई है।

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हर तरफ हो रही है आकांक्षा की तारीफ-

इस बारे में जानकर यूनियन कोल मिनिस्टर प्रहलाद जोशी ने भी सोशल मीडिया पर आकांक्षा की तारीफ की है। प्रहलाद जोशी ने लिखा-

'प्रगतिशील शासन: लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और अधिक अवसर पैदा करने के लिए, प्रधानमंत्री नरेंद्र जी की सरकार में महिलाओं को भी अंडरग्राउंड कोल माइंस में काम करने का अवसर मिला है। आकांक्षा कुमारी पहली माइनिंग इंजीनियर बनी हैं जो अंडरग्राउंड माइन में काम कर रही हैं।'

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ये माइन्स उत्तरी करनपुरा क्षेत्र में मौजूद हैं। वैसे ऐसा नहीं है कि इस माइन से जुड़े किसी भी काम को महिलाएं नहीं करती हैं क्योंकि अलग-अलग डिपार्टमेंट्स में वो मौजूद हैं, लेकिन कोई भी अंडरग्राउंड काम नहीं करती है। यहां डॉक्टर, सुरक्षा गार्ड, डंपर और हेवी मशीनरी ऑपरेशन के काम में महिलाएं अलग-अलग तरह की जिम्मेदारियां निभा रही हैं, लेकिन ये पहली बार होगा जब इतनी बड़ी कोयला खनन कंपनी में किसी महिला को जमीन के नीचे काम करने का मौका मिलेगा।

महिला सशक्तिकरण के लिए ये एक अहम कदम है क्योंकि धीरे-धीरे महिलाएं हर फील्ड में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं और ये साबित करता है कि एक बार कोई महिला किसी काम के लिए अपना मन बना ले तो उसे करके ही रहती है।

आकांक्षा बचपन से ही हैं टैलेंट-

आकांक्षा ने अपनी स्कूली शिक्षा नवोदय विद्यालय से की है और झारखंड से होने के कारण उन्होंने हमेशा से ही खनन और उससे जुड़ी गतिविधियों को बहुत करीब से देखा है। कहते हैं कि अगर आप कोई चीज़ लगातार देखें तो उसमें इंट्रेस्ट आ ही जाता है और इसलिए आकांक्षा ने भी अपनी रुचि इसमें दिखाई और धनबाद से बीआईटी से माइनिंग इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।

कोल माइन्स से जुड़ने से पहले आकांक्षा हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की बलारिया माइंस में राजस्थान में काम कर रही थीं। आकांक्षा के साथ उनका पूरा परिवार है और वो आकांक्षा को अपने सपने पूरे करने में मदद करता है।

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बहुत मुश्किल होता है कोल माइंस में काम करना-

अगर आप अभी भी सोच रहे हैं कि आकांक्षा की तारीफ क्यों की जाए तो हम आपको इसके बारे में थोड़ी जानकारी भी दे देते हैं।

  • किसी भी अंडरग्राउंड माइन में आपको 10-12 घंटे एक बार में बिताने पड़ सकते हैं।
  • भूमिगत तापमान 40 डिग्री से ऊपर हो सकता है।
  • नीचे कोई भी इमरजेंसी होने पर जान का खतरा होता है।
  • अंडरग्राउंड माइन्स में कई बार बाथरूम भी नहीं होते हैं।
  • कई बार माइन्स में धमाके भी होते हैं और वहां काम करने वाले वर्कर्स को हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना पड़ता है।

ऐसी स्थिति में किसी भी इंसान के लिए काम करना मुश्किल होता है और यही कारण है कि कई लोग ऐसी स्थितियों को नहीं चुनते हैं। आकांक्षा ने ये काम चुनकर बताया है कि महिलाओं को भी पुरुषों की तरह हर फील्ड में अपना जौहर दिखाना चाहिए। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।

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