भारत की पहली महिला डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (DGP) कंचन चौधरी भट्टाचार्य का सोमवार रात लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। बताया जा रहा है कि वे लंबे समय से बीमार थीं। उन्होंने मुंबई के एक हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। सुश्री भट्टाचार्य, जो 1973 बैच की आईपीएस अधिकारी थीं, जब उन्हें वर्ष 2004 में उत्तराखंड का डीजीपी नियुक्त किया गया, तब उस समय इतिहास बनाया। वह 31 अक्टूबर, 2007 को पद से सेवानिवृत्त हुईं।
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Kanchan Chaudhary Bhattacharya, the first woman DGP of Uttarakhand and the country, passed away in Mumbai last night, following a brief illness. pic.twitter.com/uN84uV8tTV
— ANI (@ANI) August 27, 2019
सेवानिवृत्ति होने के बाद, उन्होंने हरिद्वार निर्वाचन क्षेत्र से आम आदमी पार्टी के टिकट पर 2014 का लोकसभा चुनाव लड़कर राजनीति में कदम रखा था। जी हां वे आम आदमी पार्टी (AAP) के टिकट से उत्तराखंड के हरिद्वार लोकसभा सीट से उम्मीदवार थीं, हालांकि वो जीत नहीं पाईं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सुश्री भट्टाचार्य के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने ट्वीट किया, "देश की पहली महिला डीजीपी कंचन चौधरी भट्टाचार्य के निधन के बारे में जानकर दुख हुआ। वह अपनी सेवानिवृत्ति के बाद सार्वजनिक जीवन में एक्टिव रहीं और अपने अंतिम सांस तक देश की सेवा की। हमें उनकी याद आएगी।"
Saddened to know about the passing away of the country's first woman DGP Ms Kanchan Chaudhary Bhattacharya.
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) August 27, 2019
She remained active in public life after her retirement and wanted to serve the country till her very last.
Will miss her. RIP
उत्तराखंड पुलिस ने एक ट्विटर पोस्ट में सुश्री भट्टाचार्य को याद किया।
"भारत की पहली महिला डीजीपी और दूसरी महिला IPS ऑफिसर कंचन चौधरी भट्टाचार्य, हम अपने एक प्रतीक के निधन पर शोक जताते हैं। दिलों-दिमाग से एक अच्छे अधिकारी का एक शानदार कैरियर था, जिन्हें कई तरह के अवार्ड्स से नवाजा गया था।'' आधिकारिक उत्तराखंड पुलिस के हैंडल पर एक ट्वीट किया।
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कंचन चौधरी भट्टाचार्य से जुड़ी कुछ बातें
कंचन चौधरी भट्टाचार्य उत्तर प्रदेश कैडर की पहली आईपीएस थी। उन्होंने राजकीय महिला महाविद्यालय, अमृतसर से पढ़ाई पूरी की थी। उन्होंने पोस्ट-ग्रेजुएशन अंग्रेजी साहित्य में दिल्ली-यूनिवर्सिटी से किया था। उन्हें मेक्सिको में साल 2004 में आयोजित इंटरपोल की बैठक में भारत की और से प्रतिनिधित्व करने के लिए चयनित किया गया था। उन्होंने साल 1980 के बाद से कई विशेष प्रशिक्षणों और पाठ्यक्रमों में भाग लिया था। इसके अलावा उन्हें साल 1989 में प्रतिष्ठित सेवाओं के लिए ‘राष्ट्रपति पदक’ भी मिल चुका है। वह किसी राज्य की डीजीपी बनने वाली पहली महिला है और उन्होंने उत्तराखंड राज्य के डीजीपी के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान की। वह 1973 में आईपीएस में शामिल होने वाली दूसरी अधिकारी और उत्तर प्रदेश कैडर की पहली महिला आईपीएस अधिकारी हैं।
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