पिछले कुछ सालों में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़े हैं। आए दिन हार्ट अटैक से मौत के मामले सामने आते रहते हैं। पहले हार्ट अटैक बुजुर्गों को या अधेड़ उम्र के लोगों को हुआ करती थी लेकिन आजकल युवा नौजवान भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। हार्ट अटैक के कारण 20 से 30 साल के लोगों की मौत हो रही है। यह एक तरह से साइलेंट किलर बन चुका है। आइए जानते हैं हार्ट अटैक होता क्यों हैं? इसके लक्षण क्या होते हैं? इससे बचने का उपाय क्या है। इसको लेकर हमने एक्सपर्ट से बात की है। Dr. Subhendu Mohanty, Senior Cardiologist , Sharda Hospital इस बारे में जानकारी दे रहे है
हार्ट अटैक क्या है? (Warning Sign Of Heart Attack Causes And Prevention)
हार्ट अटैक यानी दिल का दौरा पड़ना...मेडिकल में हार्ट अटैक को मयोगार्डियल इन्फार्कशन के रूप में जाना जाता है। मायो शब्द का मतलब होता है मांसपेशी, कॉर्डियल हृदय को दर्शाता है। वहीं इन्फार्कशन मतलब अपर्याप्त रक्त आपूर्ति के कारण टिशू को नुकसान होना। हार्ट अटै तब होता है जब दिल के एक हिस्से में खून का प्रवाह रुक जाता है और इस कारण दिल की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचता है या वह मर मर जाती है। इसका मुख्य कारण कोरोनरी आर्टरी डिजीज होता है, धमनी में ब्लॉकेज यानी रुकावट अक्सर प्लाक के जमा होने के कारण होती है। जो आमतौर पर जीवनशैली से जुड़ी समस्याओं के कारण होता है। हार्ट अटैक आने पर तुरंत उपचार नहीं मिले तो व्यक्ति की मौत भी हो जाती है। वहीं हार्ट अटैक आने से पहले हमारा शरीर कई तरह के संकेत देने लगता है। आइए जानते हैं अटैक आने से पहले क्या क्या लक्षण दिखाई देते हैं।
हार्ट अटैक के लक्षण (Early Signs of Heart Attack )
- छाती के बीच या बाईं तरफ दबाव, जकड़न, भारीपन या दर्द महसूस होना,जो कुछ मिनटों से ज्यादा रहता है या जाता है और फिर से आता है।
- एक या दोनों बाहों, पीठ, गर्दन, जबड़े या पेट में असहजता या दर्द महसूस होना
- बिना गर्मी या एक्सरसाइज के पसीना आना, पसीना से व्यक्ति तर बतर हो सकता है।
- बिना किसी कारण के अत्याधिक थकान महसूस होना, कुछ लोग इसे पेट की गड़बड़ी समझने की गलती करते हैं।
- सांस की कमी, चक्कर आना, उल्टी जैसा महसूस होना।
- दिल की धड़कन का कम या ज्यादा होना
- सीने में बेचैनी महसूस होना
- गैस होने की फीलिंग
हार्ट अटैक के कारण
- कोरोनरी आर्टरी डिजीज हार्ट अटैक का सबसे आम कारण है। इसमें धमनियों में वसा, कोलेस्ट्रॉल के कारण प्लाक जमाव होता है जो धमनियों को संकरा या ब्लॉक कर देता है। इससे दिल की मांसपेशियों तक खून का प्रवाह कम हो जाता है और इससे नुकसान हो सकता है।
- स्मोकिंग धमनियों की परत को नुकसान पहुंचा सकता है जिसे प्लाक बनता है।
- मोटापा दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ा सकता है और इससे उच्च रक्तचाप और डायबिटीज जैसी समस्याएं हो सकती है।
- लगातार तनाव भी दिल की बीमारियों का कारण बन सकता है।
- शारीरिक गतिविधि की कमी से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है
हार्ट अटैक से बचाव के उपाय (Heart Attack se Bachne ke Upay)
- हेल्दी वेट मेंटेन करें, क्योंकि अधिक वजन होने से दिल की बीमारियों और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। नियमित व्यायाम जरूरी है, हफ्ते में काम से कम 150 मिनट की मध्यम व्यायाम दिल की बीमारियों का खतरा काफी हद तक काम कर सकता है।
- अगर आप स्मोकिंग करते हैं तो इसे छोड़ना ही बेहतर होगा क्योंकि यह हार्ट अटैक के लिए जिम्मेदार हो सकता है। शराब का सेवन करने से बचें
- अपने ब्लडप्रेशर पर नजर रखें और जरूरत पड़ने पर दवा की सहायता से इसे मेंटेन करें, अगर आपको डायबिटीज है तो अपने ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रण में रखना महत्वपूर्ण
- और सबसे जरूरी नींद की गुणवत्ता में सुधार हृदय स्वास्थ्य जोखिमों को कम करने में भी भूमिका निभा सकता है।
- तनाव प्रबंधन करने के लिए आप योग और मेडिटेशन करें।
- नियमित रूप से अपने स्वास्थ्य की जांच कराएं, खासकर अगर आपको दिल से जुड़ी बीमारी है तो बेहतर होगा की रूटीन चेकअप कराएं।
- डाइट में स्वस्थ आहार का सेवन करें, भरपूर मात्रा में फल और सब्जियां का सेवन करें> यह विटामिन, मिनरल्स और फाइबर से भरपूर होते हैं जो दिल को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।
आपको बता दें कि कुछ लोगों को हार्ट अटैक के हल्के झटके महसूस होते हैं इसे हम माइल्ड हार्ट अटैक के नाम से जानते हैं।
कितना गंभीर है माइल्ड हार्ट अटैक?
माइल्ड हार्ट अटैक को चेतावनी मानना चाहिए। कई मामलों में तो माइल्ड हार्ट अटैक आने के 30 दिनों के बाद दूसरा हार्ट अटैक आने की भी संभावना 30 से 40 फीसदी होती है। ऐसे में जरूरी है कि अगर आपको इसके लक्षण महसूस हो तो आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए और डॉक्टर के बताए दवाइयां और सही लाइफस्टाइल का पालन करना चाहिए।जब कोई मरीज हार्ट की समस्या के साथ अस्पताल आता है तो डॉक्टर प्राइमरी एंजियोप्लास्टी करता है। इसका मतलब है कि पहले एंजियोग्राफी की जाती है, जिसमें देखा जाता है कि धमनियों में रुकावट कहां है, फिर उस ब्लॉकेज को खोलकर उसमें स्टेंट डाला जाता है, इसे ही प्राइमरी एंजियोप्लास्टी कहा जाता है।
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