देश में ऐसे कई डॉक्टर है जो निस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा में लगे हैं। कोई फ्री में इलाज करता है, तो कोई फ्री में दवा देता है, तो कोई फ्री में बच्चों की डिलीवरी करता है। आज भी देश में आपके ऐसे कई डॉक्टर मिल जाएंगे जो बिना पैसे और शिकायत के सेवा करते हैं। उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में एक ऐसी ही महिला डॉक्टर है जो लड़कियों के जन्म होने पर कोई भी पैसा नहीं लेती है। बल्कि अगर किसी दम्पति को लड़की होती है तो वो खुद मिठाइयां बांटती है। 13 फरवरी को नेशनल वुमेन डे मनाया जाता है और इस दिन में हम खास तौर पर डॉक्टर शिप्रा धर के बारे में आपको बताने जा रहे हैं।
इसे भी पढ़ें:मिलिए पुरुष दल को लीड करने वाली भारत की पहली महिला ऑफिसर कैप्टन तानिया शेरगिल से
वाराणसी में रहने वाली डॉ. शिप्रा धर कुछ इसी तरह का काम पिछले कई सालों से कर रही हैं। शिप्रा धर के नर्सिंग होम में जब भी कोई दम्पति बेटी को जन्म देती है उस दम्पति से कोई भी फी नहीं लेती है। यही नहीं अपने नर्सिंग होम में बेटी के जन्म पर वो खुशियां मनाती हैं और मिठाइयां भी बंटवाती हैं। वो ये खुशी न सिर्फ बच्ची के माता-पिता से बांटती हैं बल्कि पूरे अस्पताल में खुशी जाहिर करती हैं।
इस काम में डॉ. धर की सहायत उनके पति डॉ.एमके श्रीवास्तव भी बखूबी करते हैं। दोनों मिलकर इस अच्छे काम को करने की कोशिश करते हैं। डॉक्टर शिप्रा ने बीएचयू से एमबीबीएस और एमडी किया है और पिछले कई सालों से शिप्रा धर वाराणसी में यह काम कर रही हैं। अब तक धर ने तकरीबन 100 बेटियों के जन्म पर कोई भी चार्ज नहीं लिया है।
डॉ. धर और उनके पति डॉ.एमके श्रीवास्तव के कार्य को सभी ने सराहा है। इन दोनों दम्पति की ओर से अस्पताल में बेटी के जन्म पर कोई फीस नहीं लेने की बात जब देश के प्रधानमंत्रीनरेंद्र मोदी को पता चली तो वो डॉ. धर से मिले भी थे। दरअसल, जब ये बात प्रधानमंत्री को चली तो थी तो वो उन दिनों प्रधानमंत्री वाराणसी आए हुए थे मंच से कहा था कि सभी डॉक्टरों को भी किसी एक दिन फ्री में डिलिवरी करवानी चाहिए।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि डॉ शिप्रा धर बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए एक बैंक भी चलती है। धर अपनी तरफ से बहुत गरीब परिवारों को अपनी तरफ से अनाज भी प्रदान करती हैं। त्योहारों पर गरीब परिवार को मिठाइयां और कपड़े भी देती हैं। यही नहीं, शिप्रा गरीब लड़कियों की पढाई लिखाई में भी सहायता करती हैं। नर्सिंग होम चलाने के बाद जब भी उन्हें टाइम मिलता वो गरीब लड़कियों को शिक्षा देती हैं।
इसे भी पढ़ें:भारतीय मूल की ये दो महिलाएं न्यूयॉर्क सिटी कोर्ट में बनी न्यायाधीश
आज जिस तरह से समाज में बेटी भ्रूण हत्या की जिक्र होती है वो बेहद ही निराशाजनक। ऐसे में अगर कोई डॉ. शिप्रा धर जैसा काम करता है तो बहुत ही सराहनीय काम है। आज देश में हर एक मिनट में एक भ्रूण हत्या होती है। ऐसे में अगर देश के डॉक्टर भी इसी तरह के कोई अन्य काम को करे तो ज़रूर भ्रूण हत्या में कमी शायद दर्ज की जा सकती है। शिप्रा जो काम कर रही हैं वो बहुत अच्छा काम है और उम्मीद है उनसे कई और भी डॉक्टर प्रेरणा लेंगे।
All image Credit: youtube बनारस तेरे रंग हज़ार चैनल
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों