यह बेहद गर्व की बात है कि इस बार 'टोक्यो ओलंपिक 2021' में भारत की ओर से भेजे गए खिलाड़ियों में से 56 महिला खिलाड़ी हैं। यह सभी अपने-अपने खेल में माहिर हैं और भारत के नाम को ऊंचाइयों पर पहुंचा चुकी हैं। इन्हीं महिला खिलाड़ियों में से एक नाम कमलप्रीत कौर का आता है। आपको बता दें, टोक्यो ओलंपिक्स 23 जुलाई से शुरू हो चुका है और इसमें डिस्कस थ्रोअर का खेल होना अभी बाकी है।
कमलप्रीत कौर भारत की टॉप डिस्कस थ्रोअर हैं। टोक्यो ओलंपिक में आपको कमलप्रीत का भी बेहतरीन खेल देखने को मिलेगा। आज हम इस होनहार खिलाड़ी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य आपको बताने वाले हैं।
भारत की कमलप्रीत कौर ने पहली बार डिस्कस थ्रो फाइनल्स में पहुंचकर इतिहास रच दिया है। शनिवार 31 जुलाई को हुए मैच में कमलप्रीत ने 64 मीटर का थ्रो किया जिससे वो दूसरी ऐसी एथलीट बन गई हैं जिसे ऑटोमैटिक क्वालिफिकेशन के जरिए फाइनल राउंड में एंट्री मिली है। डिसकस थ्रोअर कमलप्रीत ने सभी क्वालिफिकेशन राउंड्स में बेहतरीन परफॉर्मेंस दिया।
कमलप्रीत से आगे अमेरिका की वैलरी आलमैन रहीं जिन्होंने 66.42 मीटर थ्रो किया। भारत की काबित एथलीट सीमा पुनिया इस राउंड में खेल से बाहर हो गईं और 60.57 मीटर से आगे वो थ्रो नहीं कर पाईं। अब भारत को ओलंपिक गेम्स में एक और मेडल की उम्मीद जाग गई है।
कमलप्रीत कौर का जन्म 4 मार्च 1996 में पंजाब के श्री मुक्तसर साहिब जिले के बादल गांव में हुआ था। बचपन में कमलप्रीत का ध्यान बहुत अधिक पढ़ाई-लिखाई में नहीं लगता था, मगर कमलप्रीत काफी फुर्तीली थीं और इस बात को उनके स्पोर्ट्स टीचर ने भांप लिया था। इसलिए उन्होंने कमलप्रीत को एथलेटिक्स में आने के लिए प्रेरित किया। टीचर की बात सुन कर कमलप्रीत ने खेल में अपना करियर संवारने की ठान ली।
एक लीडिंग मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में कमलप्रीत ने बताया, 'पढ़ाई में मेरा मन नहीं लगता था। वर्ष 2012 की बात है, शॉट पुट (Shot Put ) में एक स्टेट लेवल मीट होने जा रही थी और मेरे स्पोर्ट कोच ने मुझे इसमें भाग लेने के लिए कहा। मैंने इस प्रतियोगिता में भाग लिया और चौथे नंबर पर आई। तब मुझसे बहुत सारे लोगों ने कहा कि मेरा शरीर अच्छा है और मुझे खेल के प्रति थोड़ा ध्यान देना चाहिए। तब ही मैंने सोच लिया था कि खेल में ही करियर बनाना है।'
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कमलप्रीत ने यह तो ठान लिया था कि अब खेल में ही आगे बढ़ना है, मगर उनकी डगर आसान नहीं थी। कमलप्रीत एक किसान परिवार से हैं। इसलिए खेल से जुड़ी महंगी सामग्री इकट्ठा कर पाना उनके लिए आसान नहीं था। मगर कहते हैं न जहां चाह वहीं राह। इस तर्ज पर कमलप्रीत आगे बढ़ीं और अपने लिए रास्ते बनाती चली गईं। सही मायनों में कमलप्रीत ने अपने करियर को वर्ष 2014 से थोड़ा गंभीरता से लेना शुरू किया। इसी वर्ष उनका जुड़ाव अपने ही गांव में स्थित भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) केंद्र से हुआ और उनका प्रारंभिक प्रशिक्षण शुरू हुआ।
एक लीडिंग मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में कमलप्रीत कौर ने बताया, 'केंद्र में मौजूद कोच प्रीतपाल मौर्य एक डिस्कस थ्रोअर थे। इसलिए उन्होंने मुझे भी इसी खेल में आगे बढ़ने की सलाह दी और मैं शॉट पुट छोड़ कर इस खेल में आ गई।'
अपने कठिन परिश्रम से मात्र 2 वर्षों में ही कमलप्रीत नेशनल चैंपियन बन गईं। दरअसल, वर्ष 2016 में कमलप्रीत ने अंडर-18 और फिर अंडर-20 में जीत हासिल की थी। इसके बाद वर्ष 2017 में कमलप्रीत ने 29वें वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स में 6वां स्थान प्राप्त किया था। इसके बाद वर्ष 2019 दोहा में एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हिस्सा लेकर कमलप्रीत ने 60.25 मीटर चक्का फेंक कर पहला गोल्ड मेडल अपने नाम करवा लिया था।
कमलप्रीत की सबसे ताजी उपलब्धि है कि उन्होंने 24वें फेडरेशन कप सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में अपने पहले ही प्रयास में 65.06 मीटर चक्का फेंक कर टोक्यो ओलंपिक 2021 में अपना स्थान पक्का करवा लिया था। आपको बता दें कि इस प्रतियोगिता में कमलप्रीत ने खिलाड़ी कृष्णा पूनिया द्वारा स्थापित किया गया 64.76 मीटर का रिकॉर्ड तोड़ इतिहास रच देश की टॉप डिस्कस थ्रोअर बन गई हैं।
कमलप्रीत भारतीय रेलवे में सीनियर क्लर्क हैं। सभी खिलाड़ियों की तरह कमलप्रीत भी टोक्यो ओलंपिक 2021 में जीत हासिल कर भारत का नाम रोशन करना चाहती हैं। इसके साथ ही वह क्रिकेट में भी खुद को आजमा कर देखना चाहती हैं। आपको बता दें कि जब लॉकडाउन की वजह से पूरा देश बंद था, तब खेल की दुनिया से दूरी कमलप्रीत को डिप्रेशन में ले आई थी। एक लीडिंग मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में कमलप्रीत ने बताया था कि वह इस दौरान इतना अधिक सोचती थीं कि क्रिकेट के प्रति उनका रुझान बढ़ने लगा। उन्होंने यह तक सोच लिया था कि वह ओलंपिक के बाद एथलेटिक्स छोड़ कर क्रिकेट में करियर बनाएंगी।
आपको बता दें कि 21 जुलाई से टोक्यो में शुरू हो रहे ओलंपिक 2021 में कमलजीत को अपने हुनर का प्रदर्शन करने का मौका 31 जुलाई को मिलेगा।
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