"सपने सिर्फ देखे नहीं जाते, उन्हें जिया जाता है और जब इरादे अडिग हों, तो हर सपना हकीकत में बदल जाता है।" कुछ ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी है अपर्णा सिंघल की, जिन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में जागरूकता फैलाने और शिक्षा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का संकल्प लिया।
एक साइकोलॉजिस्ट, एक विजनरी लीडर और GuruVerse AI की को-फाउंडर, अपर्णा न सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य को लेकर समाज में जरूरी बातचीत शुरू कर रही हैं, बल्कि टेक्नोलॉजी और शिक्षा के संगम से बदलाव की एक नई लहर भी पैदा कर रही हैं।
हाल ही में हरजिंदगी वुमेनप्रेन्योर अवॉर्ड्स 2025 में उन्हें 'एक्सीलेंस इन एजुकेशन' अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। यह सिर्फ एक पुरस्कार नहीं, बल्कि उनके समर्पण, मेहनत और समाज को बदलने की उनकी अटूट इच्छाशक्ति का जीता-जागता प्रमाण है।
अपर्णा ने जाना कि कैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से स्टूडेंट और एडुकेटर्स की इमोशनल हेल्थ में बड़ा बदलाव आ सकता है। उन्होंने इस ओर कदम बढ़ाया और एक ऐसे फील्ड में नाम बनाने की पुरजोर कोशिश कर रही हैं जहां पुरुषों का दबदबा माना जाता है।
अपनी सफलता पर वह कहती हैं, "यह अवॉर्ड मेरे लिए सिर्फ एक सम्मान नहीं, बल्कि उस सफर की याद दिलाता है जिसमें मैंने संदेह को पीछे छोड़ा, परंपराओं को चुनौती दी और यह साबित किया कि एआई लर्निंग को बेहतर बना सकता है।"
अपर्णा उन महिलाओं में से हैं, जो न सिर्फ अपने लिए रास्ते बनाती हैं, बल्कि औरों के लिए भी रोशनी की किरण बन जाती हैं। उनका सफर हमें सिखाता है कि अगर हौसला बुलंद हो और जुनून सच्चा हो, तो हर मुश्किल एक नए मुकाम की ओर बढ़ने का जरिया बन जाती है। आइए, जानते हैं उनकी प्रेरणादायक जर्नी के बारे में!
एक्सीलेंस इन एजुकेशन अवॉर्ड जीतना है बड़ा सम्मान
अपने काम के लिए सम्मान पाना हर इंसान का सपना होता है। हालांकि, सम्मान के साथ आती हैं तमाम जिम्मेदारियां। अपर्णा के लिए भी यह सम्मान खुशी की बात है, लेकिन इसके साथ ही उन्हें आगे बढ़ने का हौसला भी मिला। वह कहती हैं, "यह सम्मान पाकर मुझे लगा कि अगर हौसला, सही उद्देश्य और नई सोच हो, तो किसी भी क्षेत्र में बदलाव लाया जा सकता है।
यह पहचान जो मुझे मिली, वह मुझे और मेरी टीम को प्रेरित करती है कि हम ऐसा एआई विकसित करें, जो शॉर्टकट नहीं, बल्कि क्रिटिकल थिंकिंग को बढ़ावा दे। लेकिन सबसे अहम बात यह है कि यह पुरस्कार सिर्फ अब तक की उपलब्धियों का जश्न नहीं है, बल्कि आगे की जिम्मेदारियों को बढ़ाता है। शिक्षा को बदलने का काम अभी अधूरा है और इस सम्मान के साथ हम और भी ज्यादा समर्पण और जुनून के साथ इस दिशा में काम करने के लिए तैयार हैं।"
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एआई-ड्रिवन कंपनी को लीड करने पर उठे सवालों को दिया मुंहतोड़ जवाब
एआई को अक्सर कोडिंग से ही जोड़कर देखा जाता है और मान जाता है कि एक महिला के लिए यह समझना मुश्किल है। अपर्णा मनोविज्ञान के क्षेत्र से आईं, तो उनके लिए मुश्किलें ज्यादा बड़ी थीं। उन्हें सवालों के घेरों में आना पड़ा। एक एआई-ड्रिवन कंपनी को बगैर एक्सपीरियंस की लड़की लीड करने जा रही थी, तो उनकी क्षमता पर सवाल उठे।
वह कहती हैं, "सबसे बड़ी चुनौती यह साबित करना था कि इनोवेशन सिर्फ कोडिंग तक सीमित नहीं है। यह लोगों को समझने, उनके व्यवहार को जानने और सीखने की वास्तविक जरूरतों को पहचानने के बारे में भी है। मेरी मनोविज्ञान की समझ ने मुझे एक अलग दृष्टिकोण दिया, जिससे मैंने ऐसा एआई डिजाइन किया जो केवल बुद्धिमान ही नहीं, बल्कि जिम्मेदार और एथिकल है। 'टेक फाउंडर' की पारंपरिक छवि में फिट होने की बजाय, मैंने अपनी खासियत पर ध्यान दिया कि कैसे एआई को क्रिटिकल थिंकिंग को मजबूत करने के लिए इस्तेमाल किया जाए, न कि इसे पूरी तरह से रिप्लेस करने के लिए।"
अपर्णा के लिए इन बाधाओं को पार करने का मकसद यह साबित करना नहीं था कि वह टेक्नोलॉजी की दुनिया में फिट बैठती हैं, बल्कि यह दिखाना था कि एआई और शिक्षा में लीडर का मतलब क्या हो सकता है।
GuruVerse AI की मदद से छात्रों की हो रही है मदद
अपर्णा मानती हैं कि एआई प्रोफेशनल मेंटल हेल्थ सपोर्ट की जगह नहीं ले सकता, लेकिन यह एक बढ़िया लर्निंग एक्सपीरियंस बना सकता है। "गुरुवर्स एआई में, हमारा लक्ष्य इस रिश्ते को और बेहतर बनाना है। हमारा एआई सिर्फ नंबर नहीं देता, बल्कि छात्रों को यह समझने में मदद करता है कि उनकी ताकतें क्या हैं और किन क्षेत्रों में सुधार की जरूरत है। जब छात्रों को स्पष्ट और डिटेल्ड फीडबैक मिलता है, तो उनका आत्मविश्वास बढ़ता है और वे पढ़ाई को एक सकारात्मक नजरिए से देखने लगते हैं।"
वहीं, शिक्षकों के लिए यह इस तरह मदद करता है कि यह छात्रों की प्रगति को गहराई से समझने का मौका देता है। जहां पहले घंटों तक मैन्युअली कॉपी जांचने में समय लगता था, अब शिक्षक डेटा-बेस्ड इनसाइट्स के जरिए सही मार्गदर्शन दे सकते हैं।
लीडर होना महिला के लिए सिर्फ एक टाइटल नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है
इस क्षेत्र में महिला नेतृत्व का मतलब है अगली पीढ़ी की महिलाओं के लिए एक उदाहरण बनना, जिससे उन्हें यह भरोसा मिले कि वे भी इस क्षेत्र में आ सकती हैं और अपनी पहचान बना सकती हैं। जब महिलाएं शिक्षा और एआई में लीडरशिप रोल निभाती हैं, तो वे न केवल अपने संगठन के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए बदलाव की राह खोलती हैं।
ऐसा ही कुछ अपर्णा भी सोचती हैं, "मेरे लिए यह सफर सिर्फ एक एडटेक कंपनी बनाने तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह यह परिभाषित करने का भी था कि एआई और शिक्षा में नेतृत्व करने का अधिकार किसे मिलता है। एक साइकोलॉजी बैकग्राउंड से आने के कारण मैं "टिपिकल" टेक फाउंडर नहीं थी और एक महिला होने के नाते, मुझे अपनी क्षमताओं को बार-बार साबित करना पड़ा। लेकिन शक और संदेह को अपनी पहचान बनाने देने के बजाय, मैंने नतीजों पर ध्यान दिया।"
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एआई और एडटेक का भविष्य में महिलाओं की भागीदारी है जरूरी
अपर्णा मानती हैं कि एआई की फील्ड में महिलाओं की भागीदारी बेहद जरूरी है। सिर्फ भागीदारी नहीं, बल्कि उनका नेतृत्व में आना आवश्यक है। यहीं से बदलाव होगा। उनका मानना है कि महिलाओं को एआई और एडटेक लीडरशिप में लाने के लिए हमें पहले यह बदलना होगा कि लीडरशिप कैसी दिखती है। जब महिलाएं अन्य महिलाओं को इन क्षेत्रों में नेतृत्व करते हुए देखती हैं, तो यह उनके लिए भी प्रेरणा बनता है। HerZindagi जैसे महिला-नेतृत्व वाले प्लेटफॉर्म हमें याद दिलाते हैं कि हम इस सफर में अकेले नहीं हैं। जब महिलाएं एक-दूसरे को समर्थन देती हैं, तो आत्मविश्वास बढ़ता है और नए अवसरों के दरवाजे खुलते हैं।
अपर्णा सिंघल ने यह साबित कर दिया कि एआई की दुनिया में कदम रखने के लिए न तो गणित का जीनियस होना जरूरी है और न ही कोडिंग का मास्टर। अगर सीखने की ललक और कुछ नया करने का जुनून हो, तो हर चुनौती को पार किया जा सकता है।
एक साइकोलॉजिस्ट होने के नाते, अपर्णा ने अपने मनोवैज्ञानिक ज्ञान को क्रिटिकल थिंकिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ जोड़कर एक नई राह बनाई। उन्होंने दिखाया कि एआई सिर्फ एल्गोरिदम और कोड तक सीमित नहीं, बल्कि एक ऐसा साधन भी है, जो छात्रों की सोचने-समझने की क्षमता को निखार सकता है।
वे तकनीक और इंसानी समझ के इस अनोखे संगम से शिक्षा को नई दिशा दे रही हैं। उनके जुनून, दृष्टिकोण और समर्पण को सलाम!
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