जब अर्थराइटिस या किसी चोट के बाद चलने फिरने में परेशानी होती है तब शरीर के अंगों को ताकत प्रदान करने और उन्हें चलने फिरने योग्य बनाने के लिए फिजियोथेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। यह बात सभी शायद पहले से ही जानते हैं कि फिजियोथेरेपी ऐसे डिसऑर्डर्स को ठीक करने में असरदार होती है जो महिलाओं में पेल्विक एरिया को नुकसान पहुंचाते हैं। फिजियोथेरेपी सेशन्स कई पेल्विक समस्याओं को हल करने में मदद कर सकते हैं। पेल्विक समस्याएं जैसे यूरिन असंयम और कब्ज से लेकर पेल्विक दर्द और यूट्रस के आगे बढ़ने में फिजियोथेरेपी सहायक होती है।
फिजियोथेरिपी की भूमिका के बारे में जागरूकता होने से पेल्विक की समस्याओं को कम करने में मदद मिल सकती है। ख़ासतौर पर भारत जैसे देश में जहां महिलाओं की समस्याओं के बारे में खुलकर बात नहीं की जाती है, वहां पर फिजियोथेरेपी के बारे में जागरूकता होने से बहुत सहूलियत हो सकती है। महिलाओं की जिन समस्याओं के बारे में बहुत कम बात की जाती है उसे हल करने में फिजियोथेरेपी बहुत बड़ी भूमिका निभा सकती है। महिलाओं की कौन सी समस्याओं को इससे दूर किया जा सकता है, इस बारे में हमें जिंदल नेचरक्योर इंस्टीट्यूट बैंगलोर की चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर बबीना बता रही हैं।
पेल्विक फ्लोर की समस्याएं
पेल्विक फ्लोर मसल्स के एक समूह से बना होता है जो पेल्विक कैविटी को पैड करता है जिसके अन्दर कई पेल्विक आंत उपस्थित होतेे हैंं जैसे कि बर्थ कैनाल, ब्लैडर, रेक्टम, पेल्विक जेनिटल अंग और यूरेथ्रा। पेल्विक फ्लोर एक झूले की तरह काम करता है जो पेल्विक अंगों को लिफ्ट और सपोर्ट करता है। पेल्विक फ्लोर कॉन्ट्रैक्ट से मसल्स के निर्माण से यूरिन की निरंतरता बनाए रखने और यूरिन, शौच, सेक्स करने और बच्चा पैदा करने में मदद मिलती है। जब पेल्विक फ्लोर की मसल्स किसी कारणवश कमजोर हो जाती हैंं तब वे पेल्विक अंगों को सपोर्ट करने में असमर्थ हो जाती हैंं जिसकी वजह से यूरिन असंयम होने और यूट्रस के बढ़ने की समस्याएं होती हैंं। अगर किसी में पेल्विक फ्लोर कमजोर है तो फिजियोथेरेपिस्ट उचित एक्सरसाइज की मदद से पेल्विक फ्लोर की ताकत लाने में मदद कर सकती है।
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अगर पेट की मसल्स कमजोर हैं तो एक्सरसाइज उन्हें भी मजबूत करने में मदद कर सकती हैं। अगर पीठ के निचले हिस्से में दर्द होने से पेल्विक एरिया में मसल्स कमजोर होती हैंं तो उन्हें सही मसाज और पोजीशन में सुधार करके इस समस्या को हल किया जा सकता है। पेल्विक फ्लोर की मसल्स कसी होने पर यूरिन करते समय या कब्ज होने पर दर्द हो सकता है और इससे पीठ में अचानक से दर्द भी उठ सकता है। अगर कोई इस समस्या से डायग्नोज किया जाता है तो उसे फिजियोथेरेपिस्ट के पास रेफर किया जा सकता है। फिजियोथेरेपिस्ट उसे पेल्विक फ्लोर की मसल्स को मजबूत करने के लिए होने वाले इलाज के लिए सही कोर्स रिकमेंड कर सकता है। इसमें पेल्विक फ्लोर की मसल्स, ब्रीदिंग और रिलैक्सेशन टेक्निक्स, पोजिशनल मोडिफिकेशन, पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज और लोअर बैक दर्द के लिए शामिल ये इन्टरनल मैन्युअल थेरेपी सीमित नहीं होती है।
प्रेग्नेंसी
प्रेग्नेंट महिलाओं में पेल्विक गर्डल में दर्द होना और मूत्र असंयम होना सबसे कॉमन समस्या है। यह बच्चे और यूट्रस के वजन बढ़ने के साथ-साथ हार्मोनल बदलाव के कारण होता है। ब्लैडर पर यूट्रस के अतिरिक्त दबाव के कारण ब्लैडर के यूरिन को स्टोर करने की क्षमता खत्म हो जाती है जिससे छींकने पर यूरिन के लीक होने की समस्या हो जाती है और यूरिन को ब्लैडर में रोकना बहुत मुश्किल हो जाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान यूरिन असंयम होने पर इसे इग्नोर नहीं करना चाहिए। प्रेग्नेंसी के दौरान इस समस्या को इग्नोर करने पर पेल्विक फ्लोर को मजबूत करने में इस्तेमाल होने वाली मसल्स पर बच्चे की डिलीवरी के बाद दबाव पड़ता है।
एक फिजियोथेरेपिस्ट आपको प्रेग्नेंसी के दौरान पेल्विक फ्लोर की मसल्स को मजबूत करनेके लिए कुछ एक्सरसाइज करने को कह सकता है। पिलाटे्स बेस्ड एक्सरसाइज पेल्विक की मसल्स को मजबूत करने में मदद कर सकती है और फ्लोर पर दबाव को भी कम कर सकती है। पेल्विक सपोर्ट लिगामेंट की शिथिलता के कारण प्रेग्नेंसी के दौरान पेल्विक गर्डल में दर्द होना कॉमन होता है, नतीजतन हार्मोनल स्राव में बदलाव होता है। विभिन्न मसल्स और जोड़ों में दर्द और प्रेग्नेंसी के दौरान गतिशीलता में कमी होना कॉमन है और ऐसे समय में प्रेग्नेंट महिलाओ को मैनुअल थेरेपी के जरिये पीठ के संयोजी ऊतक, पेट, हिप्स और पेल्विक, एक्यूपंक्चर, स्टेबिलिटी बेल्ट और सोते समय सही पोजीशन में सोने से इस समस्या को हल किया जा सकता है।
डिलीवरी के बाद देखभाल
जब महिला एक बच्चे को जन्म देती है तो जन्म के तुरंत बाद के समय में मां के शरीर में बहुत सारे बदलाव होते हैं। बच्चे के जन्म के बादट्रॉमा से लेकर पेरिनियम में फटाव, पुडेटल नर्व में इंजरी और इस तरह की कई सारी समस्याओं से पेल्विक फ्लोर डिसफंक्शनल हो सकता है। इससे यूरिन असंयमता, बाउल अर्जेंसी, यूरिन की फ्रीकेंसी में वृद्धि, आंत्र और ब्लैडर की अपूर्ण भावनाएं और यूरिन और शौच के दौरान दर्द होता है। पेल्विक फ्लोर का उचित मूल्यांकन बहुत जरूरी है ताकि उपरोक्त लक्षणों को रोका जा सके। पेल्विक मसल्स को मजबूत करने वाले ट्रीटमेंट में पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज, इंटरनल मैन्युअल थेरेपी, ब्रीदिंग एंड रिलैक्सेशन टेक्निक्स, पेल्विक फ्लोर को ट्रेन करने के लिए एक्सरसाइज और पेल्विक मसल्स के रिलीज में मदद के लिए मसल्स के उत्तेजक और डायलेटर्स का प्रावधान शामिल होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान पेट की मसल्स के स्ट्रेच से बाईं और दाईं ओर की मसल्स के बीच अलगाव हो सकता है।
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फिजियोथेरेपिस्ट के साथ अपॉइंटमेंट लेने से पहले प्राइमरी फिजिशियन से कंसल्ट करना उचित होता है और हमेशा लाइसेंस प्राप्त और रजिस्टर्ड फिजियोथेरेपिस्ट के पास ही जाना चाहिए। अगर आपको पहले से ही कोई मेडिकल समस्या है तो फिजियोथेरेपिस्ट को पहले से बता देना सबसे अच्छा रहता है, ताकि संबंधित स्थितियों को ध्यान में रखते हुए ट्रीटमेंट के लिए सही कोर्स की योजना बनाई जा सके। हेल्थ से जुड़ी और समस्याओं के बारे में जानने के लिए हरजिंदगी से जुड़ी रहें।
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