अक्सर घर पर कुकिंग करते-करते बोरियत हो जाती है तो आप किसी अच्छे से रेस्टोरेंट में डिनर के लिए जाना पसंद करती हैं। डिनर ही नहीं, पार्टी करने, दोस्तों के साथ आउटिंग करने, बर्थडे सेलिब्रेशन या किसी खास मौके को स्पेशल बनाने के लिए आप रेस्टोरेंट में खाना पसंद करती हैं। रेस्टोरेंट्स का अलग एंबियस और खाने की बेहतरीन वैराएटी की availability भी आपको अक्सर बाहर खाने-पीने का प्लान बनाने के लिए इंस्पायर करता है लेकिन क्या आप जानती हैं कि रेस्टोरेंट्स के खाने की पैकेजिंग से आपकी हेल्थ किस तरह प्रभावित हो सकती है? एक लेटेस्ट स्टडी में पाया गया कि बाहर खाना खाने वाले लोगों में टॉक्सिन्स की मात्रा उन लोगों के मुकाबले 35 फीसदी अधिक थी, जो घर पर खाना खा रहे थे। फूड आउटलेट्स और रेस्टोरेंट्स में खाने की पैकेजिंग के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें phthalates केमिकल होता है, जो उसे स्ट्रॉन्ग और फ्लेक्सिबल बनाता है। इसका सबसे बड़ा खतरा यह है कि यह केमिकल खाने के जरिए हमारी बॉडी में चला जाता है।
Phthalates से इनफर्टिलिटी की समस्या हो सकती है। इस स्टडी में 10,253 लोग शामिल हुए, जिन्होंने अपने डाइनिंग एक्सपीरिएंस के बारे में बात की और जिनके यूरीन में phthalates के स्तर की जांच की गई। अध्ययन में चेताया गया कि चीजबर्गर्स में contaminated phthalates होने की आशंका हो सकती है। प्लास्टिक फूड इंडस्ट्री के लिए एक important मटीरियल है और यह फास्ट फूड रेस्टोरेंट में और भी ज्यादा अहम हो जाता है। एक अध्ययन के अनुसार भारतीय फूड पैकेजिंग इंडस्ट्री के साल 2020 तक 32 बिलियन डॉलर हो जाने के आसार हैं। ऐसे में प्लास्टिक contamintated फूड आइटम्स से बड़े पैमाने पर महिलाएं और बच्चे प्रभावित हो सकते हैं।
Phthalates केमिकल के हर जगह पाए जाने की आशंका होती है। यह टूथपेस्ट से लेकर कपड़ों, प्लास्टिक ग्लवस, पैकेजिंग और रेस्टोरेंट्स के प्रोसेसिंग टूल्स में भी पाए जाते हैं। फूड आइटम्स के गर्म होने या लंबे समय तक प्लास्टिक में पड़े रहने पर इन केमिकल्स के फूड आइटम्स में चले जाने की आशंका और भी ज्यादा बढ़ जाती है। आमतौर पर भारतीय महिलाएं गरमागरम परोसे गए खाने को शौक से खाना पसंद करती हैं, लेकिन इसी गर्म खाने के साथ phthalates भी आसानी से हमारी सांसों के जरिए, खाने के जरिए या त्वचा के जरिए शरीर में जा सकते हैं। अगर आप सैंडविच और बर्गर रेस्टोरेंट्स से खाना पसंद करती हैं तो आपको सतर्क होने की जरूरत है क्योंकि उनमें phthalates के होने की आशंका 30 फीसदी ज्यादा हो सकती है।
अगर खाना घर में बनाया जा रहा है और उसमें प्रोसेस्ड फूड आइटम्स यूज किए जा रहे हैं तो उनके जरिए भी ये केमिकल्स शरीर में जा सकते हैं। प्रेगनेंट महिलाओं, बच्चों और टीनेज गर्ल्स के इस टॉक्सिक केमिकल (phthalates) से प्रभावित होने की आशंका और भी ज्यादा है। इसीलिए खानपान में इससे जुड़ी सतर्कता बरतना बेहद जरूरी है। ये टॉक्सिन्स हार्मोन को प्रभावित करते हैं। phthalates को उन बच्चों के neurodevelopmental issues से जोड़कर भी देखा जाता है, जो इस केमिकल से प्रभावित होते हैं और जिन्हें टेस्ट में अच्छे नंबर नहीं मिल पाते।
अर्चना धवन बजाज, कंसल्टेंट ऑब्स्टीट्रीशियन, गायनेकोलॉजिस्ट एंड आईवीएफ एक्सपर्ट, नर्चर आईवीएफ दिल्ली बताती हैं, 'खाने के जरिए शरीर में जाने वाले केमिकल बहुत ज्यादा नुकसानदेह होते हैं। जब खाना माइक्रोवेब में गर्म किया जाता है तो उससे नुकसान और भी ज्यादा बढ़ जाता है। वह खाना कार्सिनोजेनिक हो सकता है यानी उससे कैंसर का खतरा हो सकता हैं, आपकी फर्टिलिटी पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा भी प्लास्टिक मटीरियल से आने वाले केमिकल्स के मल्टिपल इफेक्ट हो सकते हैं। किड्स और टीन्स पर भी इसका बुरा असर हो सकता है। मेरा सुझाव है कि बाहर खाना खाएं तो कोशिश करें कि वह पैक्ड न हो, साफ-सुथरी जगह पर खाना खाएं। आपके लिए ऐसा खाना लेना बेहतर है, जिसमें प्रिजरवेटिव न हों।'
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