सुहाना सफर और यह मौसम हसीं...हमें डर है हम सो न जाएं कहीं! हां मालूम है कि गाने की लाइन यह नहीं है। यह हर उस आदमी का डर है जो लंबा सफर तय करता है। मैं अगर किसी नई जगह घूमने जा रही हूं, तो कोशिश करती हूं कि पूरे रास्ते को निहारते हुए ट्रैवल करूं। हालांकि, ऐसा हो ही नहीं पाता है। दूर का सफर तय करते हुए मैं ही नहीं, बल्कि कई लोग सो जाते हैं। आपने सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? यह बात भी है कि ट्रैवल करते हुए हम कुछ न भी करें, लेकिन शरीर थक जाता है।
यह पैटर्न आम है कि लोग अपनी यात्रा की शुरुआत में उत्साहित और ऊर्जावान होते हैं, लेकिन धीरे-धीरे नींद और थकान महसूस करने लगते हैं।
कई बार कुछ न हो तो बोरियत के चलते ही हम सो जाते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? इसके पीछे भी कारण है और वह क्या है, चलिए इस आर्टिकल में आपको बताएं।
ट्रैवल के दौरान हमें जो नींद आती है उसका कारण एक रात पहले की एक्साइटमेंट होती है। लोग अक्सर अगले दिन की यात्रा को लेकर बहुत ज्यादा उत्साहित हो जाते हैं जिसके कारण वे पर्याप्त नींद नहीं ले पाते हैं। एक दिन पहले की थकान को दूर करने के लिए यात्रा के दौरान लोग सो जाते हैं।
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हमारे शरीर की प्रोग्रामिंग ही इस तरह से हुई होती है कि हम रात में सोते हैं और दिनभर जागते हैं। यह साइकिल हमारी इंटरनल बॉडी क्लॉक या सर्काडियन रिदम द्वारा रेगुलेटेड किया जाता है। इसलिए अगर आप रात में ट्रैवल कर रहे हैं, तो 100 प्रतिशत आपको जल्दी नींद आएगी।
अगर हम कार से ट्रैवल कर रहे हैं, तो नींद आने का कारण इंजन से निकले वाली आवाज होती है। दरअसल कार का इंजन लगातार गुनगुनाहट करता है। वाहन के लगातार चलने से और इस शोर के कारण दिमाग आराम की अवस्था में आ जाता है। वैज्ञानिक इसे व्हाइट नॉइज़ कहते हैं। इसी के कारण हम ट्रैवलिंग के दौरान बहुत अच्छी नींद लेते हैं। कई पेरेंट्स अपने बच्चों को सुलाने के लिए व्हाइट नॉइज का इस्तेमाल करते हैं।
बोरियत भी नींद आने का एक बड़ा कारण है। जब लंबा सफर तय कर रहे होते हैं, तो हमारे पास आस-पास गुजरते नजारे देखने के अलावा और कुछ नहीं होता। आप पूरा टाइम फोन पर देखते हुए भी थकने लगते हैं। इस दौरान हमारा दिमाग ठीक वैसा ही महसूस करता है, जैसे बिस्तर पर पड़े-पड़े करता है। यही कारण होता है कि हम कुछ देर बाद सो जाते हैं।
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देखिए, सफर में सो जाना एक आम बात है, लेकिन अगर आप या आपका कोई दोस्त 10-15 मिनट की राइड में भी सो जाता है, तो मतलब उन्हें मोशन सिकनेस है। मोशन सिकनेस मूवमेंट के द्वारा उत्पन्न होने वाली एक बीमार करने वाली भावना होता है। ऐसे लोगों को ट्रैवल के दौरान चक्कर या उल्टी आने जैसा महसूस होता है। यही कारण होता है कि वे यात्रा शुरू होते ही सो जाते हैं।
हालांकि ऐसा नहीं है कि ट्रैवल के दौरान सब सोते हैं। कुछ लोगों को नींद की जरूरत ज्यादा होती है। कुछ लोग बड़ी आसानी से पूरा सफर जागते हुए तय करते हैं और उसके बाद उन्हें थकान भी महसूस नहीं होती।
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