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गर्भपात की ओर इशारा करते हैं ये लक्षण, डॉक्टरी सलाह पर प्लान करें अगली प्रेगनेंसी

प्रेगनेंट महिलाओं को कई बार गर्भपात जैसी अनचाही स्थिति का भी सामना करना पड़ता है। अगर आपको इसके लक्षण नजर आएं तो सबसे पहले इस बारे में अपनी डॉक्टर से कंसल्ट करें।
Her Zindagi Editorial
Updated:- 2018-12-06, 17:53 IST

प्रेग्नेंसी को लेकर हर महिला काफी सेंसिटिव होती है, लेकिन कई बार हेल्थ इशुज या अन्य कारणों की वजह से महिलाओं को गर्भपात जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है। असुरक्षित यौन संबंध बनाने, गर्भनिरोधक (contraceptives) फेल हो जाने, सेहत खराब होने, किसी भी तरह का एक्सिडेंट, गलत डाइट या दवाओं के रिएक्शन से अबॉर्शन की स्थिति आ सकती है। 

अगर बॉलीवुड एक्ट्रेसेस की बात करें तो कई जानी-मानी एक्ट्रेसेस इस समस्या की शिकार हो चुकी हैं। अजय देवगन की पत्नी काजोल, राज कुंद्रा की पत्नी और योग के लिए फेमस शिल्पा शेट्टी गर्भपात को झेल चुके हैं। इसी तरह आमिर खान की पत्नी किरण राव खान, फरदीन खान की पत्नी नताशा खान, दिलीप कुमार की पत्नी सायरा बानो भी अबॉर्शन जैसी स्थितियों से गुजर चुकी हैं। इस स्थिति से गुजरते हुए महिलाओं में अन्य कॉम्प्लीकेशन्स के साथ डिप्रेशन और स्ट्रेस जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। 

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अबॉर्शन भले ही किसी भी वजह से हुआ हो, लेकिन इसके शुरुआती संकेत मिलते ही महिलाओं को सतर्क होने की जरूरत होती है। ऐसी स्थिति में जल्द से जल्द महिला रोग विशेषज्ञ (gyanecologist) को दिखाने और उनकी बताई सलाह के अनुसार इलाज कराने की जरूरत होती है। गर्भपात से जुड़े ऐसे अहम लक्षणों के बारे में जानना आपके लिए बहुत जरूरी है ताकि आप पूरी तरह से सजग रहें-

क्या है अबॉर्शन की वजह?

हम सभी के शरीर में पाई जाने वाली कोशिकाओं में कुछ गुणसूत्र होते हैं, जिनमें जीन्स होती हैं। हर कोशिका में 23 गुणसूत्रों के जोड़े होते हैं और इनकी कुल संख्या 46 होती है। प्रजनन की प्रकिया के दौरान जब शुक्राणु अंडकोष में अंडों से मिलते हैं, तब दो तरह के गुणसूत्र आपस में मिलते हैं। अगर इनकी संख्या सामान्य से ज्यादा या कम रह जाए, तब गर्भपात की आशंका बढ़ जाती है। इसका समय पर इलाज नहीं होने  पर डिलीवरी या उससे पहले अबॉर्शन की आशंका होती है।

गर्भपात के ये हैं लक्षण

वैजिनल ब्लीडिंग 

इस स्थिति में वेजाइना (योनी) से रुक-रुक कर ब्लीडिंग होती है और ब्लीडिंग की मात्रा प्रेग्नेंसी के वीक पर निर्भर करती है। ब्लीडिंग के पीछे वजह हमेशा गर्भपात नहीं होती। अमेरिकन प्रेगनेंसी एसोसिएशन के अनुसार खून बहना 20 से 30 प्रतिशत सभी प्रेग्नेंसी में पाया जाता है। कुछ खास तरह से ब्लीडिंग के पीछे का कारण गर्भपात हो सकता है। ये वजहें इस प्रकार हैं –

  • गहरा भूरा या गुलाबी रंग का खून आना
  • ब्लीडिंग के साथ क्लॉट्स आना
  • अचानक ब्लीडिंग होना
  • हैवी ब्लीडिंग होना
  • पेट के निचले हिस्से में दर्द

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पेट के निचले भाग में योनि के पास वाले हिस्से में अचानक से दर्द शुरू होना गर्भपात की ओर सीधे-सीधे संकेत करते हैं। जब ऐसा कुछ हो तो फ़ौरन डॉक्टर के पास जाए। गंभीर श्रोणि में ऐंठन या दर्द मासिक धर्म के कारण होता है। जिससे कमर में बहुत तेज दर्द होता है।

लिक्विड या बलगम निकलना

प्रेग्नेंसी के दौरान कई बार जब वेजाइना से ब्लीडिंग के साथ-साथ बलगम या लिक्विड आने लगे तो यह गर्भपात की तरफ संकेत करता है। इसके साथ ही ब्लीडिंग में सफेद और गुलाबी रंग के क्लॉट्स आने लगते है, जिससे प्रेग्नेंट महिलाओं को एलर्ट हो जाना चाहिए। यह साफ-साफ़ गर्भाशय की थैली के फटने की तरफ संकेत करता है।

इन लक्षणों पर भी ध्यान दें

कुछ अन्य लक्षण भी नजर आते हैं, जिनमें अबॉर्शन होने की आशंका बनी रहती है। इन्हें लेकर भी आपको एलर्ट रहना चाहिए-

ब्रेस्ट्स का ढीलापन

बच्चे की हार्ट बीट का रुक जाना : प्रेग्नेंसी के छठे हफ्ते में अल्ट्रा साउंड कराते हुए बच्चे के दिल की धड़कन न मिलना अबॉर्शन का लक्षण है।

वजन कम होना : प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में सामान्य तौर पर वजन बढ़ने लगता है। अगर वजन घटने लगे तो गर्भपात का संकेत हो सकता है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

अर्चना धवन बजाज, कंसल्टेंट ऑब्स्टीट्रीशियन, गायनेकोलॉजिस्ट एंड आईवीएफ एक्सपर्ट, नर्चर आईवीएफ दिल्ली बताती हैं,'हैवी ब्लीडिंग, एबडॉमिल या बैक पेन, ब्लीडिंग में क्लॉट्स, उल्टी आने जैसी स्थिति और इसके बाद एकदम सामान्य हो जाने जैसी स्थिति दिखे तो मिसकैरिज की आशंका को ध्यान में रखें और बिना देरी किए डॉक्टर से परामर्श लें,  अल्ट्रासाउंड कराएं और डॉक्टर की सलाह पर ही ट्रीटमेंट कराएं। 

गर्भपात होने की स्थिति में महिलाओं का शरीर काफी कमजोर हो जाता है, ऐसी स्थिति में एक्सरसाइज, बहुत ज्यादा हैवी काम, फिजिकल इंटिमेसी जैसी चीजों से परहेज करें। मिसकैरिज में अगर बार जब भी प्रेग्नेंसी प्लान करें तो डॉक्टर से कंसल्ट करें और अगर समस्या ठीक हो जाने योग्य है, तो पहले से दवा करें ताकि भविष्य में इस तरह की स्थितियों से बचाव हो सके।

 

 

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