क्या आप भी सोचती हैं हाइपोथायरायडिज्म सिर्फ हार्मोनल प्रॉब्लम है? गलत! ये 3 बीमारियों का हो सकती है संकेत

हाइपोथायरायडिज्म सिर्फ हार्मोनल समस्या नहीं है! डाइटिशियन रचना पाराशर से जानें यह कैसे आंत, लिवर और इम्यून सिस्टम को प्रभावित करती है। आइए पूरी सच्चाई और गहरे कनेक्शन को समझते हैं।
Can hypothyroidism cause serious problems

अगर आप उन महिलाओं में से एक हैं, जो मानती हैं कि हाइपोथायरायडिज्म सिर्फ एक हार्मोनल समस्या है, तो आपको अपनी सोच बदलने की जरूरत है। यह सच नहीं है। वास्तविकता यह है कि यह सिस्टेमिक कंडीशन है, जिसका अर्थ है कि यह आपके पूरे शरीर को प्रभावित करती है और आपके कई जरूरी अंगों, विशेष रूप से आपकी आंत, लिवर और इम्‍यून सिस्‍टम के साथ गहराई से जुड़ी हुई है। हाइपोथायरायडिज्म के मूल कारणों को समझने के लिए इन आंतरिक प्रणालियों के बीच के संबंध को समझना बेहद जरूरी है। इसके बारे में हमें डाइटिशियन रचना पाराशर बता रही हैं।

लिवर- साइलेंट कनवर्टर

आपके थायराइड ग्लैंड से T4 इनएक्टिव हार्मोन निकलता है, लेकिन इसे T3 एक्टिव फॉर्म में बदलने का मुख्य काम आपका लिवर करता है। T3 ही वह हार्मोन है, जो आपके मेटाबॉलिज्म, एनर्जी और मूड को कंट्रोल करता है।

hypothyroidism cause liver issues

यदि आपका लिवर ठीक से काम नहीं कर रहा है या उस पर बहुत ज्‍यादा भार है, तो T4 से T3 का परिवर्तन ठीक से नहीं हो पाता है। इससे थकान, वजन बढ़ना और ब्रेन फॉग जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इसलिए, लिवर की हेल्‍थ और डिटॉक्सिफिकेशन पर ध्यान देना थायराइड फंक्शन के लिए बेहद जरूरी है।

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आंत- सभी समस्याओं की जड़

यह बात तो सभी जानते हैं कि पेट ही आपकी कई समस्‍याओं की जड़ होता है। अनहेल्‍दी आंत से न सिर्फ डाइजेशन से जुड़ी समस्‍याएं होती हैं, बल्कि इसका सीधा असर आपके पोषक तत्‍वों के अवशोषण पर भी पड़ता है। थायराइड हेल्‍थ के लिए सेलेनियम, आयोडीन, विटामिन-B12 और जिंक जैसे पोषक तत्व बेहद जरूरी होते हैं और अगर आपकी आंत हेल्‍दी नहीं है, तो शरीर इन्हें ठीक से सोख नहीं पाता है, जिससे उनकी कमी हो सकती है और थायराइड फंक्शन पर बुरा असर हो सकता है।

hypothyroidism cause stomach issues

इतना ही नहीं, लीकी गट की समस्या हाशिमोटो थायराइडाइटिस जैसी ऑटोइम्यून रिएक्‍शन को ट्रिगर कर सकती है। लीकी गट में आंत की परत डैमेज हो जाती है, जिससे अनचाहे कण ब्‍लड फ्लो में प्रवेश कर जाते हैं और इम्‍यून सिस्‍टम को एक्टिव कर देते हैं।

इसलिए, आंत की परत को ठीक करना और गुड बैक्टीरिया को वापस लाना आपके थायराइड को ठीक करने के लिए जरूरी कदम है। इसमें प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक्स जैसे कि दही, किमची और रेशेदार सब्जियां से भरपूर फूड्स मदद कर सकते हैं।

इम्‍यून सिस्‍टम- अनदेखा खिलाड़ी

हाइपोथायरायडिज्म के 90 प्रतिशत से ज्‍यादा मामले ऑटोइम्यून होते हैं, जिन्‍हें हाशिमोटो थायराइडाइटिस कहा जाता है। इसका मतलब है कि इम्‍यून सिस्‍टम गलती से आपके ही थायराइड ग्लैंड पर हमला करना शुरू कर देता है, उसे नुकसान पहुंचाता है और उसे ठीक से काम करने से रोक देता है।

hypothyroidism cause immunity problems

इस कंडीशन में सिर्फ हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी ही काफी नहीं है। असली चुनौती इम्‍यून सिस्‍टम को 'फिर से प्रशिक्षित' करना है, ताकि वह अपने ही अंगों पर हमला न करे। इसमें शरीर में हो रही सूजन को शांत करना और उन ट्रिगर्स को पहचानकर खत्म करना शामिल है, जो इस ऑटोइम्यून रिएक्‍शन को बढ़ाते हैं। इन ट्रिगर्स में अक्सर ग्लूटेन, प्रोसेस्ड फूड, ज्‍यादा तनाव और टॉक्सिंस शामिल होते हैं।

सही डाइट, फंक्शनल टेस्टिंग और पसर्नल हीलिंग प्रोटोकॉल से आप अपनी खोई हुई एनर्जी को वापस पा सकते हैं, वजन को कंट्रोल कर सकती हैं, मूड को बेहतर बना सकती हैं और फिर से खुद को सशक्‍त महसूस करा सकती हैं।

अगर आप थायराइड की दवाएं लेने के बावजूद इन लक्षणों से जूझ रही हैं, तो यह सही समय है कि आप फंक्शनल और होलिस्टिक दृष्टिकोण अपनाएं। अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करें और समझें कि आपके लिए सबसे अच्‍छा इलाज क्या हो सकता है।

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Image Credit: Shutterstock & Freepik

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