महिलाओं को हर चीज में जुगाड़ करने की आदत होती हैं। फिर चाहे धूप ना होने पर टेबल फैन से कपड़े सुखाना हो या पुरानी चीजों का फिर से इस्तेमाल जैसे पुरानी साड़ी से सूट बनवाना या पुराने शादी के कार्ड से सुंदर चीजों को निकालकर नए क्लिप बनाना। हालांकि जुगाड़ हमारे लिए फायदेमंद होता है। लेकिन खाने-पीने से जुड़ा ये जुगाड़ जैसे खाली प्लास्टिक या टिन की बोतल या डिब्बों का फिर से इस्तेमाल हमारी हेल्थ को नुकसान पहुंचा सकता है। शायद यह बात सुनकर आप चौंक गई होंगी। लेकिन यह बिलकुल सच हैं। आइए जानें हमारी यह आदत हेल्थ को कैसे नुकसान पहुंचाती है और इसे बदलना हमारे लिए क्यों जरूरी है।
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अधिकांश प्लास्टिक के कंटेनर जिनमें प्रोडक्ट बेचे जाते हैं, वो नंबर 1 कैटेगरी के प्लास्टिक के होते हैं। इस कैटेगरी के प्लास्टिक को polyethylene terephthalate या पीईटी कहा जाता है। यह अपने पारदर्शी और स्पष्ट बनावट के लिए जाने जाते हैं। वैसे तो इन डिब्बों को अच्छी तरह से साफ करके दोबारा इस्तेमाल करना सेफ माना जाता है, लेकिन हाल ही में हुई एक रिसर्च के अनुसार पीईटी आपके भोजन में ऐन्टमोनी और केमिकल्स रिलीज करती हैं जो एंडोक्राइन को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा प्लास्टिक के अन्य ग्रेड में खतरनाक बीपीए भी शामिल हो सकते हैं जो हार्मोन को गड़बड़ाने और कैंसर से जोड़कर देखा जाता है। इसलिए आपको इन डिब्बों को ज्यादा इस्तेमाल करने से बचना चाहिए।
प्लास्टिक की बोतल और डिब्बे ज्यादा तापमान की वजह से गर्म होते हैं तो प्लास्टिक में मौजूद नुकसानदेह केमिकल डाइऑक्सिन का रिसाव शुरू हो जाता है। ये डाईऑक्सिन डिब्बों में रखी चीजों में घुलकर हमारी बॉडी में पहुंचता है। डाइऑक्सिन हमारी बॉडी में मौजूद सेल्स पर बुरा असर डालता है। इसकी वजह से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
डिब्बाबंद फूड को पैक करने के लिए आमतौर पर टिन के डिब्बे का उपयोग किया जाता है। टिन के डिब्बों में खाने-पीने की चीजों को रखना और इनका दोबारा इस्तेमाल सेफ माना जाता है और टिन में मौजूद नमक बहुत कम मात्रा में अवशोषित होते हैं। लेकिन टिन में मौजूद कुछ नमक किडनी को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा एक नई रिसर्च से ये बात समाने आई हैं कि टिन के अंदर की परत में बीपीए (BPA) मौजूद हो सकते हैं। और बीपीए आपकी हेल्थ के लिए अच्छा नहीं होता है। इसके अलावा इनमें खट्टी या एसिडिक चीज़ों को रखने से मना किया जाता है ताकि केमिकल्स को रीलीज होने से रोका जा सके।
कांच या सिरेमिक की तुलना में प्लास्टिक की चीजें सुविधाजनक तो लगती हैं कि लेकिन अध्ययनों से पता चलता है कि प्लास्टिक पीईटी डिब्बों में तेल, मसालों और अनाज जैसी चीजें रखने से एंटीमोनी और बीपीए जैसे विषाक्त पदार्थ भोजन में घुल सकते हैं। इसलिए थोड़े अधिक पैसे खर्च करके कांच, सिरेमिक या धातुओं के डिब्बे खरीदें। कांच, सिरेमिक और स्टेनलेस स्टील बर्तन सुरक्षित विकल्प हैं क्योंकि आप फूड्स में घुलनेवाले केमिकल्स के डर के बिना गर्म या ठंडे फूड्स को इसमें रख सकती हैं।
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स्टेनलेस स्टील के डिब्बे अच्छे, सेफ और किफायती विकल्प हैं। इन्हें साफ करना भी बहुत आसान है। स्टेनलेस स्टील एक मिश्रित धातु है, जो लोहे में कार्बन, क्रोमियम और निकल मिलाकर बनाई जाती है। इस धातु में ना तो लोहे की तरह जंग लगता है और न ही पीतल की तरह यह एसिडिक आदि से प्रतिक्रिया करती है। इसकी सिर्फ एक कमी है कि इससे बने बर्तन जल्द गर्म हो जाते हैं। इसलिए इन्हें खरीदते वक्त ऐसे बर्तन चुनें जिनके नीचे कॉपर की लेयर लगी हो।
अब आप भी इस गलती को दोहराने से बचें।
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