छींक आना सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। कहा जाता है की छींकने से नाक और गले से दूषित पदार्थ निकल जाते हैं। इससे बीमारियों से बचाव होता है। जब कभी जुकाम होता है तो अक्सर छींक आती है,लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है की जैसे ही हम धूल भरी हवा के संपर्क में आते हैं तो हमें बार- बार छींक आने लगती है। आखिर ऐसा क्यों होता है? अगर आपके साथ ऐसा होता है और इस सवाल का जवाब ढूंढ रहे हैं तो हम आपको इस आर्टिकल के जरिए जवाब दे रहे हैं।
धूल भरी हवा में सांस लेने से छींक क्यों आती है?
नाक में एक म्यूकस झिल्ली होती है,इसकी कोशिकाएं बहुत ही नाजुक और संवेदनशील होती हैं,ऐसे में जब कोई बाहरी उत्तेजक या डस्ट पार्टिकल नाक में जाता है तो यह धूल कण नैजल कैविटी से गुजरती है। इससे गुदगुदी महसूस होती है। यह डिस्टरबेंस दिमाग को एक विशेष संदेश भेजता है। हमारी मस्तिष्क बाहरी कणों को बाहर निकालने का संदेश देती है,इसके कारण हमें छींक आती है। यह कण मुंह और नाक के रास्ते से तेज रफ्तार में बाहर आते हैं। इससे एयर पैसेज क्लीन हो जाता है,और हम किसी भी वायरल संक्रमण की चपेट में आने से बच जाते हैं। छींकना हमारे शरीर के माइक्रोस्कोपिक एलर्जी,वायरस से छुटकारा पाने का सही तरीका है।
कैसे करें बचाव
- अगर आपको डस्ट एलर्जी है तो ऐसी जगहों पर जाने से बचें।
- मास्क लगाकर ऐसी जगहों पर जाएं।
- अपने खर के पर्दे, अलमारी साफ रखें क्योंकि इससे भी आपको नाक में एलर्जी हो सकती है।
- घर की सफाई करने के लिए गीले कपड़े का इस्तेमाल करें।
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Image Credit: Freepik
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