आसमान में उड़ते हुए पक्षी किसे अच्छे नहीं लगते हैं? पर वो कहते हैं न अति हर जगह खतरनाक होती है। अगर यही पक्षी हज़ारों-लाखों के झुंड में आपके सामने आ जाएं तो शायद आपको भी डर लगेगा और अगर ये आपके घर के आस-पास अपना घर बना लें तो डरना स्वाभाविक है। आखिर हो भी क्यों न हज़ारों पक्षियों की वजह से कई तरह की बीमारियां होती हैं, यही नहीं आस-पास रहने वालों की जिंदगी में कई तरह के बदलाव आ जाते हैं। फुटपाथ पर चलने से लेकर गाड़ी चलाने तक ये पक्षी परेशान कर सकते हैं, बड़ों से लेकर बच्चों तक सभी पर इनका असर होता है। यही हाल है अंधेरी वेस्ट में लोखंडवाला और उसके आस-पास की कई सोसाइटी में रहने वाले लोगों की। यहां एक कबूतरखाना है जो लंबे समय से यहां के नागरिकों के लिए समस्या बनता जा रहा है। पुलिस से लेकर बीएमसी तक सभी को गुहार लगा चुके नागरिकों में से एक बीना अग्रवाल ने Herzindagi से कॉन्टैक्ट कर हमें अपनी समस्या बताई और इसके कई सबूत भेजे। आलम ये है कि अब कबूतरों की ये समस्या लोगों के स्वास्थ्य में परेशानी पैदा करने लगी है।
बीना अग्रवाल, अंधेरी वेस्ट की ओबेरॉय स्प्रिंग सोसाइटी में रहती हैं और उनका बेटा रनवाल एलिगांटे में रहता है। जितना अच्छा ये इलाका है उसके आस-पास की तस्वीरें आपको चौंका देंगी। हज़ारों की तादाद में कबूतर यहां मौजूद हैं। लोगों ने यहां खाना डालने का अड्डा बना लिया है। बीना जी, खुद एक सोशल वर्कर हैं और ग्लोबल ट्रस्ट सपोर्ट नाम के एनजीओ से जुड़ी हुई हैं। वो लगातार कई महीनों से इस समस्या को लेकर दर-दर भटक चुकी हैं। सीनियर सिटिजन होने के बावजूद उनकी कोशिशों पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। हमसे अपनी परेशानी बताते हुए बीना जी ने कहा, 'हम लोगों ने कई बार पुलिस और बीएमसी को संपर्क किया। अगर एक्शन होता भी है तो वापस समस्या पहले जैसी हो जाती है।'
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बीना जी ने हमें कई वीडियो और तस्वीरें भेजे जिसमें ये दिखाया गया था कि कैसे वो सफाई करने की कोशिश कर रही हैं और उन्हें रोका जा रहा है। उनसे और अन्य नागरिकों से लड़ाई भी की गई और बहुत ज्यादा बुरे लहजे में बात भी की गई।
लंबे समय से बनी हुई है परेशानी-
बीना जी का कहना है कि, 'ये समस्या लंबे समय से बनी हुई है 2.5 साल लगभग हो गए हैं। पहले कई बार सोसाइटी के लोग भी दाना डालते थे, लेकिन बाद में यहां बोरियों से भरकर दाना डाला जाने लगा। यहां लोगों का ग्रुप बन गया जो कई बोरियां डालते हैं रोज़ाना। हमने कहा कि हम पीछे लेक (तालाब) के पास कबूतरों के लिए कुछ व्यवस्था करवा देते हैं, लेकिन ये बात नहीं मानी गई। आखिर थक हारकर सोसाइटी वालों ने सफाई का बेड़ा उठाया। हम खुद जाकर सफाई करने लगे तो उसपर भी असोसिएशन के लोगों ने लड़ाई की। कई बार तो हमें गंदी गालियां भी दी जाती हैं। शिकायत को लेकर भी वो लोग खुले आम बोलते हैं कि हम तो हफ्ता खिलाते हैं। यहां पर पास में स्कूल भी है, कई लोग आते-जाते हैं, यहां खाने-पीने के ठेले भी लगे हैं, इनकी वजह से चूहे भी बहुत होते हैं। ये कबूतर स्विमिंग पूल का पानी पीते हैं और मरते हैं। रोज़ाना 15-20 कबूतर किसी न किसी वजह से मरते हैं और ये यहां रहने वाले लोगों के लिए बहुत बड़ी समस्या है।'
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— Punit Punamiya (@punamiyap) March 11, 2020
आस-पास हैं स्कूल और कई सोसाइटी-
रॉयल अकॉर्ड, रहेजा क्लासिक, गोल्डन चैरियट, ओबेरॉय स्प्रिंग, रनवाल एलिगांटे और अशोका एकैडमी स्कूल आदि सब इसी एरिया में है और जिस तरह की गंदगी फैलाई जा रही है उससे इस इलाके में रहने वाले और आने-जाने वाले सभी लोगों को समस्या होती है। बीना जी का कहना है, 'फुटपाथ पर आप चल नहीं सकते, आधा मेट्रो ने कवर कर लिया, एक टाइम दाना डाल दिया कबूतर का पेट भर गया वो भी ठीक है, लेकिन कितनी बोरी दाना कबूतरखाने को जरूरी होता है? ऐसी चीज़ें खुले में होनी चाहिए, लेकिन ये सोसाइटी के पास है। कोरोना फैला हुआ है कितनी बीमारियां फैली हुई हैं, एक बार अगर कहीं बर्ड फ्लू फैल गया तो ये कितना खतरनाक हो सकता है। सफाई की तो जरूरत है ना।'
BMC का रहा ऐसा रिएक्शन-
इस मामले में हमने के वॉर्ड के BMC ऑफिस से भी कनेक्ट करने की कोशिश की। वहां ऑपरेटर से बात करने पर डिपार्टमेंट के HOD से बात करने को कहा गया। साथ ही ये भी कहा गया कि वो अभी साइट विजिट पर हैं और इस समस्या के बारे में स्टेटमेंट वही दे पाएंगे। इसके साथ ही हमें आश्वासन भी दिया गया कि अगर बीएमसी के पास शिकायत आई है तो उसका हल जरूर निकाला जाएगा।
इसके अलावा, सोसाइटी वालों की शिकायत पर बाकायदा ट्वीट कर बीएमसी ने इस शिकायत पर जल्द हल निकालने का आश्वासन दिया है।
Sorry for inconvenience, complaint has been lodged against defaulter. Thank you for interacting with us. pic.twitter.com/zeVCR0iuwE
— Ward KW BMC (@mybmcwardKW) March 13, 2020
खुद बीना जी ने भी बताया कि अंधेरी स्टेशन के सामने बीएमसी ऑफिस जाकर के वॉर्ड के डेप्युटी कमिश्नर से शिकायत की गई थी। उसके बाद उन्होंने अपनी टीम से भी मिलवाया। एक्शन लिया गया है, पर बीएमसी की तरफ से फाइन लगाया जाता है। उसके आगे वो लोग कुछ कर नहीं पा रहे हैं। होली वाले दिन तो पुलिस से शिकायत भी की गई थी। ये ओशिवारा पुलिस स्टेशन पर हुई थी और उसके बाद भी हल निकालना मुश्किल हो रहा है। यानी प्रसाशन की तरफ से कार्यवाही तो हो रही है, लेकिन कोई ठोस कार्यवाही नहीं।
आस-पास के मेडिकल स्टोर में कम होती सांस से जुड़ी परेशानियों की दवाएं-
बीना जी ने अपनी समस्या को आगे कहते हुए बताया कि यहां आस-पास की दुकानों में मेडिकल स्टोर में अस्थमा से जुड़े पंप, सांस से जुड़ी दवाइयां सबकी शॉर्टेज होती है। कफ तो यहां बहुत ही ज्यादा कॉमन है। ये सब कबूतरों के कारण हो रहा है।
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कबूतरों से होती हैं स्वास्थ्य संबंधित कई बीमारियां-
अगर आपको लगता है कि कबूतरों की समस्या इतनी विकराल कैसे हो सकती है तो हम आपको बताते हैं कि डॉक्टर्स का क्या कहना है इसके बारे में। zoonotic diseases और इन्फेक्शन के बारे में बात करने के लिए मुंबई में ही एक कॉन्फ्रेंस हुई थी। इसमें डॉक्टरों ने बताया कि कबूतरों की गंदगी से एक तरह का फंगस तैयार होता है जो मानव शरीर में फेफड़ों के टिशू को नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे इन्फेक्शन जानवरों से इंसानों तक पहुंचते हैं।इसी कॉन्फ्रेंस में ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल के डॉक्टर प्रतीत समदानी ने कहा था कि जितने ज्यादा लोग कबूतरों की गंदगी के संपर्क में आएंगे उतना ही उनमें निमोनिया होने का खतरा बढ़ेगा।
खुद बीना जी का कहना है कि उनके पिता जी की मृत्यु खतरनाक फेफड़े की बीमारी से हुई है। इस तरह कबूतरों की गंदगी से संपर्क में आने से लंग फाइब्रिओसिस (lung fibrosis) जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है।
यकीनन जीव सेवा एक बहुत ही अच्छा काम है और हमें स्वार्थी न होकर जीवों की मदद करनी चाहिए, लेकिन क्या उसका मतलब ये है कि लोगों के स्वास्थ्य को भी दरकिनार कर दिया जाए। स्वास्थ्य बहुत अहम होता है और अब के दौर में जब बीमारियों ने कई तरह का रूप ले लिया है और अब तो गंदगी हटाना बहुत जरूरी हो गया है क्योंकि कोरोना वायरस का असर बहुत बढ़ गया है। ऐसे में यकीनन बीना जी और उनके जैसे कई नागरिकों को इससे जुड़ी कई तरह की परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। ये सोचने वाली बात है कि आखिर उनकी समस्या पर एक्शन कब लिया जाएगा।
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