जानिए मिसकैरिज से जुड़े कुछ मिथ्स की क्या है सच्चाई

गर्भपात किसी भी महिला को शारीरिक व मानसिक रूप से तोड़कर रख देता है। लेकिन कई बार इससे जुड़े कुछ मिथ्स ही महिला के मन में डर पैदा करते हैं। जानिए ऐसे ही कुछ मिथ्स और उनकी वास्तविक सच्चाई।

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मां बनना हर विवाहित स्त्री की ख्वाहिश होती है। मां बनने की प्रक्रिया के दौरान एक स्त्री को कई तरह के शारीरिक व मानसिक बदलावों का सामना करना पड़ता है, लेकिन यह उसे एक पूर्णता का अहसास कराता है। गर्भधारण करने के पश्चात् एक महिला को अपने स्वास्थ्य के प्रति अधिक सतर्क होना पड़ता है। उसे अपने साथ-साथ गर्भ में पल रहे शिशु का भी पूरा ख्याल रखना होता है। शायद यही कारण है कि एक्सरसाइज से लेकर खानपान व दवाईयों आदि के सेवन में अधिक सतर्कता बरती जाती है। महिला की एक छोटी सी भी भूल उसके गर्भस्थ शिशु को नुकसान पहुंचा सकती है। हालांकि कभी-कभी देखा जाता है कि अधिक सतर्कता कई तरह के मिथ्स और गलतफहमियों को बढ़ावा देती है। गर्भपात एक ऐसी स्थिति है, जिसका सामना कोई भी गर्भवती स्त्री नहीं करना चाहेगी और इसलिए वह किसी की भी कही हुई बातों या फिर कुछ पापुलर मिथ्स पर भरोसा करती हैं। दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल की सीनियर कंसल्टेंट आब्स्टिट्रिशन एंड गाइनकालजिस्ट डॉ. रंजना शर्मा आपको ऐसे ही कुछ मिथ्स के बारे में बता रही हैं-

मिथ 1-तनाव या एक्सरसाइज से गर्भपात होना

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सच्चाई- तनाव होने या फिर व्यायाम करना गर्भपात का कारण नहीं है। अधिकतर मामलों में, गर्भपात भ्रूण के गुणसूत्रों में असामान्यताओं के कारण होते हैं, जो जीन को ले जाते हैं। ये असामान्यताएं माता-पिता से आनुवंशिकी का परिणाम भी हो सकती हैं। इसके अलावा, असामान्य गर्भाशय संरचना, जन्मजात विसंगतियां, महिला को होने वाला संक्रमण या कोई बीमारी भी कई बार गर्भपात का कारण बन सकती है। वैसे तनाव के कारण गर्भपात नहीं होता, लेकिन यह गर्भपात की संभावना को बढ़ा सकता है। इसके अलावा, स्वस्थ बच्चे के जन्म के लिए एक गर्भवती स्त्री को जितना हो सके, तनाव से दूर रहना चाहिए।

मिथ 2- अबॉर्शन के बाद गर्भपात की अधिक संभावना

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सच्चाई- कुछ महिलाएं सोचती हैं कि अगर पहले उनका अबॉर्शन हुआ है तो उन्हें गर्भपात की संभावना अधिक है। हालांकि ऐसा कुछ भी नहीं होता। अबॉर्शन एक महिला की सामान्य गर्भावस्था की क्षमता को प्रभावित नहीं करता है। इतना ही नहीं, कुछ महिलाओं का यह भी मानना होता है कि अगर उनका एक या दो बार पहले गर्भपात या मिसकैरिज हुआ है तो हर बार ऐसा ही होगा। जबकि यह भी पूरी तरह से एक मिथ है। मिसकैरिज होने के बाद भी एक महिला हेल्दी प्रेग्नेंसी कैरी कर सकती है।

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मिथ 3- गर्भपात को पूरी तरह से रोका जा सकता है

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सच्चाई- यह सच होकर भी पूरी तरह से सच नहीं है। मसलन, ऐसे कई कारण हैं, जिसकी वजह से एक महिला को गर्भपात होता है और अगर उन कारणों पर काम कर लिया जाए तो इससे गर्भपात को रोका जा सकता है। उदाहरण के तौर पर, अगर एक महिला बहुत अधिक अंडरवेट या ओवरवेट है तो इससे उसे गर्भपात की संभावना अधिक रहती है। ऐसे में अपने वेट को मैनेज करके अपनी प्रेग्नेंसी को हेल्दी बना सकती है। इसी तरह अगर किसी महिला को कोई मेडिकल प्रॉब्लम है तो उस पर भी काम किया जा सकता है। लेकिन इसके अलावा, गर्भपात कई बार भ्रूण की आनुवांशिक समस्या के कारण भी होता है और यह मां के नियंत्रण से परे है।

मिथ 4- बेडरेस्ट से नहीं होगा गर्भपात

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सच्चाई- यह पूरी तरह से एक मिथ है। अगर आप भी ऐसा सोचती है कि बेडरेस्ट करने से आपको गर्भपात नहीं होगा तो आप गलत है। बेडरेस्ट करने से और गर्भपात का आपस में कोई लेना-देना नहीं है।

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मिथ 5- गर्भपात के बाद जल्दी प्रेग्नेंसी नहीं करनी चाहिए

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सच्चाई- कुछ महिलाएं मानती हैं कि अगर उन्हें एक बार गर्भपात हो गया है तो उनके शरीर को लम्बे समय तक आराम की जरूरत है और दोबारा प्रेग्नेंट होने में कुछ वक्त लेना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं है। गर्भपात के बाद आपको अपने मिसकैरिज के कारणों का पता लगाना चाहिए। अगर किसी मेडिकल प्रॉब्लम के कारण ऐसा हुआ है तो पहले आपको उसे ठीक करना चाहिए। लेकिन अगर किसी मेडिकल प्रॉब्लम के कारण गर्भपात नहीं हुआ है तो आप मिसकैरिज के तीन-चार महीने बाद दोबारा बेहद आसानी से प्रेग्नेंसी प्लॉन कर सकती हैं।

मिथ 6- फैमिली में होता है मिसकैरिज

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सच्चाई- आपके मिसकैरिज का आपकी फैमिली हिस्ट्री से कोई लेना-देना नहीं है। ऐसा नहीं है कि अगर आपकी फैमिली में किसी का गर्भपात हुआ है तो आपका भी गर्भपात होगा ही। आप अपनी कुछ पारिवारिक आनुवांशिक असामान्यताएं या ब्लड क्लॉटिंग डिसऑर्डर को inherit कर सकती हैं, लेकिन यह आपके गर्भपात होने की गारंटी नहीं है।

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Image Credit: freepik

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