इतिहास में दब गईं इन 6 महिला वैज्ञानिकों की खोजें, श्रेय मिला पुरुषों को

महिला होना आसान नहीं है। हमें कम वेतन मिलता है, लिंग भेदभाव का सामना करना पड़ता है और हम महीने पीरियड्स जैसी चुनौतियों से गुजरना पड़ता है। लेकिन, कई ऐसी महिला वैज्ञानिक हुईं जिन्होंने कड़े परिश्रम के साथ आविष्कार किए, लेकिन उन्हें श्रेय नहीं मिला।  
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इतिहास और विज्ञान की किताबों में अक्सर महान पुरुषों का जिक्र किया जाता है, लेकिन कई बार वे उतने महान नहीं थे, जितना बताया गया। असल में, कई ऐसी महान महिला वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को उचित पहचान नहीं मिली, क्योंकि उनका श्रेय पुरुषों ने ले लिया। ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनमें महिलाओं द्वारा की गई महत्वपूर्ण खोजों और आविष्कारों को भुला दिया गया या जानबूझकर नजरअंदाज किया गया। यह तब हुआ, जब महिलाओं को न तो समान शिक्षा मिलती थी और न ही विज्ञान में अवसर दिए जाते थे। इसके बावजूद कई महिलाएं सामाजिक बंधनों को पार कर विज्ञान और अनुंसधान में उल्लेखनीय योगदान देने में सफल रहीं।

दुर्भाग्य से, समय के साथ इन महिलाओं की पहचान खो गई, क्योंकि पुरुषों ने उनके काम का श्रेय लिया, पुरस्कार जीते, प्रसिद्धि पाई और इतिहास में अपनी जगह बना ली। वहीं, कई महिला वैज्ञानिकों के नाम या तो मिटा दिए गए या उन्हें केवल एक फुटनोट तक सीमित कर दिया गया।

आज भी, साइंस और टेक्नोलॉजी सेक्टर में महिलाओं को समान अवसर और वेतन नहीं मिल पा रहा है। लैंगिक भेदभाव अभी भी मौजूद है और जब तक महिला वैज्ञानिकों की कहानियां अधिक शेयर नहीं की जाएगी, तब तक उनके योगदान को पूरी तरह से जस्टिस नहीं मिल पाएगा। महिला दिवस के मौके पर हम आपको उन 6 महिला वैज्ञानिकों के बारे में बताने वाले हैं, जिनकी खोजों का श्रेय पुरुषों को दिया गया।

हेडी लैमर- वायरलेस कम्युनिकेशन

Hedy Lamarr

हॉलीवुड की फेमस एक्ट्रेस हेडी लैमर केवल एक अदाकारा नहीं थीं, बल्कि वायरलेस कम्युनिकेशन की एक महत्वपूर्ण खोजकर्ता भी थीं। सेकेंड वर्ल्डवॉर के दौरान, उन्होंने जॉर्ज एंथिल के साथ मिलकर फ़्रीक्वेंसी हॉपिंग तकनीक विकसित की थी, जिससे सैन्य रेडियो संचार को सुरक्षित बनाया जा सकता था और दुश्मनों द्वारा इसे बाधित करने से रोका जा सकता था।

हालांकि, अमेरिकी नौसेना ने उनके इस आविष्कार को गंभीरता से नहीं लिया और पेटेंट को नजरअंदाज कर दिया। बाद में, बिना श्रेय दिए उनकी तकनीक का इस्तेमाल आधुनिक वायरलेस संचार प्रणालियों को विकसित करने में किया गया। कई सालों बाद, एक शोधकर्ता ने उनके पुराने पेटेंट को फिर से खोजा, जिससे यह पता चला कि उनकी तकनीक ब्लूटूथ, Wifi और जीपीएस जैसी आधुनिक तकनीकों की नींव थी। आखिरकार, हेडी लैमर को उनके योगदान के लिए साल 2000 में इलेक्ट्रॉनिक फ्रंटियर फाउंडेशन पुरस्कार से सम्मानित किया गया और यह पहचान उन्हें उनकी मृत्यु से ठीक पहले मिली।

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मैरियन डोनोवन- डिस्पोजेबल डायपर

Marion Donovan

1940 के दशक में, बच्चों के पास डायपर के ज्यादा ऑप्शन नहीं थे। केवल कपड़े के डायपर ही मौजूद थे। मैरियन डोनोवन ने इस समस्या को हल करने के लिए पहला वाटरप्रूफ डायपर कवर बनाया था। उन्होंने इसे शॉवर पर्दे के कपड़े से तैयार किया और बाद में इसमें बटन भी जोड़ दिए। धीरे-धीरे उन्होंने नायलॉन पैराशूट फैब्रिक से नया डायपर विकसित किया, जो ज्यादा आरामदायक और टिकाऊ था। इस डायपर से बच्चों को रैशेज नहीं होते थे और बच्चे सूखे बने रहते थे।

हालांकि, मैरियन डोनोवन की खोज बेहद उपयोगी थी, लेकिन शुरुआत में डायपर कंपनियों ने उनके पेटेंट को गंभीरता से नहीं लिया और इसे नजरअंदाज कर दिया। बाद में, डिस्पोजेबल डायपर का ऐसा प्रचलन शुरू हुआ कि दुनियाभर के पैरेंट्स इसे इस्तेमाल करने लगे।

रोज़लिंड फ्रैंकलिन- डीएनए डबल हेलिक्स

जब जेम्स वॉटसन और फ्रांसिस क्रिक ने DNA की डबल हेलिक्स संरचना की खोज के लिए प्रसिद्धि पाई, तब बहुत कम लोगों को पता था कि इस खोज की नींव रोज़लिंड फ्रैंकलिन ने रखी थी। 1951 में ब्रिटिश रसायनज्ञ रोज़लिंड ने किंग्ल कॉलेज, लंदन में काम करते हुए DNA की एक महत्वपूर्ण इमेज तैयार की, जिसे फोटो 51 कहा जाता है। यह इमेज साबित करती थी कि DNA की संरचना डबल हेलिक्स के रूप में होती है।

हालांकि, फ्रैंकलिन के एक सहकर्मी ने उनकी अनुमति के बिना यह इमेज वॉटसन और क्रिक को दिखा दी। साल 1953 में वॉटसन और क्रिक ने अपनी स्टडी प्रकाशित कर दी। जब तक फ्रैंकलिन समझ पाती, तब तक यह रिपोर्ट वैज्ञानिक मैगजीन के पहले पन्ने पर छप चुकी थी और फ्रैंकलिन के शोध को कहीं पीछे डाल दिया गया था। हालांकि, 1958 में फ्रैंकिलन की ओवरी कैंसर से मृत्यु हो गई और उनकी मृत्यु के 4 साल बाद वॉटसन और क्रिक को 1962 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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मार्गरेट नाइट- चौकोर तली वाले पेपर बैग

Margaret Knight

साल 1868 में मार्गरेट नाइट ने एक ऐसी मशीन बनाई, जो चौकोर तली वाले पेपर बैग तैयार कर सकती थी। यह आविष्कार बहुत उपयोगी था, क्योंकि इससे बैग अधिक मजबूत और सामान रखने में सुविधाजनक हो गए। मार्गरेट ने पहले इसका लकड़ी का मॉडल बनाया, लेकिन पेटेंट के लिए उन्हें लोहे के मॉडल की जरूरत थी। जब वह इस मशीन का लोहे का मॉडल बनवा रही थी, तब चार्ल्स अन्नान नाम के एक व्यक्ति ने उनकी डिजायन चुरा ली और इसे अपने नाम से पेटेंट कराने की कोशिश की।

हालांकि, नाइट ने उस पर मुकदमा दायर किया और यह साबित किया कि यह खोज उनकी थी। 1871 में, उन्हें इस मशीन का आधिकारिक पेटेंट मिल गया। आज भी सुपरमार्केट और दुकानों में इस्तेमाल किए जाने वाले पेपर बैग उनकी ही देन हैं।

ENIAC प्रोग्रामर- पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर चलाने वाली महिलाएं

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इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इंटीग्रेटर एंड कंप्यूटर(ENIAC)इतिहास का पहला इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर था। इसे 1946 में विकसित किया गया था और इसके संचालन के लिए 6 महिलाओं ने प्रोग्रामिंग की थी। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, इसे तैयार किया गया था। आमतौर पर, कम्प्यूटर के निर्माण का श्रेय जॉन मौचली को दिया जाता है, लेकिन असल मेंकम्प्यूटर के निर्माण उन्हींमहिला प्रोग्रामर्स ने किया था, जिन्होंने इसे प्रोग्राम और ऑपरेट किया था।

मैरी एंडरसन- विंडशील्ड वाइपर

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मैरी एंडरसन को पहली बार विंडशील्ड वाइपर का ख्याल तब आया, जब वह बर्फीले मौसम में स्ट्रीटकार में सफर कर रही थीं। उन्होंने 1903 में इस डिवाइस को पेटेंट कराया और इसे कंपनियों को बेचने की कोशिश भी की, लेकिन किसी ने इसे सीरियस नहीं लिया। हालांकि, 1950 और 1960 के दशक में कंपनियों को इसकी उपयोगिता का एहसास हुआ और उन्होंने विंडशील्ड वाइपर को अपनाना शुरू किया। लेकिन, तब तक एंडरसन का पेटेंट खत्म हो चुका था और बाद में, इस आविष्कार का श्रेय रॉबर्ट किर्न्स को दिया गया।

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Image Credit - social media, wikipedia, jagran

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