हमारे देश में महिलाएं लंबे समय से हिंसा की शिकार होती रही हैं। कभी सड़क चलते वे अपराध का शिकार होती हैं तो कभी अपने घर वालों के हाथों। हर जगह महिलाओं के साथ होने वाली नाइंसाफी के कारण महिलाओं की जिंदगी काफी ज्यादा चैलेंजिंग है। लेकिन महिलाएं इससे हारकर निराश हो गई हैं, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी के करीब स्थित है एक छोटा सा गांव खुशियारी से ताल्लुक रखने वाली ग्रीन गैंग की महिलाएं अपने साथ होने वाले अत्याचार के खिलाफ बिगुल बजाने और पुरुषों की ज्यादतियों के खिलाफ मोर्चा खोलने को लेकर चर्चा में हैं। इस गांव में पुरुषों के शराब पीने और उसके बाद महिलाओं के साथ ज्यादतियां होने की घटनाएं अक्सर होती थीं, लेकिन उससे लड़ने के लिए यहां की महिलाओं ने तो तरीका अख्तियार किया, उसकी चर्चा हर तरफ है। इन महिलाओं ने समूह में गांव में घूमना शुरू किया और गांव के कच्ची शराब के मटके तोड़ डाले, जिसका वीडियो वायरल हो गया है। आइए जानें इनकी इंस्पिरेशनल स्टोरी के बारे में-
हरी साड़ी है इनका हथियार
गांव में आमतौर पर महिलाएं शांति से रहती हैं और घर-परिवार में होने वाली परेशानियों, तकलीफों को खामोशी से सह जाती हैं, लेकिन खुशियारी गांव की महिलाओं ने घरेलू हिंसा, शराब पीने और जुआ खेलने के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है। इन महिलाओं ने एकजुट होकर अपने साथ होने वाली ज्यादतियों का जवाब देना शुरू कर दिया है। ये महिलाएं पूरे गांव में घूमती हैं और ऐसे घर जहां पर पुरुष महिलाओं को परेशान करते हैं या जुआ खेलते हैं, वहां पुरुषों को सबक सिखाती हैं। इस समूह में जुड़ने से पहले ये सभी महिलाएं अपने घर में तकलीफें सह रही थीं। जब इन महिलाओं से पूछा गया कि इन्होंने अपने लिए हरा रंग क्यों चुना है तो इनका जवाब था कि हरा रंग शांति और संपन्नता का प्रतीक है, इसीलिए इन्होंने अपने लिए हरे रंग की साड़ी चुनी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले साल जो आंकड़े जारी किए थे, उनके अनुसार एक तिहाई से ज्यादा भारतीय महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार हो रही हैं। लेकिन ऐसे मामले की गिनती सरकारी आंकड़ों से कहीं ज्यादा है।
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ग्रीन गैंग के साथ जुड़ी आशा देवी
आशा देवी, इसी गांव की रहने वाली हैं। उनके पति अक्सर घर शराब पीकर आते थे और उसके बाद उनकी पिटाई करते थे। आशा देवी ने मीडिया को दिए इंटरव्यू में बताया, 'कई बार मेरे पति ने मुझे बच्चों के सामने मारा। कई बार ऐसा हुआ है कि उन्होंने मेरा सिर दीवार में लड़ा दिया।'
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ऐसे हुई बदलाव की शुरुआत
कुछ वक्त पहले तक यह गांव वैसा ही था, जैसे हमारे देश के दूसरे गांव हैं। लेकिन जब यहां यूनिवर्सिटी के कुछ छात्रों का आना हुआ तो उन्होंने महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करना शुरू किया। दिव्यांशु उपाध्याय, जो कई तरह के सामाजिक कार्यों में लगे हुए हैं, उन्होंने गांव की महिलाओं को अपना नाम लिखना, खाता खुलवाना और अजनबी लोगों से बात करना सिखाया। साथ ही इन्होंने महिलाओं को पुलिस में शिकायत दर्ज कराना भी सिखा दिया। इन युवाओं से सीख लेकर महिलाओं ने बहुत जल्दी अपनी स्थितियों को बेहतर बनाने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया। इसी का नतीजा था कि यहां की महिलाओं ने घरेलू हिंसा और शराबखोरी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करना शुरू कर दिया। दरअसल दिव्यांशु उपाध्याय के घर में घरेलू हिंसा की वजह से उनकी चाची ने खुदकुशी कर ली थी। इस घटना ने उन्हें इस कदर प्रभावित किया कि उन्होंने महिलाओं को सशक्त बनाने की ठान ली।
महिलाओं ने ली मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग
शहर से गांव आए युवाओं ने गांव की महिलाओं को आत्मरक्षा के लिए एक महिला मार्शल आर्ट्स ट्रेनर की भी मदद ली, जिन्होंने यहां की महिलाओं को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दी। गांव की महिलाओं ने खुद को मजबूत बनाने के बाद अपने गांव की महिलाओं के साथ-साथ आसपास के गांव में रह-रही महिलाओं को जागरूक बनाने की शुरुआत की है। जब ये महिलाओं घरेलू हिंसा और पतियों के घर में शराब पीकर पत्नी की पीटने जैसी घटनाओं के बारे में पुलिस के बाद पहुंचती हैं, तो इनका संख्याबल देखकर पुलिस भी मामले में कार्रवाई करने के लिए मजबूत होती है।
महिलाओं की मुहिम का दिख रहा है असर
महिलाओं का एकजुट होकर अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने का प्रयास रंग ला रहा है। अब पुरुष इनकी कही बातों को गंभीरता से लेने लगे हैं। ये महिलाएं शाम को गांव में घूमती हैं और पुरुषों को शराब पीने के दुष्प्रभावों के बारे में बताती हैं। इन महिलाओं के समूह में घूमने और पुरुषों से प्रभावशाली तरीके से बात करने की वजह से इलाके में इनका काफी रुतबा है। अब तक इस गैंग में 25 महिलाएं जुड़ चुकी हैं और उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में इसमें महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ेगी।
Image Courtesy: ABC News
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