आईवीएफ या इन विट्रो फर्टिलाइजेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कई एग्स को परिपक्व होने के लिए प्रेरित किया जाता है और फिर उन्हें पुनः प्राप्त किया जाता है। एग्स रिट्रीवल प्रोसेस आमतौर पर हल्के एनेस्थीसिया के तहत की जाती है और अल्ट्रासाउंड मार्गदर्शन के तहत इंजेक्शन का इस्तेमाल करने में लगभग 10 से 15 मिनट लगते हैं।
इसमें किसी चीरे की आवश्यकता नहीं होती है और इसलिए रिट्रीवल आमतौर पर काफी आसान होता है क्योंकि हल्की ब्लीडिंग और ऐंठन रिट्रीवल के बाद सबसे आम लक्षण होते हैं और अधिकांश रोगी अगले दिन अपनी सामान्य दिनचर्या में वापस आने में सक्षम होते हैं। फिर फटिर्लिटी को बनाए रखने में रुचि रखने वाले रोगी के लिए एग्ज फ्रीज किया जा सकता है, या फीटस बनाने के लिए निषेचित किया जा सकता है जिसका इस्तेमाल किसी महिला या कपल्स को कंसीव करने में मदद के लिए किया जा सकता है।
हालांकि, आईवीएफ, असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (एआरटी) का इस्तेमाल दुनिया भर में कंसीव करने की कोशिश कर रहे कपल्स द्वारा किया जाता है। लेकिन इससे जुड़े कई सवाल कपल्स को परेशान करते हैं। आइए ऐसे कुछ सवालों और उनके जवाब के बारे में बिरला फर्टिलिटी एवं आईवीएफ, गुरुग्राम की कंसल्टेंट और डॉक्टर रचिता मुंजल से जानें।
लोगों को अक्सर यह फिक्र होती है कि आईवीएफ के चक्र के दौरान कितने फर्टिलिटी मेडिकेशन इंजेक्शन लगेंगे। फिलहाल, इसकी कोई निश्चित संख्या नहीं है। दवाई की खुराक एवं आवृत्ति आपकी उम्र, प्रजनन स्वास्थ्य एवं ओवरी के स्वास्थ्य पर निर्भर होती है। आईवीएफ के चक्र में 10 से 12 दिनों तक इंजेक्शन लग सकते हैं।
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आईवीएफ का इलाजशुरू करने से पहले इस प्रक्रिया में होने वाले जोखिमों को समझना आवश्यक है। आईवीएफ के कुछ साइड इफेक्ट फर्टिलिटी मेडिकेशन, अनेक गर्भधारण, इक्टोपिक गर्भधारण एवं ओवेरियन हाईपरस्टिमुलेशन सिंड्रोम हो सकते हैं।
आईवीएफ की सफलता की दर कई तत्वों, जैसे मां की उम्र, बच्चा न होने का कारण, स्पर्म एवं एग की हेल्थ, आदि अनेक तत्वों पर निर्भर करती है। कुछ कपल्स तो आईवीएफ के पहले चक्र में ही सफल हो जाते हैं, जबकि अन्य कपल्स को अनेक चक्रों से गुजरना पड़ता है। कुछ मामलों में कपल्स अपने आईवीएफ के चक्र के बाद प्राकृतिक रूप से भी गर्भधारण में सफल हो जाते हैं।
यदि आपके एग्स या आपके पार्टनर का स्पर्म गर्भधारण के लिए शक्तिशाली नहीं है, तो आपका डॉक्टर आपके लिए डोनर की व्यवस्था कर सकता है। अब अनेक सुविधाएं एग डोनेशन एवं हार्वेस्टिंग सर्विसेस की सुविधा दे रही हैं। एग एवं स्पर्म बैंक के साथ उनका संपर्क होता है। हालांकि, डोनर का नाम गुप्त रखा जाता है। आपको अपने डॉक्टर की मदद से इस प्रक्रिया के बारे में बेहतर जानकारी मिल सकती है।
इंप्लांटेशन की ज्यादा संभावना के लिए डॉक्टर आमतौर से यूट्र्रस में अनेक एम्ब्रायो इंप्लांट करते हैं। इससे अनेक गर्भ (ट्विंस, ट्रिपलेट्स, क्वाड्रुपलेट्स आदि) धारण करने की संभावना बढ़ जाती है। अनेक गर्भ धारण से जुड़ी अन्य समस्याओं में समय पूर्व प्रसव एवं गर्भपात का जोखिम होता है, इसलिए डॉक्टरों ने अब सबसे ज्यादा स्वस्थ एवं उत्तम एम्ब्रायो चुनकर केवल एक एम्ब्रायो को इंप्लांट करना शुरू कर दिया है।
आपको आईवीएफ के इलाज के दौरान सेहतमंद व संतुलित आहार लेना चाहिए। अपने आहार में बड़े परिवर्तन न करें। ताजा फल, सब्जियां, खड़े अनाज, फलियां, लीन प्रोटीन, लो-फैट डेयरी पर्याप्त मात्रा में लें। स्पर्म की सेहत बनाए रखने के लिए भी आहार महत्वपूर्ण है, इसलिए पुरुष साथी को भी अपने आहार के मामले में सावधान रहना चाहिए।
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यदि आपके यूट्र्रसमें किसी वजह से गर्भधारण करने की शक्ति नहीं है, तो आप सरोगेसी आजमा सकती हैं। सरोगेसी में आपका एम्ब्रायो अन्य महिला के गर्भ में स्थापित किया जाएगा, जो बच्चे के जन्म तक उसे अपने गर्भ में रखेगी। अपने क्षेत्र में सरोगेसी के कानूनी पहलुओं को समझने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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