क्या आपको भी हाथों और पैरों के छोटे जोड़ों में दर्द होता है?
क्या सुबह के समय सूजन और अकड़न महसूस होती है?
ये लक्षण रूमेटॉइड अर्थराइटिस की ओर इशारा करते हैं। यह एक ऑटोइम्यून डिजीज है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम खुद ही जोड़ों पर हमला करने लगता है। इससे जोड़ों में सूजन, दर्द और अकड़न महसूस होती है। यह समस्या मुख्य रूप से महिलाओं में देखने को मिलती है, खासकर 20 से 30 साल की उम्र के बीच।
यह डिजीज हाथों और पैरों के छोटे जोड़ों को सबसे ज्यादा असर करती है, लेकिन बड़े जोड़ों जैसे घुटने और कंधे भी इससे अछूते नहीं रहते हैं। समय के साथ, यह कंडीशन और गंभीर हो सकती है। इसलिए, अगर आप इन लक्षणों का अनुभव कर रही हैं, तो तुरंत डॉक्टर से बात करें।
जल्दी पहचान और सही और समय पर इलाज से जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है। इस बारे में विस्तार से शारदा केयर – हेल्थसिटी के अर्थोपेडिक्स एवं स्पाइन डिपार्टमेंट के कंसल्टेंट डॉक्टर निश्चित पालो बता रहे हैं। सबसे पहले हम रूमेटॉइड अर्थराइटिस के लक्षण के बारे में जान लेते हैं।
रूमेटॉइड अर्थराइटिस के लक्षण (Rheumatoid Arthritis Symptoms)
एक्सपर्ट का कहना है, ''रूमेटॉइड अर्थराइटिस में जोड़ों में सूजन, दर्द और रेडनेस जैसी समस्याएं होती हैं। इस डिजीज के कारण शरीर की इम्यूनिटी (प्रतिरक्षा प्रणाली) खुद को पहचानने में गलती करती है और अपने ही जोड़ों को नुकसान पहुंचाने लगती है। धीरे-धीरे यह स्थिति जोड़ों को नष्ट करने, कार्टिलेज को नुकसान पहुंचाने, अकडन और जोड़ों के टूटने का कारण बन सकती है।''
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रूमेटॉइड अर्थराइटिस का इलाज आसान है। सबसे पहले, मरीज का ब्लड टेस्ट किया जाता है, ताकि ऑटोइम्यून मार्कर्स जैसे RA फैक्टर, HLA-B27 और एंटी-CCP एंटीबॉडी की जांच की जा सके। साथ ही, थायराइड, डायबिटीज, विटामिन D की कमी और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों को भी ध्यान में रखा जाता है, जो इस समस्या को और गंभीर बना सकती हैं।
एक्सरसाइज करें
इस बीमारी में एक्सरसाइज अहम भूमिका निभाती है। जोड़ों को एक्टिव रखना और उन्हें एक ही स्थिति में लंबे समय तक न छोड़ना बेहद जरूरी है। सुबह उठने पर जोड़ों में अकड़न महसूस होती है, इसलिए नियमित रूप से उन्हें हिलाते-डुलाते रहना चाहिए। यह जोड़ों की अकड़न और नुकसान को कम करने में मदद करता है।
कंधे के लिए पेंडुलम और मूवमेंट एक्सरसाइज फायदेमंद होती हैं, जबकि घुटने के लिए क्वाड्रिसेप्स एक्सरसाइज अच्छी मानी जाती हैं।
सिकाई करें
ठंडे और गर्म पानी का इस्तेमाल भी राहत दिलाता है। पैरों को बारी-बारी से गर्म और ठंडे पानी में डालने से सूजन और दर्द में आराम मिलता है। साथ ही, गर्म सिकाई से ब्लड फ्लो बढ़ता है, जिससेजोड़ों को पोषण मिलता है और मसल्स की अकड़न और तनाव कम होता है। इसके अलावा, रेगुलर सिकाई करने से जोड़ों का लचीलापन बढ़ता है।
हेल्दी डाइट
डाइट में प्रोटीन युक्त फूड्स जैसे टोफू, पनीर और अंडों को शामिल करें। इसके अलावा, विटामिन D और विटामिन E का सेवन भी इस बीमारी में मददगार होता है। कुछ प्राकृतिक चीजें जैसे अदरक, लहसुन, हल्दी, जैतून का तेल, ग्रीन टी और मछली भी रूमेटॉइड अर्थराइटिस में फायदेमंद साबित होती हैं।
दवाओं का इस्तेमाल
इलाज में दर्दनाशक और सूजन कम करने वाली दवाइयां दी जाती हैं, जिससे इम्यून सिस्टम को थोड़ा कमजोर किया जाता है, ताकि यह जोड़ों पर हमला करना बंद कर दे। जब इन दवाओं से भी फायदा नहीं मिलता, तब उच्च श्रेणी की दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है। ये दवाएं उन मरीजों को दी जाती हैं, जिन पर अन्य दवाएं असर नहीं करती हैं।
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रूमेटॉइड आर्थराइटिस की स्थिति बिगड़ने पर घुटने या कंधे जैसे बड़े जोड़ों का रिप्लेसमेंट करना पड़ता है। जब छोटे जोड़ों का पूरी तरह से इलाज संभव नहीं हो पाता, तब उन्हें फ्यूज किया जाता है, ताकि दर्द कम किया जा सके। इस बीमारी में जल्दी इलाज बेहद जरूरी है, क्योंकि देर से इलाज कराने पर जोड़ों को बचाना मुश्किल हो जाता है।
समय पर इलाज और डॉक्टर से नियमित जांच करवाकर इस बीमारी के नुकसान को कम किया जा सकता है। जितनी जल्दी इलाज शुरू किया जाए, उतना ही बेहतर परिणाम देखने को मिलते हैं। अगर आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या है, तो हमें आर्टिकल के ऊपर दिए गए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम अपने आर्टिकल्स के जरिए आपकी समस्या को हल करने की कोशिश करेंगे।
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Image Credit: Shutterstock and Freepik
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