बच्‍चों को फूड एलर्जी से बचाते हैं उनके पेट के बैक्‍टीरिया

क्‍या आप जानती हैं कि हेल्‍दी बच्चों की आंतों में पाए जाने वाले बैक्टीरिया उनको भोजन से होने वाली एलर्जी से बचा सकता है।

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छोटे बच्‍चे बहुत जल्‍दी फूड एलर्जी का शिकार हो जाती है। डब्लूएचओ के अनुसार बच्‍चों में खाने से होने वाली एलर्जी भी काफी बढ़ गई है। जन्म के समय जिन बच्चों का भार कम होता है, उनमें भी इसकी आशंका अधिक होती है। हालांकि हमारे देश में फूड एलर्जी के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें सबसे आम अस्‍थमा, एक्जिमा, त्वचा पर चकत्ते और फूड से संबंधित हैं। ज्‍यादातर बच्चों को अण्डे, दूध, सोया, मूंगफली या गेहूं से एलर्जी हो सकती है।

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क्‍या कहती है रिसर्च

लेकिन आप परेशान ना हो क्‍योंकि एक रिसर्च के अनुसार, हेल्‍दी बच्चों की आंतों में पाए जाने वाले बैक्टीरिया उनको भोजन से होने वाली एलर्जी से बचा सकता है। समाचार एजेंसी 'सिन्हुआ' की रिपोर्ट के अनुसार, यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो, आरगॉन नेशनल लेबोरेटरी और इटली स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ नेपल्स फेडेरिको-2 के शोधकर्ताओं ने हाल ही में की गई एक रिसर्च में पाया कि आंतों में मिलने वाली बैक्टीरिया खाने-पीने से बच्चों को होने वाली एलर्जी से काफी हद तक बचाती है।

रिसर्च का नतीजा

तकरीबन आठ बच्चों को इस शोध में शामिल किया गया। इनमें से 4 बिल्कुल हेल्‍दी थे और 4 ऐसे थे जिन्हें गाय के दूध से एलर्जी थी। इन बच्चों के पेट के बैक्‍टीरिया को चूहों के समूहों में मल के नमूने के माध्यम से प्रत्यारोपित किया गया। चूहों को पूरी तरह बैक्‍टीरिया व जर्म्‍स रहित वातावरण रखा गया और उनको बच्चों के ही जैसे भोजन दिया गया। शोध के नतीजों में एलर्जी वाले बच्चों से प्राप्त जीवाणु ग्रहण करने वाले चूहों में एनाफिलेक्सिस की शिकायत पाई गई।

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यह एलर्जी का ऐसा प्रभाव है जिससे जान भी जा सकती है। जर्म्‍स रहित वातावरण में रखे गए चूहे जिनको कोई जीवाणु नहीं दिया गया था उनमें भी गंभीर प्रतिक्रिया पाई गई। लेकिन, जिनको स्वस्थ्य जीवाणु दिए गए थे वे पूरी तरह सुरक्षित पाए गए और उनमें किसी प्रकार की एलर्जी नहीं पाई गई। आरगोन के प्रोफेसर डियोनीसिओस एंटोनोपौलस ने कहा, "हम देखते हैं कि आंत में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवों का गहरा असर होता है जो भोजन के घटकों से होने प्रभाव से बचाता है।"

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