महिलाएं सिर्फ घर नहीं संभालती, लोन चुकाने से लेकर कंपनी चलाने तक इन 5 बड़े कामों में पुरुषों से हैं आगे

बदलते समय और समाज की सोच के साथ अब महिलाओं ने भी अपनी जिम्मेदारियों का दायरा बढ़ा लिया है। अब केवल महिलाएं घर की जिम्मेदारी नहीं संभालती, बल्कि लोन पेमेंट से लेकर कई बड़े काम भी करती हैं। 
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हमेशा से महिलाओं को घर-गृहस्थी की जिम्मेदारियों को संभालने के लिए जाना जाता रहा है और अक्सर फाइनेंशियल और लीडरशिप की भूमिकाओं में उनकी भागीदारी को सीमित माना जाता रहा है। हालांकि, पिछले कुछ सालों में भारतीय महिलाओं में एक पॉजिटिव बदलाव देखने को मिला है। अब महिलाएं न केवल अपने घर को संभालती हैं, बल्कि फाइनेंस मैनेजमेंट की जिम्मेदारी भी उठा रही हैं। साथ ही, वे एंटरप्रेन्योरशिप, कॉरपोरेट लीडरशिप, बैंकिंग और पॉलिटिक्स जैसे दूसरे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी अपनी उत्कृष्टता साबित कर रही हैं।

नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 5 सालों में भारत में लोन लेने वाली महिलाओं की संख्या 22 फीसदी की सालाना दर से बढ़ी है। महिलाओं ने 42 फीसदी पर्सनल लोन अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए लिया हुआ है। वहीं, ‘फ्रॉम बॉरोवर्स टू बिल्डर्स’ वीमन रोल इन इंडिया फाइनेंशियल ग्रोथ स्टोरी नाम की रिपोर्ट में बताया गया है कि 3 फीसदी महिलाओं ने बिजनेस लोन, 42 फीसदी महिलाओं ने पर्सनल लोन, कंज्यूमर लोन और होम लोन लिया है और 38 फीसदी महिलाओं ने गोल्ड गिरवी रखकर लोन लिया है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि महिलाएं अब क्रेडिट स्कोर काफी चेक करने लगी हैं और लोन लेने वाली महिलाओं में करीब 60 फीसदी महिलाएं कस्बों और ग्रामीण इलाकों से हैं।

महिलाएं लोन डिफॉल्टर कम

Financial independence for women

साल 2023 में भारत में कुल लोन में 17 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई थी, जिसमें महिलाओं ने पुरुषों को पछाड़ दिया था। दिलचस्प बात यह है कि महिलाएं लोन चुकाने में ज्यादा भरोसेमंद साबित हुई हैं, क्योंकि केवल 3.4 फीसदी महिला एंटरप्रेन्योर्स लोन डिफॉल्टर रहीं, जबकि पुरुषों की डिफॉल्ट दर 4.6 फीसदी से अधिक रही।

जीवन बीमा खरीदने में आगे

मैक्स लाइफ द्वारा किए गए एक सर्वे में पता चला था कि 79 फीसदी कामकाजी महिलाओं के पास जीवन बीमा पॉलिसी है, जबकि 76 फीसदी पुरुषों के पास पॉलिसी है। हमेशा से महिलाएं वित्तीय सुरक्षा के मामले में पुरुषों से बेहतर रही हैं।

भारतीय महिलाएं परिवार की सुरक्षा को प्राथमिकता देती हैं

पॉलिसी बाजार के सर्वे के अनुसार, 2023-24 में 25 लाख रुपये से अधिक कवरेज वाली हेल्थ पॉलिसी खरीदने वाली महिलाओं की संख्या बढ़कर 24 फीसदी हो गई, जबकि 2022-23 में यह आंकड़ा 15 फीसदी था। वहीं, दूसरी तरफ 25 लाख रुपये से कम कवरेज वाली हेल्थ पॉलिसी लेने वाली महिलाओं की संख्या में कमी पाई गई है। इससे पता चलता है कि शहर में रहने वाली कामकाजी महिलाएं अपने परिवार को किसी भी परेशानी से बचाने के लिए ज्यादा सतर्क रहती हैं।

स्टार्टअप्स में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी

महिलाओं द्वारा स्थापित स्टार्टअप्स के मामले में दिल्ली एनसीआर सबसे आगे है। अब तक करीब 2000 महिला नेतृत्व वाले स्टार्टअप्स को इन्वेस्टर्स मिल चुके हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, टेक्निकल सेक्टर्स में महिलाओं द्वारा स्थापित स्टार्टअप्स की हिस्सेदारी 18 फीसदी से अधिक है, जबकि फंडिंग स्टार्टअप्स में महिला एंटरप्रेन्योर्स की भागीदारी 14 फीसदी से ज्यादा है। वहीं, भारत में महिला एंटरप्रेन्योर्स द्वारा शुरू किए गए स्टार्टअप्स की संख्या 8,000 से अधिक हो चुकी है।

MSMEs में बढ़ी महिला कर्मचारियों की भागीदारी

Loan management for women

एक सर्वे से पता चला है कि महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) ने पुरुषों की तुलना में 11 फीसदी अधिक महिला कर्मचारियों को रोजगार दिए हैं। वुमेन लीडरशिप वाले MSMEs में नौकरी पाने वालों में से एक-तिहाई महिलाएं हैं। केवल रोजगार देने के मामले में महिला एंटरप्रेन्योर्स आगे नहीं हैं, बल्कि उनके द्वारा संचालित MSMEs की मंथली इनकम में भी 12% की वृद्धि दर्ज की गई है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि महिला एंटरप्रेन्योर्स न केवल आर्थिक रूप से आगे बढ़ रही हैं, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए भी नए रोजगार के अवसर पैदा कर रही हैं।

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घर खरीदने में बढ़ी महिलाओं की भागीदारी

एनारॉक द्वारा जुलाई-दिसंबर 2023 के बीच किए गए सर्वे से पता चला कि 78 फीसदी भारतीय महिलाएं घर अपने रहने के लिए खरीदती हैं, जबकि केवल 22 फीसदी महिलाएं इसे इन्वेस्टमेंट के रूप में देखती हैं। वहीं, साल 2021 में हुआ सर्वे बताता है कि 74 फीसदी महिलाएं रहने के लिए घर खरीदी थीं, जबकि 26 फीसदी ने निवेश के रूप में लिया था। हालांकि, अब महिलाएं रियल एस्टेट में इन्वेस्ट करने में रुचि दिखा रही हैं और साल दर साल उनकी संख्या में वृद्धि देखने को मिल रही है।

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Image Credit - freepik

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