भारत की एक ऐसी वीरांगना जिसने 20 साल की उम्र तक लड़े 7 युद्ध, जानिए उत्तराखंड की रानी लक्ष्मीबाई की कहानी

आपने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के बारे में बहुत कुछ सुना होगा, लेकिन क्या आपको उत्तराखंड की रानी लक्ष्मीबाई कहलाने वाली वीरांगना तीलू रौतेली के बारे में जानकारी है। इस वीरांगना ने 20 साल की उम्र तक 7 युद्ध लड़ लिए थे। 
history of tilu rauteli known as the rani lakshmibai of uttarakhand

जब हम भारतीय इतिहास की वीरांगनाओं की बात करते हैं, तो हमारे दिमाग में रानी लक्ष्मीबाई, अवंतीबाई और अहिल्याबाई जैसे नाम आते हैं। आमतौर पर हर किसी को प्रसिद्ध वीरंगनाओं की कहानियों का पता होता है, जिन्होंने दुश्मनों का डाटकर सामना किया था। लेकिन, क्या आपको पता है कि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से करीब 150 साल पहले उत्तराखंड की पहाड़ियों पर एक 15 साल की वीरांगना ने तलवार उठाई थी। जिस उम्र में लड़कियां खिलौनों से खेलती हैं, उस उम्र में तीलू रौतेली ने अपने पिता और भाई की मौत का बदला लेने के लिए तलवार को हाथों में उठा लिया था। वह 20 साल की उम्र तक 7 बड़ी लड़ाइयां लड़ चुकी थीं। आज भी गढ़वाल के गांवों में लोग लोकगीतों में रौतेली गीत गाकर तीलू रौतेली के पराक्रम और वीरता का बखान करते हैं।

पहाड़ियों में जन्मी और साहस के साथ बड़ी हुई

8 अगस्त 1661 को पौड़ी गढ़वाल के चौंदकोट गांव में उत्तराखंड की बहादुर वीरांगना तीलू रोतैली का जन्म हुआ था। उनका असली नाम तिलोमत्ता देवी था। उनके पिता का नाम भूप सिंह और माता का नाम मैनावती रानी था। तीलू के पिता गढ़वाल के शासक के दरबार में काम किया करते थे। तीलू के दो बड़े भाई थे और वह सबसे छोटी थीं। उन्हें बचपने से ही तलवार चलाने और घुड़सवारी करने का शौक था। जब वह 15 साल की हुईं, तो उनकी सगाई चौंदकोट के थोकदार भूम्या सिंह नेगी के बेटे भवानी सिंह से कर दी गई।

15 साल की उम्र उठा ली थी तलवार

History of Garhwal,Women Warriors in History

इसके बाद, तीलू के परिवार में दुख के बादल छा गए। उनके पिता और भाई अपनी सेना के साथ कत्यूरी और डोटी के हमलावरों से अपनी जमीन बचाते हुए युद्ध में शहीद हो गए। पड़ोसी शासक लगातार गढ़वाल की जमीन को कब्जे में करने की कोशिश करते रहे। उस दौरान, तीलू ने तलवार उठाई और अपने घोड़े बिंदुली पर सवारी करके बदला लेने के साथ-साथ जमीन की रक्षा करने की कसम खाई। तीलू ने दोस्तों और गांवों के युवाओं के साथ मिलकर छोटी-सी सेना बनाई। अगले कुछ सालों में तीलू रौतेली ने खैरागढ़,साल्ड महादेव,कलिंकाखाल,भैरवगढ़,चौखुटिया,सराईखेत और देघाट जैसे सात बड़े युद्धों को लड़ा और जीत हासिल की। तीलू रौतेली ने केवल तलवार नहीं चलाई, बल्कि सेना का नेतृत्व भी किया। उन्होंने साबित किया कि 20 साल की लड़की भी 100 सिपाहियों जितनी ताकत और हिम्मत रख सकती है।

20 साल की उन्र तक लड़ चुकी थीं 7 युद्ध

आपको जानकर हैरानी होगी कि तीलू रौतेली की मृत्यु केवल 20 साल की उम्र में हो गई थी। किंवदंतियों के अनुसार, जब वीरांगना युद्ध जीतने के बाद नयार नदी में नहा रही थीं, तब उन पर अचानक हमला कर दिया गया था।

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क्यों तीलू रौतेली को कहा जाता है उत्तराखंड की रानी लक्ष्मीबाई?

tilu rauteli

दरअसल तीलू रौतेली को उत्तराखंड की रानी लक्ष्मीबाई इसलिए कहा जाता है, क्योंकि झांसी की रानी की तरह ही उनकी उम्र भी कम थी और हिम्मत किसी योद्धा से कम नहीं थी।

दोनों वीरांगनाओं ने अपने करीबियों को खोकर खुद को युद्ध के लिए तैयार कर लिया था। दोनों ने तलवार उठाकर अपनी जमीन और लोगों की रक्षा की थी। आज भी उत्तराखंड सरकार तीलू रैतेली को श्रद्धाजंलि देने के लिए हर साल सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करती है।

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Image Credit - wikipedia, jagran
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