एक महिला अपने-आप में अलहदा होती है, क्योंकि वह हर काम करने में सक्षम होती हैं। HerZindagi ने 'गुड मदर प्रोजेक्ट' शुरू किया है, जिसके तहत हम उन महिलाओं के सफर के बारे में जानकारी साझा कर रहे हैं जो एक मां के साथ-साथ समाज के अन्य पैमानों पर भी खड़ी उतर रही हैं। आज इस प्रोजेक्ट के लिए हमने अवंतिका बहुगुणा से बात की है। अवंतिका मुंबई में रहती हैं और पेशे से मॉम इन्फ्लुएंसर हैं। चलिए उन्हीं से जानते हैं कैसा रहा उनका काम के साथ-साथ एक मां बनने का सफर।
मदरहुड का सच
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मदरहुड के बारे में बात करते हुए अवंतिका ने कहा, “मां बनने के बाद एक महिला का जीवन काफी बदल जाता है। इस दौरान मां पूरी तरह से बदल जाती है। एक महिला के लिए यह 3-6 महीने नींद न आने जैसा होता है। चिड़चिड़ापन और कंफ्यूजन रहती है। सबसे ज्यादा चिंता नए बच्चे की सही तरीके से देखभाल करना था।”
एक अच्छी मां की परिभाषा
अवंतिका बहुगुणा ने अच्छी मां की परिभाषा पर कहा, "हर मां एक अच्छी मां होती है, केवल वही जानती है कि उसके बच्चे के लिए सबसे अच्छा क्या है। यहां तक कि जब आप किसी मुसीबत में होते हैं और उस समय अपने बच्चे के पास जाते हैं, तो बच्चा कहा है मम्मी यू आर द बेस्ट। आप लोगों और समाज के लिए एक बुरी मां हो सकती हैं, लेकिन आपका बच्चा ऐसा कभी नहीं कहेगा। आप हमेशा अपने बच्चे के लिए सबसे अच्छी और अच्छी मां हैं।”
एक महिला और एक मां के बीच अंतर
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अवंतिका बहुगुणा ने हमें एक महिला और मां के बीच का अंतर बताया। एक बिना बच्चे की महिला अपने-आप सारे निर्णय लेती है, लेकिन जब वह मां बन जाती है, तो उसकी जिंदगी एक बच्चे के इर्द-गिर्द ही घूमने लगती है। इसका एक उदाहरण कि क्या मुझे रात में बाहर जाना चाहिए या नहीं।
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मां बनने के बाद जीवन में आने वाले बदलाव
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मां बनने के अपने अनुभव पर अंवतिका बहुगुणा ने बताया कि हम देखभाल करने वाले लोग हैं। जब कोई भी महिला मां बनती है, तो यह स्वाभाविक है कि वह अपने बच्चे की देखभाल करे और इसके लिए मां को बच्चे के आसपास रहना होता है। एक बच्चे को डे केयर में भेजना, अकेले ट्रैवल करना और काम के सिलसिले में कहीं बाहर जाने को अच्छा नहीं माना जाता था। उन्होंने कहा, “एक पिता को मां के साथ बच्चे की जिम्मेदारी उठानी चाहिए, खासतौर पर अगर महिला वर्किंग वन हो। मुझे मेरे फैसले पर गर्व है। मेरा एक बच्चे की परवरिश का तरीका हैप्पी पेरेंटिंग है: खुश मां एक खुश बच्चे की परवरिश करती हैं।”
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मॉम गिल्ट के बारे में कही ये बात
जब अंवतिका से मॉम गिल्ट के बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा “यह सब दिमागी बातें हैं। मैं मॉम गिल्ट शब्द पर विश्वास नहीं करती। मैंने कभी गिल्ट महसूस नहीं किया और हम कोई अपराध नहीं कर रहे हैं।”
काम करने वाली महिलाओं के प्रति सोच
कुछ ही दिनों में मदर्स डे आने वाला है। अवंतिका ने वर्कप्लेस के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा, "बहुत कुछ चीजों में बदलाव करने की जरूरत है। एक बार जब मैं इंटरव्यू दे रही थी तब मुझसे एचआर ने पूछा कि अगर आप काम काम करेंगी, तो आप अपने बच्चे को कैसे संभालेंगी? इस पर मैनें जवाब दिया कि क्या आप यह सवाल किसी पुरुष से पूछती हैं?”
फ्लेक्सिबल टाइमिंग के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, कि ' “जब मैं घर जाने के लिए तैयार होती थी, तो उसी समय मेरे मैनेजर मीटिंग के लिए बुलाते थे। ऐसा दो बार हुआ और तीसरे दिन मैंने कहा, 'आपने मुझसे कहा था कि ऑफिस में मांओं के लिए फ्लेक्सिबल टाइम होगा और मैं इसकी शिकायत करूंगी।'” उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए बोलना जरूरी है। बात केवल कंपनी की नीतियों और नियमों की नहीं है बल्कि मानसिकता को भी बदलना होगा।
एक मां को अपना जीवन भी जीना चाहिए
अक्सर एक महिला मां बनने के बाद अपनी असली पहचान भूल जाती हैं। ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। महिलाओं की पहचान पर बात करते हुए अवंतिका ने कहा कि महिलाओं को जो भी काम पसंद है और वह जो करती हैं, उसके प्रति जुनूनी होना चाहिए। उन्होंने कहा, “चुनौतियों को स्वीकार करें और वह करें जो आपको पसंद हो। हर मां के लिए मेंटल हेल्थ, सेल्फ लव और सेल्फ केयर बेहद जरूरी है।”
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