आखिर बरसात में क्यों आता है ज्यादा पसीना? जानें अपने शरीर से जुड़े दिलचस्प फैक्ट्स

क्या आपने नोटिस किया है कि ह्यूमिडिटी में ज्यादा पसीना आता है और शरीर बहुत ज्यादा चिपचिपा हो जाता है। बरसात में ज्यादा पसीना आने के क्या कारण हैं, आइए इस आर्टिकल में जानें। 

 
Why do you sweat more in humid weather

पसानी आसा बहुत जरूरी है। इसी से हमारे शरीर की गंदगी बाहर निकलती है और हमारा शरीर गर्म मौसम में ठंडा रह पाता है। हालांकि, आपने नोटिस किया होगा कि बरसात में जब ह्यूमिडिटी बहुत ज्यादा होती है, तो पसीना भी ज्यादा आता है और उसे सूखने में काफी वक्त लगता है। इन दिनों हमारा शरीर चिपचिपा होने लगता है।

ऐसे मौसम में भले ही तापमान कम हो, लेकिन ह्यूमिडिटी के कारण ज्यादा पसीना आता है। अब सबसे पहले पसीने के उद्देश्य को समझना जरूरी है। शरीर के तापमान में वृद्धि की प्रतिक्रिया के रूप में पसीने की ग्रंथियों द्वारा पसीना उत्पन्न होता है। जैसे ही पसीना त्वचा से इवैपोरेट होता है, यह शरीर से गर्मी को दूर ले जाता है, जिससे हमें ठंडक मिलती है। क्या आपको पता है कि ऐसा क्यों होता है? आइए इस आर्टिकल में जानें कि आखिर ह्यूमिडिटी में इतना पसीना क्यों आता है।

पसीने के इवेपोरेशन पर हाई ह्यूमिडिटी का प्रभाव

impact of humidity on sweat evapouration

कूलिंग मेकेनिज्म के रूप में पसीने की प्रभावशीलता काफी हद तक पसीने के इवेपोरेशन पर निर्भर करती है। हाई ह्यूमिडिटी की स्थिति में, हवा पहले से ही नमी से सैचुरेट होती है, जो इवेपोरेशन प्रक्रिया को बाधित करती है। जब पसीना सही ढंग से इवेपोरेट नहीं हो पाता है, तो यह त्वचा पर जमा हो जाता है, जिससे शरीर ठंडा होने के प्रयास में और भी अधिक पसीना पैदा करता है। इसके कारण अत्यधिक पसीना और बेचैनी महसूस हो सकती है।

पसीने का उत्पादन बढ़ जाता है

जब ह्यूमिडिटी अधिक होती है, तो आपका शरीर जरूरत से ज्यादा काम करता है, ताकि पसीना सूख जाए। इस प्रक्रिया में पसीने की ग्रंथियां बहुत ज्यादा एक्टिव हो जाती हैं, जिससे अधिक पसीना निकलता है। यह बढ़ा हुआ पसीना उत्पादन, कम इवेपोरेशन रेट के साथ मिलकर एक साइकिल बनाता है, जहां शरीर प्रभावी रूप से ठंडा हुए बिना अधिक पसीना बहाता रहता है।

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इसके कारण हो सकता है डिहाइड्रेशन

हाई ह्यूमिडिटी सिर्फ पसीने के सूखने की प्रक्रिया को ही प्रभावित नहीं करती है। इससे डिहाइड्रेशन भी हो सकता है। जी हां, जब ह्यूमिडिटी होती है, तो आपको पसीना ज्यादा आता है और इससे आपके शरीर से पानी की कमी हो सकती है। ऐसा करने से शरीर अधिक तेजी से तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स खो देता है। डिहाइड्रेशन गर्मी की अनुभूति को बढ़ा सकता है और शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जिससे और भी अधिक पसीना आता है।

तापमान में उतार-चढ़ाव होता है कारण

inconsistent temperature causes sweating

हालांकि, मानसून का तापमान अक्सर गर्मियों की तुलना में ठंडा होता है, लेकिन यह इनकंसिस्टेंट भी हो सकता है। इसमें सुबह अक्सर गर्मी ज्यादा लगती है फिर दोपहर में बारिश होती है, तो तापमान में उतार-चढ़ाव होता है। जब ऐसा होता है, तो शरीर कंफ्यूज हो जाता है और आपके आसपास की परिस्थिति के साथ तालमेल बैठाने के लिए शरीर में परिवर्तन होने लगते हैं। इसी के चलते आपको ज्यादा पसीना आता है और शरीर चिपचिपा हो जाता है।

नम वातावरण और कपड़ों की लेयरिंग से आता है पसीना

मानसून के मौसम में लगातार नमी बनी रहती है। वहीं, लोग अक्सर ऐसे कपड़े पहनना पसंद करते हैं, जो उन्हें बारिश में भी ड्राई रखे। इसमें जैकेट्स या विंडशीटर पहने जाते हैं। ऐसे कपड़े त्वचा को ढककर तो रखते हैं, लेकिन पसीने को ठीक तरह से इवेपोरेट होने का मौका नहीं देते। इससे पसीना सूखता नहीं है और जब आपको बार-बार पसीना आता है, तो शरीर चिपचिपा हो जाता है।

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ह्यूमिडिटी में पसीने को नियंत्रित करने के टिप्स-

हाइड्रेटेड रहें: पसीने के कारण खोए हुए इलेक्ट्रोलाइट्स की भरपाई करने और शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करने के लिए खूब पानी पिएं। नारियल पानी इन दिनों आपके लिए काफी लाभकारी हो सकता है।

नमी सोखने वाले कपड़े पहनें: ऐसे फाइबर्स से बने कपड़े चुनें जो त्वचा से नमी को दूर रखते हैं। ऐसे कपड़े पहनें जो आपको ठंडा और अधिक सहज रखने में मदद कर सकते हैं।

दिन में बाहर न जाएं: दोपहर का समय सबसे ज्यादा गर्म और ह्यूमिडिटी वाला होता है। इसलिए ऐसे मौके पर बाहर जाने से बचें। सुबह या शाम को अपने काम करने के बारे में सोचें।

एयर कंडीशनिंग का उपयोग करें: ह्यूमिडिटी को कम करने के लिए पंखे से ज्यादा अच्छा एसी का उपयोग होता है। एसी कमरे की गर्म हवा को खींचकर बाहर फेंकता है और कमरे को ठंडा करता है।

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Image credit: Freepik

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