
यूपी के गाजियाबाद से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहां बकाया किराया मांगने पर टेनेंट कपल ने मकान मालकिन की बेरहमी से हत्या कर दी। पहले चुन्नी से गला घोंटा और डेड बॉडी के टुकड़े कर सूट केस में भर दिया। बताया जा रहा है कि महिला अपने घर का 6 महीने का बकाया किराया (करीब 90 हजार रुपये) लेने गई थीं। इसी में ये खौफनाक वारदात हुई।
ये घटना उन मकान मालिकों के लिए एक गंभीर चेतावनी है जो विवाद होने पर अकेले ही किराएदारों से निपटने पहुंच जाते हैं। हालांकि रेंट एग्रीमेंट अभी वैलिड था, लेकिन इस खौफनाक अंजाम ने सभी को दहशत में डाल दिया है। अब सवाल ये है कि अगर रेंट एग्रीमेंट खत्म हो चुका है और फिर भी किराएदार घर खाली नहीं कर रहा, तो मकान मालिक क्या करे? इसके बारे में अभय द्विवेदी, अधिवक्ता, उच्च न्यायालय, लखनऊ खंडपीठ विस्तार से जानकारी दे रहे हैं।
अभय द्विवेदी ने बताया कि अगर 11 महीने का रेंट एग्रीमेंट खत्म हो चुका है और उसे आगे बढ़ाया नहीं गया है, तो कानून की नजर में किराएदार का कब्जा गैर कानूनी माना जा सकता है। इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि मकान मालिक खुद से कोई सख्त कदम उठा सकता है।
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किसी वकील के जरिए लीगल नोटिस भेजें। इसमें साफ लिखा होना चाहिए कि रेंट एग्रीमेंट की वैलिडिटी खत्म हो चुकी है। 15 से 30 दिन के अंदर मकान खाली करना होगा, वरना आप पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
अगर कोई मकान मालिक रेंट एग्रीमेंट खत्म होने के बाद भी किराया ले रहा होता है तो ये मामला थोड़ा पेचीदा हो सकता है। कानून इसे मंथ-टू-मंथ टेनेंसी मान सकता है। ऐसी सिचुएशन में ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट (Transfer of Property Act) की धारा 106 लागू होती है। इसके तहत मकान खाली कराने के लिए कम से कम 15 दिन का लिखित नोटिस देना जरूरी होता है।
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अगर आपने एग्रीमेंट खत्म होने के बाद किराया लेना ही बंद कर दिया है, तो किराएदार की स्थिति कमजोर हो जाती है। ऐसे में उसका कब्जा पूरी तरह अवैध माना जा सकता है। मकान मालिक सिविल कोर्ट में बेदखली का केस कर सकता है।
सिर्फ मकान खाली न करने पर पुलिस सीधे कार्रवाई नहीं करती है, लेकिन कोई भी किराएदार अगर धमकी दे, जबरन कब्जा करे या फिर फर्जी रेंट एग्रीमेंट दिखाए तो इस पर IPC की धाराओं 441 या 447 (क्रिमिनल ट्रेसपास) के तहत पुलिस में शिकायत की जा सकती है।
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अगर टेंनेंट एग्रीमेंट खत्म होने के बाद भी घर में रह रहा है, तो मकान मालिक सिर्फ पुराना किराया नहीं, बल्कि मार्केट रेट के हिसाब से हर्जाना भी मांग सकता है। इसे कानून में Mesne Profits कहा जाता है। किराया न देने पर अलग केस भी कर सकते हैं। अगर 6 महीने का 90 हजारा बकाया है, तो ये सिर्फ सिविल मामला नहीं रहता है। मकान मालिक ये कर सकता है-
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अगर किराएदार आपको धमकी देता है, झगड़ा करता है, जान का खतरा बना रहता है तो IPC 503/506- आपराधिक धमकी और IPC 441 या 447 जैसी धाराएं जबरन कब्जा के लिए लग सकती हैं।
अगर मकान मालिक महिला हैं या सीनियर सिटिजन हैं तो महिला आयोग में आप सीनियर सिटिजन एक्ट के तहत भी शिकायत कर सकती हैं। अगर डराया जा रहा हो तो खुद कानून हाथ में न लें।
गाजियाबाद जैसी घटनाएं बताती हैं कि किराएदार से सीधे भिड़ने की बजाय कानून का रास्ता अपनाना ही सबसे सेफ होता है। तो अगली बार अगर आपके सामने ऐसी सिचुएशन आती है तो आपको तुरंत कानून का रास्ता अपनाना चाहिए। साथ ही अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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