पिता पर हुए जुल्म ने बेटी को पुलिस बनने के लिए किया प्रेरित, जानें भारत की पहली महिला DGP की कहानी

भारत की पहली महिला DGP कंचन चौधरी भट्टाचार्य के जीवन पर आधारित टीवी-शो 'उड़ान' बेहद फेमस रहा। आज भी उन्हें देश के बहादुर पुलिस अफसरों में गिना जाता है।

Story Of First Indian Woman DGP

देश में कई ऐसी महिला पुलिस अफसर रही हैं, जिन्हें उनकी जाबाजी और बहादुरी के लिए जाना जाता है। कंचन चौधरी भट्टाचार्य का नाम उन महिलाओं में शीर्ष पर आता है।

आज के इस आर्टिकल में हम आपको देश की पहली महिला DGP रहीं कंचन की इंस्पायरिंग कहानी के बारे में बताएंगे। कंचन ने अपने कार्यकाल में कई सराहनीय कार्य किए, जिन्हें आज भी याद किया जाता है। आइए जानते हैं कि एक साधारण महिला से DGP बनने का सफर कंचन के लिए कैसा रहा।

कौन हैं कंचन चौधरी?

Who Is The First Woman DGP

कंचन चौधरी देश की पहली महिला डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस हैं। साल 1973 के बैच की आईपियस अधिकारी रहीं कंचन चौधरी साल 2004 में उत्तराखंड की डीजीपी बनीं। इसके अलावा किरण बेदी के बाद कंचन चौधरी देश की दूसरी IPS अधिकारी भी बनीं। 1973 से लेकर साल 2007 तक उन्होंने पुलिस डिपार्टमेंट को अपनी सेवाएं दीं।

कंचन चौधरी की शिक्षा

हिमाचल प्रदेश की रहने वाली कंचन चौधरी ने राजकीय महिला महाविद्यालय, अमृतसर से अपनी शिक्षा पूरी की। इसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन किया।

किस घटना ने IPS बनने के लिए किया प्रेरित

first indian woman director general of police

कंचन चौधरी के पिता को प्रॉपर्टी के मामले में पुलिस ने पकड़ लिया था। जबकि उनपर कोई एफआईआर नहीं लिखी गई थी। इस घटना के बाद कंचन चौधरी ने IPS बनने का फैसला लिया, ताकि वो किसी निर्दोष को पिटने से बचा सकें।

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कंचन के जीवन पर आधारित टीवी शो

90 के दशक में रिलीज हुआ टीवी शो ‘ उड़ान’ बेहद चर्चा में रहा। बता दें कि यह शो कंचन के जीवन की घटनाओं पर आधारित था। दिलचस्प बात ये थी कि इस शो में उनका कंचन का किरदार उनकी छोटी बहन ने निभाया था। यह शो आज भी याद किया जाता है।

राजनीति में भी रखा कदम

जब आम आदमी पार्टी उभरकर आई, तब कंचन ने भी राजनीति में हिस्सा लिया। हालांकि वो राजनीति में खास कमाल नहीं दिखा पाईं।

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जीवन भर में मिले कई सम्मान

Female Director General of Police

कंचन को साल 2004 में आयोजित इंटरपोल की बैठक में भारत की ओर से प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया। इसके अलावा साल 1997 में उन्हें प्रतिष्ठित सेवाओं के लिए उन्हें राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया। साल 2007 में कंचन चौधरी भट्टाचार्य ने दुनिया को अलविदा कहा। लेकिन अपनी बेहतरीन पुलिस सेवा के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है।

ये थी कंचन की इंस्पायरिंग स्टोरी, जिसके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए। यह लेख अगर आपको पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर करें, साथ ही ऐसी जानकारियों के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।

image credit- wikipedia

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