सामान्यतः पीरियड्स हर महिला के जीवन में 12 वर्ष की उम्र के आस-पास शुरू होने वाला बायोलॉजिकल प्रोसेस है। यह हर महीने होता है और हर महिला के लिए पीरियड्स का अनुभव अलग-अलग हो सकता है। सभी महिलाओं को समान रूप से ब्लीडिंग नहीं होती है न ही क्रैम्प्स एक जैसा होता है। इसलिए, पीरियड्स के पूरे दिन में एक महिला कितना पैड बदलेगी, वह भी इसी बात पर निर्भर करता है कि ब्लड का फ्लो कैसा है।
आशा आयुर्वेदा की डायरेक्टर और गायनेकोलॉजिस्ट चंचल शर्मा का कहना है, ''कुछ महिलाएं पीरियड्स में पूरे दिन 1 ही पैड लगाकर रखती हैं, लेकिन इससे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। पूरे दिन एक ही पैड लगाए रहने से महिलाओं की योनि में जलन, रैशेज या अन्य इंफेक्शन हो सकता है। दरअसल, पीरियड्स के दौरान महिलाओं को प्राइवेट पार्ट में नमी और गर्मी बनी रहती है, जिससे बैक्टीरिया और फंगस बहुत आसानी से बढ़ने लगते हैं। इसलिए, महिलाओं को पीरियड्स के दौरान पैड बदलते रहना चाहिए।''
डॉ चंचल शर्मा कहती हैं, ''अगर ब्लड का फ्लो ज्यादा है, तो अपनी जरूरत के अनुसार हर 4 से 6 घंटे के अंतराल पर पैड चेक करें और जरूरत महसूस हो तो उसे तुरंत बदलें। जिन महिलाओं और लड़कियों के बहुत ज्यादा ब्लीडिंग नहीं होती है, उन्हें भी दिन में दो बार पैड बदलने चाहिए। ऐसा करना स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है और होने वाले इंफेक्शन से भी रक्षा होती है।''
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