पीरियड्स में कभी ज्यादा, तो कभी कम ब्लीडिंग क्यों होती है?

क्या आपको भी हर महीने अलग-अलग तरह का पीरियड फ्लो आता है। किसी महीने में कम, तो किसी में ज्यादा ब्लीडिंग होती है। आइए जानते हैं, यह कितना सामान्य है।
  • Aiman Khan
  • Editorial
  • Updated - 2025-03-06, 00:12 IST
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महिलाओं को हर महीने पीरियड्स होता है। इस दौरान कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। क्या आपने कभी गौर किया है कि हर महीने पीरियड्स में ब्लीडिंग का फ्लो अलग-अलग होता है। कभी ब्लीडिंग ज्यादा होती है, तो कभी कम। अगर आपके साथ ऐसा होता है तो यह पूरी तरह से सामान्य है,लेकिन अगर य बदलाव बहुत ज्यादा हो रहा है, तो इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। इसको लेकर हमने हेल्थ एक्सपर्ट से बात की। Dr Pooja C Thukral, Senior Consultant – Gynecologist at Cloudnine Group of Hospitals, Faridabad इस बारे में जानकारी दे रही हैं।

पीरियड्स में कभी ज्यादा, तो कभी कम ब्लीडिंग क्यों होती है?

period flow varies every month

महिलाओं का मासिक धर्म चक्र में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अगर इन हार्मोन का स्तर असंतुलित हो जाए, तो पीरियड फ्लो में बदलाव आ सकता है। एस्ट्रोजन अधिक होने पर ब्लीडिंग ज्यादा होती है। और प्रोजेस्टेरोन अधिक होने पर ब्लीडिंग कम हो सकती है। थायराइड हार्मोन का असंतुलन भी पीरियड फ्लो को प्रभावित कर सकता है।

अगर आप बहुत ज्यादा तनाव में हैं, तो इसका असर आपके पीरियड्स पर पड़ सकता है। ज्यादा तनाव शरीर में कॉर्टिसोल हार्मोन को बढ़ा सकता है, जिससे एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का संतुलन बिगड़ सकता है। इससे कभी हल्की, तो कभी ज्यादा ब्लीडिंग हो सकती है।

आपका आहार भी पीरियड फ्लो को प्रभावित करता है। संतुलित आहार न होने पर आयरन की कमी हो सकती है, जिससे ब्लीडिंग कम हो सकती है। ज्यादा जंक फूड और कैफीन लेने से ब्लीडिंग ज्यादा हो सकती है। इसके अलावा वजन तेजी से बढ़ने या घटने से पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं।

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why period flow varies

शारीरिक गतिविधि का असर भी इसपर पड़ता है। ज्यादा एक्सरसाइज करने से पीरियड्स हल्के हो सकते हैं। बहुत ज्यादा बैठे रहने या कम शारीरिक गतिविधि से ब्लीडिंग बढ़ सकती है।

कई बार पीरियड फ्लो में बदलाव गर्भनिरोधक गोलियों के लेने से भी हो सकता है। कुछ महिलाओं को गर्भनिरोधक गोली लेने से पीरियड्स बहुत हल्के या कम दिन के लिए होते हैं। वहीं, कुछ महिलाओं को हार्मोनल आईयूडी लगाने के बाद ब्लीडिंग ज्यादा हो सकती है।

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Image Credit:Freepik

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